बच्चे की जान बचाने को रोजा तोड़कर किया रक्तदान, पढ़िए पूरी खबर
देहरादून निवासी जैन काजी ने इसकी मिसाल पेश की है। उन्होंने रमजान के इस पाक महीने में रोजा तोड़कर थैलेसीमिया से जूझ रहे एक बच्चे का जीवन रक्तदान करके बचाया।
देहरादून, जेएनएन। 'पहले नेकी फिर इबादत', हर धर्म इंसान को यही शिक्षा देता है। देहरादून निवासी जैन काजी ने इसकी मिसाल पेश की है। उन्होंने रमजान के इस पाक महीने में रोजा तोड़कर थैलेसीमिया से जूझ रहे एक बच्चे का जीवन रक्तदान करके बचाया।
उत्तरकाशी के पुरोला निवासी अनुज अग्रवाल के 10 वर्षीय बेटे को थैलेसीमिया है। जिसके लिए वे हर 15 दिन बाद 'बी-' ग्रुप का रक्त चढ़वाने के लिए पुरोला से दून आते हैं। गत शुक्रवार को जिला प्रशासन की अनुमति लेने के बाद अनुज अपने पिता विजय अग्रवाल और बेटे अभय के साथ शनिवार को चकराता रोड स्थित वरदान अस्पताल पहुंचे।
यहां से रक्त के लिए आइएमए ब्लड बैंक गए, लेकिन 'बी-' का रक्त न मिलने के चलते वे परेशान हो गए। इस बीच कुछ युवाओं ने सोशल मीडिया के जरिये यह मैसेज वायरल किया। जिसके बाद टर्नर रोड निवासी जैन काजी को यह मैसेज मिला। व्यवसायी जैन काजी इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए अपने वाहन से आइएमए ब्लड बैंक पहुंचे। जहां उन्होंने रोजा तोड़कर बच्चे के लिए रक्तदान किया। जैन काजी ने बताया कि ऐसे समय में किसी की जान बच जाए, इससे बड़ी बात उनके लिए क्या होगी।
'भगवान से कम नहीं मददगार'
रक्तदान के बाद अभय के पिता अनुज अग्रवाल भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि पहले उन्हें यहां आकर रक्त के लिए भटकना नहीं पड़ता था, लेकिन अब लॉकडाउन के चलते लोग घरों में ही हैं। रमजान के पाक महीने में जैन काजी ने इंसानियत के धर्म को पहले मानकर बच्चे की जान बचाई। वे हम सबके लिए किसी भगवान से कम नहीं हैं।
कोरोनेशन के डॉक्टरों ने दिया बच्चे को नया जीवन
कोरोना व लॉकडाउन की चुनौतियों के बीच चिकित्सक किसी योद्धा की तरह काम कर रहे हैं। इस संकटकाल में वह पूरी निष्ठा व ईमानदारी के साथ अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। बार-बार यह साबित कर रहे हैं कि धरती के भगवान का दर्जा उन्हें यूं ही नहीं दिया गया। शनिवार को भी ऐसा ही एक वाकया हुआ। जहां कोरोनेशन अस्पताल के चिकित्सकों ने तत्परता दिखाकर एक नौ साल के बच्चे की जान बचाई। अपने खर्चे पर उसका ऑपरेशन किया।
कोरोनेशन अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीसी रमोला ने बताया कि नौगांव उत्तरकाशी का एक नौ साल का बच्चा अस्पताल लाया गया। उसकी आंत फट गई थी और वह मरनासन्न स्थिति में था। उसके परिवार की आर्थिक स्थिति भी बहुत दयनीय है। वह दो दिन नौगांव व दो दिन पुरोला में भर्ती रहा। उसके यहां पहुंचने पर तत्काल चिकित्सकों ने आपात बैठक की। यह तय किया गया कि उसके परिवार से कोई पैसा नहीं लिया जाएगा। डॉक्टर अपने खर्चे पर ऑपरेशन करेंगे।
यह भी पढ़ें: कोरोना की इस जंग में हर कोई है योद्धा, अपने-अपने स्तर से दे रहे योगदान
अस्पताल के चिकित्सक डॉ. राजीव टम्टा, डॉ. परमार्थ जोशी, डॉ. कुश एरन, डॉ. संजीव कटारिया की टीम ने ऑपरेशन किया। डॉ. जेपी नौटियाल ने पैथोलॉजी एवं डॉ मनोज उप्रेती ने अल्ट्रासाउंड में मदद की। टीम में सिस्टर रोजी, मीनाक्षी, गीता, देवेंद्र और अशोक भी शामिल थे। यह टीम वर्क का ही नतीजा है कि बच्चा अब खतरे से बाहर है।
यह भी पढ़ें: वृद्धाश्रम हुआ अनाथ तो पुलिस ने लिया गोद, बुजुर्गों का करवाया स्वास्थ्य परीक्षण