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देहरादून की इस छात्रा ने पीएम मोदी से पूछा सवाल, पीएम ने दिया यह जवाब...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्कूली बच्चों को तनाव से दूर रहने को लेकर देशभर के बच्‍चों को संबोधित किया। इस दौरान दून की केवी आइआइपी की 12वीं की एक छात्रा ने पीएम से सवाल पूछा।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 16 Feb 2018 06:16 PM (IST)Updated: Sun, 18 Feb 2018 09:05 AM (IST)
देहरादून की इस छात्रा ने पीएम मोदी से पूछा सवाल, पीएम ने दिया यह जवाब...
देहरादून की इस छात्रा ने पीएम मोदी से पूछा सवाल, पीएम ने दिया यह जवाब...

देहरादून, [जेएनएन]: बोर्ड एग्जाम से पहले 'परीक्षा पर चर्चा' के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछने का मौका तो कई बच्चों को मिला, लेकिन देहरादून के लिए इस क्षण को यादगार बनाया भावना जलाल ने। केंद्रीय विद्यालय आइआइपी में 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली भावना, पीएम से प्रश्न पूछने वाली राज्य की एकमात्र छात्रा रहीं। भावना ने एक महत्वपूर्ण सवाल प्रधानमंत्री से पूछा। जिसकी खुद पीएम भी तारीफ किए बिना नहीं रह सके। भावना का सवाल था कि तथ्यों के मूल्यांकन के अनुसार हमें ये ज्ञात होता है कि 20 प्रतिशत सफलता आइक्यू और 80 प्रतिशत ईक्यू के कारण मिलती है, लेकिन विद्यार्थी ईक्यू को भूलकर आइक्यू को अपने जीवन में अधिक महत्व देते हैं। आखिर छात्र के जीवन में आइक्यू (इंटेलिजेंस कोशंट यानी बुद्धिमत्ता का स्तर) और ईक्यू (इमोशनल कोशंट) में से किसका रोल अहम है।

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जिस पर प्रधानमंत्री ने जवाब दिया कि ये दोनों की फैक्टर मनुष्य में पैदा होने के साथ ही काम करना शुरू कर देते हैं। इसलिये आइक्यू और ईक्यू का जिंदगी में संतुलित होना अनिवार्य है। पीएम ने बताया कि रिस्क लेने की क्षमता भी ईक्यू से विकसित होती है। ईक्यू सेंस ऑफ मिशन देता है। जिंदगी को ताकत देता है। आइक्यू सफलता दे सकता है लेकिन संवेदना देने में ईक्यू का रोल होता है।

स्कूल से भेजे तीन सवाल, एक चुना गया 

भावना ने बताया कि उनके विद्यालय से तीन छात्रों ने सवाल भेजे थे। जिनमें उनका प्रश्न कार्यक्रम के लिए चुना गया। गत 12 फरवरी को दूरदर्शन की टीम उनके स्कूल आई और उनका सवाल रिकॉर्ड किया। तब से वह इस क्षण का बेसब्री से इंतजार कर रही थीं। जिस खूबी से पीएम ने उदाहरण सहित उनके प्रश्न का जवाब दिया, वह उसे कभी नहीं भूल सकतीं। इस सरलता से बहुत कम लोग बात समझा पाते हैं। 

रानीखेत का रहने वाला है परिवार 

भावना का परिवार मूल रूप से रानीखेत का रहने वाला है। यहां वह बद्रीपुर स्थित जागृति विहार में रहते हैं। उनके पिता दरवान सिंह आइटीबीपी में सब इंस्पेक्टर हैं और वर्तमान समय में जम्मू-कश्मीर के ऊधमपुर में तैनात हैं। उनकी मां इंद्रा देवी गृहिणी हैं। छोटा भाई लक्ष्मण ग्यारहवीं और युवराज कक्षा तीन का छात्र है। 

शिक्षकों ने दिखाई भावना को राह 

भावना की इस उपलब्धि में पर्दे के पीछे ही सही, उनके शिक्षकों का भी कम योगदान नहीं है। वह बताती हैं कि उनके स्कूल में फिजिक्स के शिक्षक रातुल बिजल्वाण व उन्हें कोचिंग देने वाले आयुष भïट्ट ने प्रश्न को ड्राफ्ट करने में उनकी मदद की। उनके मार्गदर्शन के बिना यह संभव नहीं था। विद्यालय की प्रधानाचार्य सफलता विश्नोई भी भावना की इस उपलब्धि से खुश हैं। उन्होंने न सिर्फ भावना की पीठ थपथपाई बल्कि भविष्य की शुभकामनाएं भी दीं।

तमन्ना अर्थशास्त्री बनने की 

कहने के लिए भावना विज्ञान वर्ग की छात्रा हैं, लेकिन कॅरियर वह वाणिज्यिक क्षेत्र में बनाना चाहती हैं। वह बताती हैं कि बारहवीं के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से ईको ऑनर्स करना चाहती हैं। उनकी तमन्ना अर्थशास्त्री बनने की है। कहती हैं कि देश की जीडीपी कैसे बढ़े, इसे लेकर काम करना है। 

पढ़ते-पढ़ते जहन में आया सवाल 

यह सवाल कैसे सूझा, इस बात का जवाब देते भावना कहती हैं कि उन्हें पढऩे का शौक है। इसी आदत के कारण जहन में यह सवाल आया। वह कहती हैं कि हम लोग अक्सर आइक्यू की बात करते हैं, पर ईक्यू का कोई जिक्र तक नहीं करता। जबकि इनमें संतुलन बहुत आवश्यक है।

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