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उत्तराखंड में बनेगा क्रोकोडाइल रेस्क्यू एंड ब्रीडिंग सेंटर, इसके लिए तीन स्थल किए गए हैं चिह्नित

अब उत्तराखंड में भी क्रोकोडाइल रेस्क्यू एंड ब्रीडिंग सेंटर बनाने की तैयारी है। इसके लिए खटीमा सुरई व लक्सर तीन स्थल चिह्नित किए गए हैं लेकिन भारतीय वन्यजीव संस्थान और वन विभाग के संयुक्त निरीक्षण के बाद ही इनमें से कोई एक जगह फाइनल की जाएगी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 08 Aug 2021 06:05 AM (IST)Updated: Sun, 08 Aug 2021 06:05 AM (IST)
अब उत्तराखंड में भी क्रोकोडाइल रेस्क्यू एंड ब्रीडिंग सेंटर बनाने की तैयारी है।

केदार दत्त, देहरादून। उत्तर प्रदेश में लखनऊ स्थित कुकरैल घड़ि‍याल पार्क की तर्ज पर अब उत्तराखंड में भी क्रोकोडाइल रेस्क्यू एंड ब्रीडिंग सेंटर बनाने की तैयारी है। इसके लिए खटीमा, सुरई व लक्सर तीन स्थल चिह्नित किए गए हैं, लेकिन भारतीय वन्यजीव संस्थान और वन विभाग के संयुक्त निरीक्षण के बाद ही इनमें से कोई एक जगह फाइनल की जाएगी। फिर इसका प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग के अनुसार विभिन्न स्थानों से रेसक्यू किए जाने वाले मगरमच्छ भी इस सेंटर में रखे जाएंगे। इसे आमजन के लिए पार्क के रूप में भी खोला जाएगा।

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प्रदेश में हरिद्वार, देहरादून, पौड़ी, नैनीताल, चंपावत, ऊधमसिंहनगर व पिथौरागढ़ जिलों के संरक्षित एवं आरक्षित क्षेत्रों की नदियों में मगरमच्छ, घड़ि‍याल एवं ऊदबिलाव जैसे जलीय जीव हैं। गत वर्ष पहली बार इन जीवों की राज्य स्तर पर गणना हुई। इसके मुताबिक प्रदेश में 451 मगरमच्छ, 77 घड़ि‍याल और 194 ऊदबिलाव हैं। इनमें भी मगरमच्छ आमजन के लिए सबसे अधिक परेशानी का सबब बने हुए हैं। खासकर, हरिद्वार जिले के लक्सर क्षेत्र में तो आए दिन मगरमच्छों के आबादी वाले क्षेत्रों में धमकने की घटनाएं सुर्खियां बनती हैं। विभिन्न क्षेत्रों में यह बात भी सामने आई है कि नदी तटों के आसपास मगरमच्छों के अंडे सुरक्षित नहीं रह पा रहे हैं।

इस सबको देखते हुए ही वन विभाग ने क्रोकोडाइल रेस्‍क्यू एंड ब्रीडिंग सेंटर स्थापित करने की योजना बनाई है। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग के मुताबिक भारतीय वन्यजीव संस्थान के साथ मिलकर इस योजना को आगे बढ़ाया जाएगा।

लखनऊ के कुकरैल घड़ि‍याल पार्क की तरह ही इस सेंटर को विकसित किया जाएगा। यहां मगरमच्छों के संरक्षण को कदम उठाए जाएंगे तो ब्रीडिंग भी कराई जाएगी। विभिन्न स्थानों से एकत्रित अंडों को भी यहां लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस सेंटर को नालेज पार्क के रूप में भी विकसित करने की मंशा है।

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