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उत्‍तराखंड में आदतन अपराधियों की अब आसानी से नहीं हो सकेगी जमानत, पढ़िए पूरी खबर

पुलिसकर्मियों की कोर्ट में सही पैरवी न होने के कारण अपराधी जमानत पर बाहर आ जाता है। इसको पुलिस मुख्यालय ने गंभीरता से लिया है। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने सभी थानाध्यक्षों को निर्देशित किया है कि अपराधी का पूरा रिकार्ड अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क में डाला जाए।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 18 Jun 2021 05:12 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jun 2021 05:12 PM (IST)
उत्‍तराखंड में आदतन अपराधियों की अब आसानी से नहीं हो सकेगी जमानत, पढ़िए पूरी खबर
उत्‍तराखंड में आदतन अपराधियों की अब आसानी से नहीं हो सकेगी जमानत।

सोबन सिंह गुसांई, देहरादून। पुलिसकर्मियों की कोर्ट में सही पैरवी न होने के कारण अपराधी जमानत पर बाहर आ जाता है और दोबारा आपराधिक घटना को अंजाम देता है। इसको पुलिस मुख्यालय ने गंभीरता से लिया है। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने प्रदेश के सभी थानाध्यक्षों को निर्देशित किया है कि अपराधी का पूरा रिकार्ड अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क (सीसीटीएनएस) में डाला जाए। ताकि कोर्ट में प्रभावी पैरवी होने पर अपराधियों को आसानी से जमानत न मिल सके।

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पुलिस मुख्यालय की ओर से अपराध पर किए समीक्षा के दौरान सामने आया कि कोरोनाकाल के दौरान हत्या, लूट, डकैती और अपहरण जैसे गंभीर अपराधों में कमी आई हो, लेकिन साइबर क्राइम के अलावा देह व्यापार रैकेट, आनलाइन सट्टा, नशा तस्करी, चाइल्ड ट्रैफिकिंग व चोरी जैसे अन्य अपराधों में बढ़ोतरी हुई है। समीक्षा के दौरान यह भी पाया गया है कि इन घटनाओं के पर्दाफाश के दौरान गिरफ्तार होने वाले अपराधी बार-बार उसी अपराध को घटित कर आसानी से कोर्ट से जमानत पर रिहा हो रहे हैं।

इसके बाद पुलिस महानिदेशक ने निर्देशित किया है कि अब संबंधित जांच अधिकारी पकड़े जाने वाले अपराधियों का अपराधिक रिकार्ड का रिकार्ड सीसीटीएनएस पर अपडेट रखेंगे। ताकि एक क्लिक पर उसका डाटा क्रिमिनल हिस्ट्री कोर्ट के समक्ष प्रभावी कार्रवाई के लिए रखी जा सके।

पुलिस मुख्यालय अब साइबर क्राइम, नशा तस्करी, चोरी, नकबजनी व सैक्स रैकेट जैसे अपराध की सीसीटीएनएस के तहत न सिर्फ निगरानी करेगा, बल्कि जिलेवार अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर संबंधित जांच अधिकारी को कोर्ट में प्रभावी पैरवी करने के लिए भी बाध्य करेगा। थाने का जांच अधिकारी बार-बार अपराध करने वाले अपराधी की पूरी हिस्ट्री का रिकार्ड एकत्र कर उसे कोर्ट के समक्ष रखेगा, ताकि उस पर प्रभावी रूप से शिकंजा कसा जा सके।

2009 में शुरू हुआ था सीसीटीएनएस

सीसीटीएनएस की शुरुआत वर्ष 2009 में हो हुई थी। इसमें अपराध से संबंधित अपराधी का पूरा रिकार्ड रहता है, लेकिन विवेचक अपराधियों की हिस्ट्री अपडेट नहीं करते, जिसके कारण केस मजबूत नहीं हो पाता और अपराधी को आसानी से जमानत मिल जाती है।

बोले अधिकारी

-नीलेश आनंद भरणे (डीआइजी अपराध एवं कानून व्यवस्था) का कहना है कि समीक्षा के दौरान यह देखने में आया है कि पुलिस जांच अधिकारी आदतन अपराधियों की कोर्ट में प्रभावी ढंग से पैरवी नहीं कर पाती, जिसके कारण उन्हें जमानत मिल जाती है और वह दोबारा अपराध करते हैं। इसलिए सभी थानाध्यक्षों को निर्देशित किया गया है आपराधिक घटना को अंजाम देने वाले अपराधियों का पूरा रिकार्ड सीसीटीएनएस पर डाला जाए, ताकि एक क्लिक में उसकी पूरी हिस्ट्री सामने आ सके और कोर्ट में प्रभावी पैरवी कर उसे सलाखों के पीछे पहुंचाया जा सके।

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