शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए बढ़ी गिलोय, तुलसी और अश्वगंधा की मांग
लॉकडाउन के दौरान लोगों ने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए न सिर्फ योग व्यायाम का सहारा लिया बल्कि प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों और दवाओं की भी मदद ली।
देहरादून, जेएनएन। बदलती आबोहवा और खानपान के कारण दुनिया में आए दिन नई बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं। ऐसे में खुद को सुरक्षित रखने के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना और तमाम तरह के बैक्टीरिया व वायरस से सुरक्षा कवच तैयार करना जरूरी हो गया है। अब तक लाइलाज कोरोना वायरस से जंग के लिए भी मजबूत इम्यून सिस्टम बेहद जरूरी है। यही वजह है कि लॉकडाउन के दौरान लोगों ने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए न सिर्फ योग-व्यायाम का सहारा लिया बल्कि प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों और दवाओं की भी मदद ली। इसका असर रोग प्रतिरोधक क्षमता से संबंधित आयुर्वेदिक उत्पादों पर साफ दिखा है। एक आकलन के अनुसार इस समय सामान्य दिनों की तुलना में आयुर्वेदिक दवाओं की खरीदारी 20 फीसद तक बढ़ गई है। सबसे ज्यादा मांग अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी, मधुरिष्टि जैसे आयुर्वेदिक तत्वों से बनी दवाओं की है।
चकराता रोड स्थित पोद्दार हेल्थ केयर के रामचंद्र पोद्दार ने बताया कि गिलोय टेबलेट, गिलोय जूस, गिलोय सत की अच्छी मांग है। साथ ही तुलसी का भी उपयोग बढ़ा है। अश्वगंधा कैप्सूल, चूर्ण, सिरप भी इम्यूनिटी बढ़ाने में सक्षम हैं। इनकी अच्छी मांग है। इस समय लोग गिलोय, तुलसी, अश्वगंधा आदि खरीदकर ले जा रहे हैं। वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. नवीन जोशी के अनुसार नीम, गिलोय, तुलसी, अश्वगंधा, शतावरी, मुलेठी, चिरायता जैसी औषधियां सदियों से अपने ज्वरनाशक प्रभाव के लिए जानी जाती रही हैं। इन औषधियों का इस्तेमाल वर्षों से आयुर्वेदाचार्य रोगियों के उपचार में कर रहे हैं। कोरोनाकाल में इनके प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है।
सेनिटाइजर के रूप में नीम और गिलोय का इस्तेमाल
कोरोना के शुरुआती दौर में जब सेनिटाइजर की किल्लत हुई तो लोगों ने नीम की पत्तियों, गिलोय, एलोवेरा और फिटकरी की मदद से लिक्विड तैयार कर लिया। हाथ को शुद्ध करने के साथ ही घर की सफाई में भी इसका उपयोग हुआ।
अश्वगंधा
अश्वगंधा खाने से इम्यूनिटी बढ़ती है। ये औषधि वायरल इंफेक्शन के साथ तनाव और थकान से उबरने में भी मदद करती है। इसके अलावा यह दिल और शरीर के लिए भी फायदेमंद है।
गिलोय
गिलोय को अमृता भी कहते हैं। यह विशेषकर इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभावों के लिए जाना जाता है। वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन में गिलोय का प्रयोग अत्यंत लाभकारी है।
तुलसी
एंटीऑक्सीडेंट्स की स्रोत तुलसी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। खांसी, जुकाम आदि होने पर तुलसी का काली मिर्च के साथ काढ़े के रूप में प्रयोग अत्यंत लाभकारी माना गया है।
मुलेठी
यह एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक आदि गुणों से भरपूर है। सांस संबंधी बीमारियों, पाचन रोगों, सर्दी-खांसी, कफ, गले और यूरिन इन्फेक्शन की समस्या में उपयोगी है।
शतावरी
शतावरी का इस्तेमाल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए तो किया ही जाता है, ,यह तमाम प्रकार के स्त्री रोगों के इलाज में भी उपयोगी है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट व एंटी एजिंग गुण भी हैं।