वृद्धाश्रम हुआ अनाथ तो पुलिस ने लिया गोद, बुजुर्गों का करवाया स्वास्थ्य परीक्षण
उत्तराखंड पुलिस का एक और मानवीय चेहरा देखने को मिला है। वृद्धाश्रम को प्रेमनगर थाना पुलिस ने गोद लेकर आश्रम में रह रहे बुजुर्गों की देखभाल का जिम्मा लिया है।
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड पुलिस का एक और मानवीय चेहरा देखने को मिला है। वृद्धाश्रम को प्रेमनगर थाना पुलिस ने गोद लेकर आश्रम में रह रहे बुजुर्गों की देखभाल का जिम्मा लिया है। शनिवार को पुलिस ने वृद्धाश्रम में रह रहे सात बुजुर्गों का स्वास्थ्य परीक्षण करवाया। साथ ही उन्हें हर संभव मदद का भरोसा भी दिया। प्रेमनगर स्थित मोहनपुर क्षेत्र में समाजसेवी रघुवीर सिंह रावत के घर के पिछले हिस्से में साईं वृद्धाश्रम है। आश्रम में रह रहे बुजुर्गों की देखभाल रघुवीर सिंह की पत्नी प्रेमलता रावत कर रही थीं, लेकिन 10 अप्रैल को प्रेमलता रावत का निधन हो गया, जिससे आश्रम अनाथ हो गया। शनिवार को किसी ने प्रेमनगर थाना पुलिस को सूचना दी कि वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्गों को भोजन की जरूरत है।
प्रेमनगर के एसओ धर्मेंद्र सिंह रौतेला पुलिस टीम के साथ आश्रम पहुंचे तो यहां रह रहे 70 से 90 साल के बुजुर्गों को देख उन्होंने आश्रम को ही गोद लेने की योजना बनाई। एसओ ने बताया कि पुलिस की ओर से बुजुर्गों को खाने-पीने की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही देखभाल, समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण और उनकी जरूरतों को पूरा किया जाएगा।
1984 में हुई थी वृद्धाश्रम की शुरुआत
साईं वृद्धाश्रम की शुरुआत वर्ष 1984 में ग्राम महिला कल्याण संस्थान के नाम से की गई थी। वर्ष 2004 से 2016 तक उक्त संस्थान को सरकार ने आर्थिक सहायता दी। इसके बाद प्रेमलता रावत ने निजी खर्चे पर संस्थान का संचालन शुरू किया।
बुजुर्गों की सहायता के लिए बन रहा कारवां
वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्गों की सहायता के लिए धीरे-धीरे कारवां बनता जा रहा है। पुलिस ने जहां आश्रम में रह रहे बुजुर्गों की जिम्मेदारी उठाई तो सिनर्जी अस्पताल के चिकित्सक डॉ. कमल कांत गर्ग और डॉ. जितेंद्र वर्मा ने सभी बुजुर्गों को दवाएं और आजीवन उनके स्वास्थ्य परीक्षण की जिम्मेदारी ले ली है।
अरुण मोहन जोशी (डीआइजी, देहरादून) का कहना है कि देहरादून पुलिस सकारात्मक सोच के साथ काम कर रही है। पहले नेहरू कॉलोनी थाना के हर कर्मचारी ने एक-एक परिवार के पालन पोषण की जिम्मेदारी उठाकर साबित किया कि पुलिस लोगों के साथ है। अब प्रेमनगर थाना पुलिस ने वृद्धाश्रम गोद लेकर मिसाल पेश की है। पुलिस हर कदम पर जनता के साथ है।
माता-पिता की देखभाल न की तो संपत्ति होगी वापस
बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल न करने पर ली गई संपत्ति से भी हाथ धोना पड़ सकता है। उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने शनिवार को चेतावनी जारी कर कहा कि कोरोना संकट में यदि बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करने में किसी तरीके की लापरवाही की जाती है, तो कानून के तहत ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि जिन बुजुर्गों को इस दौरान किसी तरीके की समस्या हो रही हो तो वह पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर मदद ले सकते हैं।
पुलिस महानिदेशक ने कहा है कि बुढ़ापे में वरिष्ठ नागरिकों को सहारे की अधिक जरूरत होती है। प्राय: देखा जाता है कि सम्पत्ति हस्तांतरित हो जाने के बाद स्वजन या संबंधियों की ओर से वरिष्ठ नागरिकों की अनदेखी की जाती है। जबकि जिस व्यक्ति को सम्पत्ति हस्तांतरित हुई है उसका दायित्व है कि वह वरिष्ठ नागरिकों की मूलभूत सुविधाओं और आवश्यकताओं का पूरा ध्यान रखें।
उन्होंने बताया कि वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण अधिनियम, 2007 की धारा 23 (1) के अनुसार वरिष्ठ नागरिकों की मूलभूत सुविधाओं और आवश्यकताओं का पूरा ध्यान न रखने पर स्वजन या संबंधियों को हस्तान्तरित सम्पत्ति का मालिकाना हक वरिष्ठ नागरिकों को वापस हो सकता है। साथ ही यदि वरिष्ठ नागरिकों के बच्चों या सम्पत्ति हस्तान्तरण किये गये व्यक्ति द्वारा वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण नहीं किया जाता है अथवा उनके साथ क्रूरतापूर्वक व्यवहार किया जाता है, तो संबंधित के विरूद्ध मुकदमा भी दर्ज हो सकता है। उन्होंने बताया कि वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा और उनकी समस्याओं को संज्ञान में लेकर आवश्यक कदम उठाने का निर्देश सभी जिलों के पुलिस अधिकारियों को दिया गया है।
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