Positive India: डॉ. अनुराग और राधा स्वामी सत्संग व्यास बने कोरोना वारियर
जिला प्रशासन ने ऐसे जुनूनी लोगों व संस्थाओं को ‘कोरोना वारियर ऑफ दि डे’ के खिताब से नवाजने का निर्णय लिया है। प्रतिदिन यह खिताब दिया जाएगा।
देहरादून, जेएनएन। वैश्विक महामारी बन चुके कोरोना वायरस को मिलकर ही हराया जा सकता है। संक्रमण की रोकथाम में जुटा हर वो व्यक्ति कोरोना वारियर है, जो दिल से अपने काम को अंजाम दे रहा है। जान की परवाह किए बगैर ये लोग कोरोना वायरस के संक्रमण को मात देने में जुटे हैं। सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर किए जा रहे इन अभिनव प्रयास को देखते हुए जिला प्रशासन ने ऐसे जुनूनी लोगों व संस्थाओं को ‘कोरोना वारियर ऑफ दि डे’ के खिताब से नवाजने का निर्णय लिया है। प्रतिदिन यह खिताब शासकीय कार्यों से जुड़े एक व्यक्ति व एक सिविल सोसायटी/व्यक्ति को दिया जाएगा।
पहला कोरोना वारियर ऑफ दि डे (शासकीय) का खिताब दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के श्वास एवं छाती रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. अनुराग अग्रवाल को दिया गया है। अस्पताल में कोरोना के नोडल अधिकारी डॉ. अनुराग ने अपनी टीम के साथ जिस तरह रात-दिन मेहनत कर कोरोना से संक्रमित दो प्रशिक्षु आइएफएस अधिकारियों का सफल उपचार किया। उसके लिए वह कोरोना वारियर खिताब के असल हकदार हैं भी। एक और संक्रमित प्रशिक्षु आइएफएस अधिकारी व अन्य लोगों के उपचार में डॉ. अनुज कोई कसर नहीं छोड़ रहे।
वहीं, सिविल सोसायटी के रूप में यह खिताब राधा स्वामी सत्संग व्यास की दून शाखा को दिया गया। लॉकडाउन में काम-धंधा बंद होने से जिन लोगों के सामने दो जून की रोटी जुटाने का संकट खड़ा हो गया है, उनके लिए यह शाखा रोजाना भोजन के दो हजार पैकेज उपलब्ध करा रही है। सत्संग व्यास शाखा के प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह हैं। इन्हीं के निर्देश में शाखा के स्वयंसेवक जरूरतमंदों की सेवा में तत्परता से कार्य कर रहे हैं।
शाखा ने जिला प्रशासन को भरोसा दिलाया है कि संकट की इस घड़ी वह कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। डीएम डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि कोरोना के संक्रमण की रोकथाम में जुटे लोगों के मनोबल को ऊंचा रखने के लिए यह खिताब शुरू किया गया है। ताकि इससे अन्य लोग भी प्रेरणा ले सकें।
तीसरे फेज में पहुंचने से बच सकते हैं हम
डॉ. विपुल कंडवाल (निदेशक, आरोग्य धाम सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल) का कहना है कि कोरोना के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। अभी तक देश में जितने भी संक्रमित मिले हैं, वे या तो विदेश से आए हैं या किसी संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आए हैं। यह संक्रमण का लोकल ट्रांसमिशन स्टेज कहलाता है। इसमें संक्रमण का स्रोत ज्ञात रहता है। पर इसका अगला स्टेज यानी कम्युनिटी ट्रांसमिशन घातक होगा। जिसका अर्थ होगा कि कोई किसी अज्ञात के संपर्क में आकर संक्रमित हो गया। ऐसा होने पर संक्रमित लोगों की पहचान मुश्किल होती है और संक्रमण का दायरा बहुत तेजी से बढ़ता है।
तीसरे स्टेज से बचने का एकमात्र विकल्प है कि लॉकडाउन का पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए। लॉकडाउन की वजह से अधिकांश लोग घरों तक सीमित हैं, ऐसे में जो इंसान किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में नहीं आया है, वह सुरक्षित है। यह वह समय है जब हर किसी को अपनी जिम्मेदारी निभानी है। हम डॉक्टरों को इलाज करके, सरकारी अमले को अपनी जिम्मेदारी और सबसे अहम कड़ी हैं देश के नागरिक। खासकर वह लोग जो विदेश से लौटे हैं। यदि हम यह बात छिपा रहे हैं तो अपने परिवार और समाज को मुश्किल में डाल रहे हैं।
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यह अच्छी तरह समझ लीजिए कि हमारी सतर्कता ही इसे अगली स्टेज में प्रवेश करने से रोक सकती है। अगर आपकी सोसायटी, मोहल्ले या फिर पड़ोस में कोई विदेश से आया है तो उसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग या प्रशासन को दें। फिजिकल डिस्टेंसिंग ही संक्रमण को एक व्यक्ति से दूसरे में जाने से रोकने का काम करेगी। यही एक रास्ता है जिससे हम कोरोना वायरस के प्रसार की गति को कम करने में कामयाब होंगे।
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