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मंदिर की ऐतिहासिकता साबित करने में दून की अहम भूमिका, खुदाई में मिले अवशेषों की अवधि बताई

राम जन्मभूमि वाले हिस्से की खुदाई में एएसआइ की टीम में देहरादून स्थित विज्ञान शाखा के अधिकारी भी शामिल थे। खुदाई में मिले अवशेषों की अवधि बताई।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 10 Nov 2019 08:23 AM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 08:26 PM (IST)
मंदिर की ऐतिहासिकता साबित करने में दून की अहम भूमिका, खुदाई में मिले अवशेषों की अवधि बताई
मंदिर की ऐतिहासिकता साबित करने में दून की अहम भूमिका, खुदाई में मिले अवशेषों की अवधि बताई

देहरादून, सुमन सेमवाल। वर्ष 2003 में जब दूसरी दफा इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर राम जन्मभूमि वाले हिस्से की खुदाई की गई, तब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की टीम में देहरादून स्थित विज्ञान शाखा के अधिकारी भी शामिल थे। खुदाई में जो मूर्तियां व मंदिर के अवशेष मिले, विज्ञान शाखा ने न सिर्फ उनका केमिकल ट्रीटमेंट किया, बल्कि यह भी बताया कि उनकी अवधि क्या है।

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वर्ष 1994 में विज्ञान शाखा के निदेशक रहे व वर्ष 2004 में संयुक्त महानिदेशक पद से रिटायर डॉ. आरके शर्मा बताते हैं कि आज उनके कार्यालय की मेहनत सार्थक हो गई है। विज्ञान शाखा ने बताया था कि मंदिर के अवशेष व मूर्तियों की अवधि 13वीं शताब्दी तक की हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जिन आधार पर अपना फैसला सुनाया, उसमें एएसआइ की रिपोर्ट भी प्रमुख है। वर्ष 1992 में ढहाये गए विवादित ढांचे को लेकर यह तथ्य पहले से ही साफ था कि इसका निर्माण 16वीं सदी में किया गया है। यानी कि इसके नीचे मंदिर के जो भग्नावशेष मिले, वह पहले के हैं।

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दून में रिपोर्ट तैयार करते समय बरती गई गोपनीयता

खुदाई में मिले मंदिर के अवशेषों व मूर्तियों की कालगणना, केमिकल ट्रीटमेंट कर उनकी पहचान की रिपोर्ट भी दून की विज्ञान शाखा में तैयार की गई। रिपोर्ट तैयार करते समय अधिकारियों ने पूरी गोपनीयता बरती और अवकाश के दिन भी रिपोर्ट तैयार करने का काम जारी रखा गया था।

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