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उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में टाट पट्टी पर बैठकर पढ़ते हैं छात्र, भला वहां कैसे पहुंचे ऑनलाइन क्लास

कोरोना वायरस संक्रमण के बीच हमारी शिक्षा व्यवस्था को भी नया आयाम मिलता दिख रहा है। ऑनलाइन प्लेटफार्म बच्चों के पठन-पाठन का सबसे बड़ा माध्यम बन गया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 28 Apr 2020 03:41 PM (IST)Updated: Tue, 28 Apr 2020 03:45 PM (IST)
उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में टाट पट्टी पर बैठकर पढ़ते हैं छात्र, भला वहां कैसे पहुंचे ऑनलाइन क्लास
उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में टाट पट्टी पर बैठकर पढ़ते हैं छात्र, भला वहां कैसे पहुंचे ऑनलाइन क्लास

देहरादून, जेएनएन। महामारी के इस दौर से समाज के हर वर्ग को नई सीखें मिली हैं। हमारी शिक्षा व्यवस्था को भी इससे नया आयाम मिलता दिख रहा है। उदाहरण के लिए जिस ऑनलाइन प्लेटफार्म को अब तक छात्र महज मनोरंजन का साधन समझकर इस्तेमाल करते थे। आज वह उनके लिए पठन-पाठन का सबसे बड़ा माध्यम बन गया है। देशभर में ऑनलाइन पढ़ाई का शोर सुनाई दे रहा है। हर घर में क्लासरूम जैसा नजारा आम है। शिक्षक भी इस प्रयोग के दूरगामी परिणाम देख रहे हैं। इसी कड़ी में देहरादून के नारी शिल्प बालिका इंटर कॉलेज में भी सफलतापूर्वक ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन हो रहा है। हांलकि, प्रदेश के जिन क्षेत्रों में बच्चे टाट पट्टी पर बैठकर पड़ाई करते हो वहां ऑनलाइन शिक्षा पहुंचाना बड़ी चुनौती है।   

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पिछले 90 वर्षों का इतिहास समेटे इस स्कूल में ऑनलाइन कक्षाओं ने मानो नए रक्त का संचार कर दिया है। हर कोई इस बदलाव को पसंद कर रहा है। सीखने का उत्साह जितना छात्राओं में है, उससे दोगुना शिक्षिकों में। अब स्कूल के शिक्षक और छात्राएं न सिर्फ इस बदलाव को भविष्य में भी बरकरार रखना चाहते हैं बल्कि इस दिशा में और सीखने की चाहत भी रखते हैं। 

इसी स्कूल से 12वीं में विज्ञान की पढ़ाई कर रही छात्र निशा तांती के घर में टीवी तक नहीं है। पिता से 10वीं में अच्छे नंबर लाने के बाद जिद करके किसी तरह स्मार्टफोन मंगवाया था। इन दिनों वह उसी स्मार्टफोन की मदद से दून से 1500 किलोमीटर दूर बिहार स्थित अपने गांव में ऑनलाइन पढ़ाई कर पा रही हैं। इसके अलावा निशा वहां दूसरे बच्चों की भी पढ़ाई में मदद कर रही हैं। 

निशा के पिता नंदलाल घरों में टाइल्स बिछाने का काम करते हैं। उनके लिए पढ़ाई में हुआ यह बदलाव अकल्पनीय है। वह कहते हैं, कभी सोचा नहीं था कि ऐसा बदलाव भी होगा। फोन से भी पढ़ाई हो सकेगी। वह तकनीक को भगवान से कम नहीं मानते, लेकिन इसके नकारात्मक प्रभावों से भी डरते हैं। वह कहते हैं कि बच्चों को फोन का इस्तेमाल केवल पढ़ाई के लिए ही करना चाहिए, इसके अलावा इससे दूरी बनाना ही उचित है।

जिस फोन को छूने पर पड़ती थी डांट, आज वही बना क्लासरूम

इस कॉलेज में सात साल से पढ़ाई कर रही छात्रा अंजली ने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें कभी ऑनलाइन क्लास में पढ़ने का भी मौका मिलेगा। अंजली के पिता ओमप्रकाश सब्जी बेचकर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। कल तक जो फोन इस्तेमाल करने के लिए अंजली को डांट पड़ती थी। आज पिता खुद उनको वही फोन देकर पढ़ाई करने की प्रेरणा देते हैं।

शिक्षिकाओं की सुनिये

नारी शिल्प बालिका इंटर कॉलेज में बिना किसी सहयोग के अपने बूते ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करवाने वाली अंग्रेजी की प्रवक्ता मोना बाली 29 साल से शिक्षण से जुड़ी हैं। मोना कहती हैं कि ऑनलाइन पढ़ाई का अनुभव उनके लिए नया और बेहतरीन है। इससे उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला। उनकी पहल के बाद दूसरे शिक्षकों ने भी इसे सीखने की इच्छा जताई। स्कूल में गृह विज्ञान की शिक्षिका गीता पिछले 25 साल से बच्चों को पढ़ा रही हैं। गीता का कहना है, उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा दिन भी आएगा, जब लोग घरों में कैद होंगे और ऑनलाइन पठन-पाठन होगा। खैर, समय के हिसाब से बदलाव भी जरूरी है।

देहरादून के 500 स्कूलों में चल रही ऑनलाइन पढ़ाई

नारी शिल्प बालिका इंटर कॉलेज की तरह ही दून के तकरीबन 500 निजी और सरकारी स्कूलों में लॉकडाउन के चलते ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है। इन स्कूलों के शिक्षक और प्रबंधन भी ऑनलाइन पढ़ाई के कॉन्सेप्ट को लॉकडाउन के बाद बरकरार रखना चाहते हैं। शिक्षकों का मानना है कि स्कूल में छात्र सीमित समय तक ही उनके साथ होते हैं। लेकिन, इसके बाद भी कोई छात्र पढ़ना चाहे तो ऑनलाइन पढ़ाई बेहतर विकल्प है।

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आखिरी छात्र तक पहुंचना चुनौती

ऑनलाइन पढ़ाई अच्छी पहल है, लेकिन प्रदेश में इसके जरिये आखिरी छात्र तक पहुंचना अभी एक बड़ी चुनौती है। जिस प्रदेश में अब भी हजारों छात्र-छात्राएं टाट पट्टी पर बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हों, वहां हर छात्र को स्मार्टफोन और इंटरनेट से जोड़कर ऑनलाइन पढ़ाई कराना अपने आप में एक बड़ा टास्क है। लेकिन, सभी शिक्षकों और अभिभावकों का यही मानना है कि अगर सरकार व स्कूल मिलकर सुदृढ़ व्यवस्था बनाएं तो जल्द यह मुकाम भी हासिल किया जा सकता है। 

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