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उत्तराखंड में फैल रही हैं नशाखोरी की जड़ें, कहीं बन न जाए उड़ता पंजाब

उत्तराखंड नशाखोरी के मामले में लगातार पंजाब की राह पर आगे बढ़ता जा रहा है। यहां नशे के मामलों में लगातार बढोतरी हो रही है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 26 Dec 2018 01:34 PM (IST)Updated: Wed, 26 Dec 2018 01:34 PM (IST)
उत्तराखंड में फैल रही हैं नशाखोरी की जड़ें, कहीं बन न जाए उड़ता पंजाब
उत्तराखंड में फैल रही हैं नशाखोरी की जड़ें, कहीं बन न जाए उड़ता पंजाब

देहरादून, जेएनएन। शांत, शालीन और सभ्य छवि वाले उत्तराखंड में भी नशाखोरी की जड़ें फैलती जा रही हैं। पंजाब की राह पर आगे बढ़ रहे उत्तराखंड में पुलिस ने एक साल के भीतर सात करोड़ की नशे की सामग्री बरामद की। यह आंकड़ा अब तक पकड़े गए नशे के किसी भी साल से ज्यादा है। इस दौरान 934 मुकदमे और 980 लोगों को गिरफ्तार किया गया। जबकि अंडर ग्राउंड कारोबार फैला रहे गिरोह पुलिस की नजर से दूर हैं। 

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अलविदा 2018 के तहत नशे के खिलाफ पुलिस ने दून में हाफ मैराथन से लेकर प्रदेश के सभी थाना-चौकी और जिलों में जन जागरूकता के बड़े आयोजन कराए। लोगों को नशे के दुष्परिणाम एवं कानून में कार्रवाई से भी अवगत कराया गया। बावजूद इसके नशाखोरी के धंधे में लिप्त लोग बाज नहीं आए। 

इस दौरान पुलिस ने भी कार्रवाई कर 13 जिलों में एक साल के भीतर विभिन्न नशे के कारोबार में लिप्त पाए गए 980 लोगों पर 934 मुकदमे दर्ज किए गए। इस दौरान प्रदेश से कम और दूसरे राज्यों से नाता रखने वालों की संख्या ज्यादा पाई गई। बॉर्डर से लगे शहरों एवं तीन बड़े जिले देहरादून, ऊधमसिंहनगर और हरिद्वार में नशाखोरी में सबसे ज्यादा कार्रवाई की गई। जबकि सीमांत जनपद उत्तरकाशी, चंपावत, अल्मोड़ा और नैनीताल में चल रहे नशे के कारोबार ने भी पुलिस की चिंता बढ़ाई। 

पुलिस सूत्रों की मानें तो नशे के इस धंधे में सौदागार से लेकर खरीदारों में युवाओं की संख्या 70 फीसद थी। इसमें भी स्कूल, कॉलेज और प्राइवेट संस्थानों में डिग्री, डिप्लोमा लेने वाले युवा शामिल बताए गए। पूरे साल चले अभियान के दौरान पुलिस ने 974 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। जबकि 99 अभी भी फरार चल रहे हैं। बरामद नशे की सामग्री से साफ है कि प्रदेश में चरस, स्मैक, डोडा, भांग और अफीम के बाद नशीली दवाओं का सबसे ज्यादा कारोबार है। 

रुद्रप्रयाग नशामुक्त जिला 

प्रदेश के 13 जिलों में से रुद्रप्रयाग में एक भी मुकदमे दर्ज नहीं हुए है। इससे साफ है कि यह जिला नशा मुक्त जिले के रूप में पहचान बना गया। इसके बाद चमोली दूसरे और पौड़ी तीसरे नंबर पर सबसे कम नशा बिक्री वाला जिला रहा।  

एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार ने बताया कि नशाखोरी के खिलाफ पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। पहली बार एंटी ड्रग स्क्वॉड बनने से इसका लाभ मिला है। नशाखोरी के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी। छोटे सौदागर के बाद अब बड़े गिरोह को रडार पर लिया जाएगा। ताकि नशे को जड़मुक्त किया जाए। 

नशे के कारोबार में टॉप टेन जनपद

देहरादून- तीन करोड, 39 लाख 17 हजार 

ऊधमसिंहनगर- एक करोड़ 48 लाख छह हजार 

हरिद्वार-  64 लाख 9 हजार 

चंपावत-  49 लाख छह हजार 

नैनीताल-  21 लाख 76 हजार 

अल्मोड़ा-  17 लाख 26 हजार 

उत्तरकाशी- 17 लाख 24 हजार 

पिथौरागढ़- 11 लाख 75 हजार 

बागेश्वर-  11 लाख 28 हजार 

टिहरी-   नौ लाख 29 हजार 

बरामद नशे की मात्रा 

चरस-213 किग्रा 

स्मैक-4.219 किग्रा 

डोडा पाउडर-484 किग्रा 

गांजा- 537 किग्रा 

हेरोइन-0.8 ग्राम 

भांग-22 किग्रा 

अफीम-7.50 किग्रा 

कोकीन-0.50 किग्राम 

नशीली गोली-48168 

नशीले कैप्शूल-1386 

नशे के इंजेक्शन-27716 

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