नहीं सुधर रहे सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर, लिख रहे प्राइवेट लैब से खून की महंगी जांच
सरकारी अस्पतालों में कुछ डॉक्टर अब भी मरीजों को प्राइवेट लैैैैबों की महंगी जांच लिखने से बाज नहीं आ रहे हैं।
देहरादून, जेएनएन। सरकारी अस्पतालों के कुछ चिकित्सक अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे। कई बार की चेतावनी के बाद भी बाहर की जांच और दवा लिखने का उनका मोह नहीं छूट रहा। अब कोरोनेशन अस्पताल का ही उदाहरण ले लीजिए। सीएमएस डॉ. बीसी रमोला आदेश पर आदेश कर रहे हैं और चिकित्सक नाफरमानी। ऐसे में उन्होंने फिर एक बार चिकित्सकों को चेतावनी जारी की है। उन्हें सख्त हिदायत दी है कि मरीजों को अनावश्यक रूप से उच्च स्तरीय खून की जाच के लिए प्राइवेट लैब में ना भेजें। अगर किसी चिकित्सक की किसी निजी लैब या दलाल से सांठगांठ की पुष्टि हुई तो सेवा नियमावली के अनुसार कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल से भी शिकायत की जाएगी।
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने कहा है कि अधिकांश पैथोलॉजी जांच कोरोनेशन, गाधी शताब्दी और दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उपलब्ध हैं। मरीजों को बिना परीक्षण किए, बिना मौलिक खून की जांच किए, बिना प्रोविजनल डायग्नोस किए उच्च स्तरीय जांच लिखी जा रही हैं। सीधे-सीधे मरीज को गुमराह करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। कहा कि अगर इनकी जरूरत है तो पहले उनके संज्ञान में लाया जाए। फिर एम्स ऋषिकेश से ये जाच कराई जा सकती है।
ये जाचें लिख रहे
बी-12, फॉलिक एसिड, विटामिन डी-3, एलर्जी टेस्ट, इम्यूनोग्लोबिन्स आदि। एमआरआइ को थमा रहे निजी सेंटर की पर्ची कोरोनेशन अस्पताल में अकेले खून से संबंधित जाचें ही बाहर से नहीं कराई जा रही बल्कि एमआरआइ जैसी महंगी जांच भी बाहर से कराने से डॉक्टर गुरेज नहीं कर रहे। ये हाल तब हैं जबकि राजधानी में ही दून मेडिकल कॉलेज में एमआरआइ जांच की सुविधा न केवल उपलब्ध है बल्कि निजी सेंटरों की तुलना में इसका शुल्क भी काफी कम है। बताया गया कि कोरोनेशन अस्पताल से कुछ डॉक्टर एमआरआइ जांच लिखने के साथ ही उन्हें एक सेंटर विशेष की पर्ची थमा देते हैं। साथ ही ताकीद किया जाता है कि यहीं से एमआरआइ कराया जाए।
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