उत्तराखंड में भी शिक्षा ने तलाशी दुश्वारियों में नई राहें, मुश्किलों से जूझ जीतने का दिया हौसला
शिक्षा वही है जो दुश्वारियों में नई राह तलाशे और मुश्किलों में जूझने का हौसला दे और उमंग भी। उत्तराखंड में भी कोरोना महामारी के बीच शिक्षा ने नई राहें तलाशी हैं।
देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। दसवीं कक्षा, पहली बार बोर्ड परीक्षार्थी बनने और आने वाली परीक्षा का तनाव। सत्र शुरू लेकिन स्कूल बंद। इसी कश्मकश में देहरादून जिले के दूरदराज ग्रामीण क्षेत्र थानो की दसवीं की छात्र पायल कुकरेती के 23 दिन गुजरे। 24वें दिन दूरदर्शन पर कक्षाएं लगीं, तो आत्मविश्वास लौटा और उत्साह भी। लॉकडाउन के दौरान सरकार और शिक्षा महकमे की एक व्यावहारिक पहल खुद उसके लिए भी नई उम्मीदों का सबब बन गई है।
शिक्षा वही है जो दुश्वारियों में नई राह तलाशे और मुश्किलों में जूझने का हौसला दे और उमंग भी। कोरोना महामारी को रोकने के लिए जब लॉकडाउन घोषित किया गया तो जिस क्षेत्र पर सबसे ज्यादा मनोवैज्ञानिक दबाव पड़ा, वह है शिक्षा। नया सत्र शुरू होने से पहले ही स्कूल से लेकर डिग्री कॉलेज, विश्वविद्यालय सब कुछ बंद। 23 लाख स्कूली छात्र-छात्रएं तो करीब दो लाख उच्च, व्यावसायिक, तकनीकी और पैरामेडिकल शिक्षा ले रहे छात्र-छात्राएं घरों में कैद होकर रह गए। ऐसे में मौजूदा संकट में सबसे पहले काम आई ऑनलाइन पढ़ाई।
सरकारी से लेकर निजी कॉलेजों में जिस स्मार्ट मोबाइल फोन को छात्र-छात्राओं की पढ़ाई में मुसीबत का सबब माना गया, वह असल मुसीबत आने पर समाधान बन गया। जूम एप के उपयोग पर भले ही पाबंदी लगाई गई, लेकिन वर्तमान में मोबाइल के जरिये घर-घर तक छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं चलाने में इसी का उपयोग किया जा रहा है। हालांकि पाबंदी लगने के बाद अब यू-ट्यूब, वीडियो क्लिपिंग, विभिन्न वेबसाइट और एजुकेशन पोर्टल भी समाधान लेकर हाजिर हो चुके हैं। लॉकडाउन के दौर में घरों में प्राइमरी कक्षाओं से लेकर डिग्री स्तर तक छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन पढ़ते देखना अभिभावकों के लिए भी किसी रोमांचक अनुभव से कम नहीं है।
ऑनलाइन पढ़ाई की लहर आगे बढ़ी तो उत्तराखंड के पर्वतीय और ग्रामीण अंचलों का बड़ा क्षेत्र इससे अलग रहने को मजबूर है। वजह इंटरनेट कनेक्टिविटी की व्यापक समस्या के साथ ही निम्न आय वर्ग के अभिभावकों के लिए स्मार्ट फोन और ऑनलाइन पढ़ाई अब भी ख्वाब है। आश्चर्यजनक ये है कि इनमें से अभिभावकों और छात्रों की बड़ी तादाद की पहुंच टेलीविजन तक है। दूरदर्शन पर 9वीं, 10वीं व 12वीं की कक्षाएं इनके लिए उम्मीद की नई रोशनी की तरह है। देहरादून जिले पायल कुकरेती की ही तरह रुद्रप्रयाग जिले के जीआइसी मनसूना के छात्र अमन रावत, हरिद्वार जिले की उच्चतर माध्यमिक विद्यालय एथल की 9वीं की छात्र शबनम और ऊधमसिंह नगर जिले के जीआइसी दिनेशपुर के छात्र अभिषेक भी अब खुश हैं।
मुख्य सचिव उत्पल सिंह का कहना है कि लॉकडाउन में सबसे बड़ी चुनौती उन बच्चों तक शिक्षा को पहुंचाने की है, जिनके पास न तो ऑनलाइन पढ़ने की सुविधा है और न ही उसके लिए साधन। ऐसे में दूरदर्शन का पढ़ाई के लिए उपयोग करने का निर्णय लिया गया। इसके माध्यम से दूरदराज ग्रामीण और पर्वतीय अंचलों के बच्चों को भी शिक्षा का लाभ मिल पा रहा है।
वहीं, दूरदर्शन के लिए अंग्रेजी विषय के व्याकान तैयार करने वाले प्रवक्ता भुवन कनियाल कहते हैं कि ऑनलाइन और दूरदर्शन में अंग्रेजी विषय की पढ़ाई उत्तराखंड बोर्ड के बच्चों के लिए नया अनुभव है। लर्निंग और लिसनिंग पर उन्होंने जोर दिया तो अंग्रेजी बोलने में उनकी दक्षता में इजाफा होगा।
दूरदर्शन के लिए भौतिक विज्ञान के व्याख्यान तैयार करने वाले प्रवक्ता प्रदीप बहुगुणा का कहना है कि दूरदर्शन पर कक्षाएं चलने से मिलने वाला फीडबैक उत्साहजनक है। एक दिक्कत बच्चों के साथ संवाद कायम नहीं होने की है, लेकिन इससे ज्यादा जरूरी है कि बच्चों की पढ़ाई में रुकावटें न आएं।
इधर, उच्च शिक्षा क्षेत्रीय कार्यालय में तैनात एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जीपक कुमार पांडेय ने बताया कि सरकारी और अशासकीय डिग्री कॉलेजों में ऑनलाइन कक्षाएं जूम-एप के माध्यम से ली जा रही हैं, ऑनलाइन पढ़ाई में छात्रों के साथ संवाद भी होने से उनकी परेशानी दूर करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं।
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