वेतन-भत्तों में कटौती को सत्तापक्ष के विधायकों ने दी सहमति, विपक्ष का इंतजार
कोरोना महामारी के मद्देनजर विधायकों के वेतन-भत्तों में 30 फीसद कटौती कर कोविड-19 फंड में जमा करने के लिए सत्ता पक्ष के सभी विधायकों ने सहमति दे दी है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। कोरोना महामारी के मद्देनजर विधायकों के वेतन-भत्तों में 30 फीसद कटौती कर कोविड-19 फंड में जमा करने के लिए सत्ता पक्ष के सभी विधायकों के साथ ही दो निर्दलीय और मनोनीत विधायक ने अपनी सहमति विधानसभा को दे दी है। अलबत्ता, विपक्ष कांग्रेस के सभी 11 विधायकों के सहमति पत्र का इंतजार किया जा रहा है।
उधर, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि जिन विधायकों से सहमति पत्र प्राप्त हो चुका है, उनके वेतन-भत्तों में कटौती की जा रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अन्य विधायकों से भी जल्द सहमति मिल जाएगी।
प्रदेश सरकार ने भी केंद्र की तर्ज पर एक साल तक अपने मंत्री-विधायकों के वेतन के साथ ही निर्वाचन क्षेत्र भत्ता व सचिवीय भत्ते में 30 फीसद कटौती कर कोविड-19 फंड में देने का निर्णय लिया है। इसे देखते हुए पिछले माह की शुरुआत में विधानसभा सचिवालय ने सभी विधायकों को अपनी सहमति देने के मद्देनजर पत्र भेजे थे। इसके बाद भी जब विधायकों से सहमति नहीं मिली।
बताया गया कि अपने-अपने क्षेत्रों में व्यस्त होने के कारण विधायकों को जानकारी नहीं हो पाई। तब विधानसभा सचिवालय की ओर से उन्हें रिमाइंडर भेजे गए। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री समेत कैबिनेट के सभी सदस्यों के वेतन भत्तों की कटौती सचिवालय से होनी है। इनकी सदस्य संख्या नौ है और वे सहमति भी दे चुके हैं।
अलबत्ता, भाजपा के शेष 48 विधायकों ने अपनी सहमति विधानसभा सचिवालय को दे दी है। दो निर्दलीय विधायकों और एक मनोनीत विधायक ने भी सहमति दी है। सूत्रों ने बताया कि सत्तापक्ष के दो विधायकों ने छह-छह माह और बाकी ने एक साल की सहमति दी है। इसी प्रकार दो निर्दलीय विधायकों में से एक ने एक माह और दूसरे ने सालभर के लिए सहमति पत्र दिया है। मनोनीत विधायक विधायक ने भी सहमति दी है।
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सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के 11 में से किसी भी विधायक ने अभी तक सहमति नहीं दी है। असल में विपक्ष इस मामले में उसे विश्वास में न लेने का आरोप सरकार पर लगा रहा है। माना जा रहा कि इसी के दृष्टिगत विपक्ष ने सहमति नहीं दी है।
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