डॉ. विजेंद्र पाल चुने गए कांग्रेस पार्षद दल के नेता
नगर निगम चुनाव के करीब दो साल बीत जाने के बाद कांग्रेस ने सदन के लिए वरिष्ठ पार्षद डॉ. विजेंद्र पाल को सर्वसम्मति से कांग्रेस पार्षद दल का नेता चुना है।
देहरादून, जेएनएन। नगर निगम चुनाव के करीब दो साल बीत जाने के बाद कांग्रेस ने सदन के लिए अपने नेता का चुनाव कर लिया है। वरिष्ठ पार्षद डॉ. विजेंद्र पाल को सर्वसम्मति से कांग्रेस पार्षद दल का नेता चुना गया। डॉ. पाल निगम में विपक्षी दल कांग्रेस से नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मोर्चा संभालेंगे।
कांग्रेस नगर निगम की सत्ता से बीते 12 साल से बाहर है। वर्ष 2012 में हुए चुनाव में कांग्रेस के पार्षदों का आंकड़ा भाजपा से महज छह कम था, लेकिन इस बार कांग्रेस 25 फीसद सीट भी हासिल नहीं कर सकी। ऐसे में कांग्रेसी पार्षद सत्ताधारी भाजपा पर उनकी उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं। इतना ही नहीं वे आरोप लगा रहे कि उनके वार्डो में बजट को लेकर महापौर सौतेला व्यवहार कर रहे हैं।
अपनी मांग को सदन में जोरदार ढंग से उठाने के लिए पार्षद बीते कुछ दिनों से पार्टी आलाकमान से पार्षद दल के नेता के चयन की मांग कर रहे थे। सोमवार को कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा और पूर्व विधायक राजकुमार ने पार्षदों की बैठक बुलाई। वरिष्ठ पार्षद हरी प्रसाद भट्ट ने कांग्रेस के पार्षद दल से नेता प्रतिपक्ष को लेकर डॉ. विजेंद्र पाल के नाम का प्रस्ताव रखा। पार्षद राजेश परमार ने समर्थन किया और बैठक में मौजूद अन्य पार्षदों ने इसकी रजामंदी दे दी। हरी प्रसाद भट्ट को उपनेता, अनिल क्षेत्री को मुख्य सचेतक व कोमल वोहरा को सचेतक, मामचंद को प्रवक्ता व महेंद्र रावत को कोषाध्यक्ष चुना गया।
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पूर्व नेता प्रतिपक्ष नीनू सहगल रहे गायब
2013 से 2018 तक नगर निगम में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष रहे नीनू सहगल नए नेता की चुनाव प्रक्रिया के दौरान गायब रहे। इसे कांग्रेस की आपसी कलह भी माना जा रहा है। इस बार भी नीनू यही मान रहे थे कि पार्टी उन पर ही भरोसा जताएगी, मगर ऐसा नहीं हुआ। जब इस बारे में नीनू को कॉल कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने कॉल काट दी। वहीं, पूर्व विधायक राजकुमार ने बताया कि पार्षदों में कोई विवाद नहीं है। उन्होंने कहा कि नीनू हरिद्वार गए हुए थे, इसलिए चुनाव प्रक्रिया में नहीं आ पाए।
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