तीन तलाक मामले में डेढ़ घंटे हुई बहस, कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला
पुलिस की रिपोर्ट पर सीजेएम मनींद्र मोहन पांडे की अदालत में गुरूवार को सुनवाई हुई। बहस सुनने के बाद अदालत ने कार्रवाई को लेकर अपना फैसला 16 अक्टूबर तक सुरक्षित रख लिया है।
देहरादून, [जेएनएन]: तीन तलाक मामले में आरोपित पति के विरुद्ध कोई कार्रवाई न होने के मामले में पुलिस की रिपोर्ट पर सीजेएम मनींद्र मोहन पांडे की अदालत में गुरूवार को सुनवाई हुई। दोनों पक्षों के बीच करीब डेढ़ घंटे चली बहस सुनने के बाद अदालत ने कार्रवाई को लेकर अपना फैसला 16 अक्टूबर तक सुरक्षित रख लिया है। इससे पूर्व अदालत ने डोईवाला पुलिस की ओर से दाखिल की गई रिपोर्ट का अवलोकन भी किया।
डोईवाला निवासी शगुफ्ता ने पति आमिर अहमद के खिलाफ बेवजह शक के चलते तीन तलाक देने का आरोप लगाया है। इस मामले में शगुफ्ता द्वारा डोईवाला कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है। आरोप है कि जुलाई में आमिर ने शगुफ्ता पर कई गंभीर आरोप लगाए और जाहिद हुसैन व अकीत अहमद की मौजूदगी में तीन तलाक बोला। मुकदमे के बावजूद पुलिस द्वारा आरोपी के विरुद्ध कोई कार्रवाई न करने पर शगुफ्ता ने अदालत की शरण ली थी।
अदालत ने इस संबंध में डोईवाला पुलिस से रिपोर्ट मांगी थी। गुरुवार को रिपोर्ट दाखिल करने के बाद पुलिस ने बताया कि शगुफ्ता व उसके पति की महिला हेल्पलाइन में काउंसिलिंग हो चुकी है और शगुफ्ता ने घरेलू हिंसा का मामला भी दर्ज कराया हुआ है। जिसकी जांच चल रही थी। इसलिए इस मामले में पुलिस कार्रवाई नहीं कर सकती। शगुफ्ता के अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी ने अदालत को बताया कि मामला घरेलू हिंसा के साथ तीन तलाक का भी है, जो अब अपराध की श्रेणी में आता है।
उन्होंने सायरा बानो केस समेत सुप्रीम कोर्ट के कुछ अन्य फैसलों की नजीर देकर अदालत से कहा कि यदि पीड़िता के पति ने आरोप लगाकर तलाक दिया है, तो पुलिस को आरोपों की जांच करनी चाहिए। ताकि सच सामने आ सके। जिसमें पुलिस दखल दे सकती थी, लेकिन पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। अदालत ने दोनों पक्ष को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
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