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उत्तराखंड: डॉक्टरों ने सचिव से वार्ता के बाद स्थगित किया आंदोलन, ओपीडी के बहिष्कार की दी थी चेतावनी

चिकित्सकों ने स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी से वार्ता के बाद अपना आंदोलन स्थगित कर दिया है। चिकित्सकों ने कल से ओपीडी के बहिष्कार का ऐलान किया था। वहीं सचिव से वार्ता के दौरान मांगों पर लिखित सहमति बनी।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 07:40 PM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 07:40 PM (IST)
उत्तराखंड: डॉक्टरों ने सचिव से वार्ता के बाद स्थगित किया आंदोलन, ओपीडी के बहिष्कार की दी थी चेतावनी
डॉक्टरों ने सचिव से वार्ता के बाद स्थगित किया आंदोलन(प्रतीकात्मक)

देहरादून, जेएनएन। सरकारी अस्पतालों में तैनात चिकित्सकों ने स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी से वार्ता के बाद अपना आंदोलन स्थगित कर दिया है। चिकित्सकों ने बुधवार से ओपीडी के बहिष्कार का ऐलान किया था। सचिव से वार्ता के दौरान मांगों पर लिखित सहमति और इस संबंध में पत्रावलियां प्रारंभ होने का पत्र मिलने पर उनके तेवर नरम पड़ गए। 

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प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. नरेश सिंह नपलच्याल ने कहा कि डॉक्टरों की दो मांग हैं। पहला ये कि प्रतिमाह एक दिन की वेतन कटौती बंद कर सभी को प्रोत्साहन राशि दी जाए। दूसरा पीजी में अध्ययनरत सरकारी चिकित्सकों को पूरा वेतन प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में डॉक्टर अग्रिम मोर्चे पर रहकर दिन-रात संक्रमितों का इलाज कर रहे हैं। 

इस दौरान बड़ी संख्या में चिकित्सक संक्रमित हुए हैं और दो चिकित्सकों की मौत भी हो चुकी है। पर अन्य राज्यों में जहां डॉक्टरों को प्रोत्साहन राशि दी जा रही है, यहां हर माह एक दिन का वेतन काटा जा रहा है। इसी तरह पीजी कर रहे सरकारी चिकित्सक जहां-जहां कार्यरत हैं वहां वह दिन रात कार्य कर रहे हैं। ऐसे में उनका आधा वेतन काट लेना अन्यायपूर्ण है। उन्होंने कहा कि उक्त दोनों मांगों पर शासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है। ऐसे में आंदोलन स्थगित कर दिया गया है। वार्ता में प्रांतीय महासचिव डॉ. मनोज वर्मा, उपाध्यक्ष डॉ. आशुतोष भारद्वाज आदि उपस्थित रहे।

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निजी लैब के खिलाफ जांच पर आइएमए ने खोला मोर्चा

राजधानी में कोरोना सैंपलों की जांच कर रही निजी लैब के खिलाफ जांच से प्राइवेट डॉक्टरों में रोष है। इसे लेकर उन्होने शासन-प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कोविड जांच बंद करने के भी संकेत दिए हैं। देहरादून के जिलाधिकारी डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव पर भी उन्होंने निजी चिकित्सकों और पैथोलॉजी लैब संचालकों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया है। उन्होंने मांग की है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी इस मामले में हस्तक्षेप करें।

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