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Coronavirus: देश की खातिर खुशी से आइसोलेशन व सेल्फ क्वारंटाइन में रह रहे प्रशिक्षु आइएफएस अधिकारी

कोरोना से बचाव खुद का भी और दूसरों का भी। इस बात को अब आइसोलेशन व सेल्फ क्वारंटाइन में रह रहे प्रशिक्षु आइएफएस अधिकारी भली-भांति समझने लगे हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 20 Mar 2020 09:34 AM (IST)Updated: Fri, 20 Mar 2020 09:34 AM (IST)
Coronavirus: देश की खातिर खुशी से आइसोलेशन व सेल्फ क्वारंटाइन में रह रहे प्रशिक्षु आइएफएस अधिकारी
Coronavirus: देश की खातिर खुशी से आइसोलेशन व सेल्फ क्वारंटाइन में रह रहे प्रशिक्षु आइएफएस अधिकारी

देहरादून, सुमन सेमवाल। कोरोना वायरस का इलाज बचाव ही है। बचाव खुद का भी और दूसरों का भी। इस बात को अब आइसोलेशन व सेल्फ क्वारंटाइन में रह रहे प्रशिक्षु आइएफएस अधिकारी भली-भांति समझने लगे हैं। काम से थक हारकर एकांत की इच्छा करना एक बात है और कई दिन एकांत में रहना दूसरी बात।

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स्पेन, फिनलैंड व रूस का दौरा कर लौटे प्रशिक्षु आइएफएस अधिकारी व फैकल्टी मेंबर जब दिल्ली और फिर वहां से कई घंटे का सफर कर दून लौटे तो आने वाले पल की उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी। उनका स्वागत स्टाफ ने नहीं, बल्कि मेडिकल किट के साथ तैयार खड़े अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. दिनेश व उनकी टीम ने किया। जिस स्टाफ से स्वागत की उन्होंने उम्मीद की थी, वह ऐसे दूर खड़े थे, जैसे सामने कोई डरावनी चीज देख ली हो। ऐसे हालात को देखकर प्रशिक्षु अधिकारी और फैकल्टी मेंबर सकते में आ गए। गुस्से से भरकर कई नव-अधिकारियों ने कहा कि यहां डॉक्टर क्या कर रहे हैं। उन्होंने ब्लड सैंपल देने से भी इन्कार कर दिया। जिन छह अधिकारियों को हल्के बुखार की शिकायत थी, बमुश्किल उनके सैंपल लिए जा सके।

प्रशिक्षु अधिकारियों को जोर का झटका तब लगा, जब उन्होंने स्टाफ से चाय मांगी। चाय तो जरूर आई, मगर टी-पॉट के साथ उसे दूर रख दिया गया। अधिकारी ताजा-ताजा स्वदेश आए थे, लिहाजा यहां की स्थिति उन्हें असामान्य लगी। वह कभी खुद पर खीज रहे थे, तो कभी स्टाफ पर। कुछ ने घर जाने की इच्छा जाहिर कर स्वजनों को कॉल किया तो वहां से भी अप्रत्याशित जवाब मिला। सभी ने कह दिया कि वह कुछ दिन वहीं रहें। हालांकि, अगली सुबह जब वह उठे और खबरों से रूबरू हुए तो उन्हें धीरे-धीरे अंदाजा होने लगा। फिर, जो छह सैंपल लिए गए थे, उनमें से एक में कोरोना वायरस की पुष्टि ने सभी को सतर्क कर दिया।

 अब उन्हें लगने लगा था कि क्यों प्रशासन उन्हें सैंपल लेने के लिए और दूसरों से परहेज करने के लिए दबाव बना रहा था। इसके बाद सभी ने निर्देश के अनुसार आइसोलेशन व सेल्फ क्वारंटाइन जोन में रहने की बात भी मान ली। क्योंकि तब तक प्रशिक्षु अधिकारी आइसोलेशन व क्वारंटाइन जोन में रहकर भी आपस में काफी करीब आकर बात कर रहे थे। एक प्रशिक्षु अधिकारी के पॉजिटिव आने के बाद तो सभी ने एहतियातन एक-दूसरे से पूरी तरह दूरी बना ली है। अब सभी पूरी तरह एकांतवास का पालन कर रहे हैं और खुद व देश के लोगों की सुरक्षा की खातिर इस अवधि को जी रहे हैं। इतना जरूर है कि खबरों के माध्यम से वह कोरोना से लड़ रहे देश की पल-पल की जानकारी ले रहे हैं।

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निदेशक व एक फैकल्टी मेंबर के लिए समय और मुश्किल

विदेश दौरे में शामिल इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के निदेशक व एक अन्य फैकल्टी मेंबर के लिए सेल्फ क्वारंटाइन का यह समय और विकट है। क्योंकि दोनों अधिकारी पास में होते हुए भी अपने परिवार से नहीं मिल पा रहे। दोनों अधिकारी अकादमी के गेस्टहाउस में एकांत में रह रहे हैं। अकादमी के अपर निदेशक एसके अवस्थी का कहना है कि परिवार के लोगों की सुरक्षा की खातिर इन दोनों अधिकारियों ने सेल्फ क्वारंटाइन होने में जरा भी संकोच नहीं किया। अपर निदेशक का कहना है कि अब इस बात की दुआ है कि जो शेष सैंपल रह गए हैं, वह सभी निगेटिव आ जाएं।

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