उत्तराखंड में सरकार को हिलाएंगे एकजुट कांग्रेस के तीखे प्रहार, इन मुद्दों पर रहेगी नजर
23 सितंबर से हो रहे विधानसभा सत्र में सियासी जंग का नया रूप देखने को मिल सकता है। कांग्रेस तीखे अंदाज में सरकार पर प्रहार करने की तैयारी में है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। कोरोना संकटकाल में 23 सितंबर से हो रहे विधानसभा सत्र में सियासी जंग का नया रूप देखने को मिल सकता है। कांग्रेस तीखे अंदाज में सरकार पर प्रहार करने की तैयारी में है। तीन साल से विपक्ष में बैठी कांग्रेस इस बार पहली दफा विधानसभा में एकजुट दिखेगी। कोशिश ये की जा रही है कि सरकार और सत्तारूढ़ दल भाजपा को असहज किया जाए। पार्टी भाजपा विधायकों के अंदरूनी असंतोष को भी मुद्दा बनाने की फिराक में है।
वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इस चुनाव में अब ज्यादा वक्त शेष नहीं होने के कारण कांग्रेस आक्रामक मोड में है। कोरोना महामारी के बीच पार्टी सरकार के खिलाफ अपनी तैयारी में कसर नहीं छोड़ना चाहती है। बीते दो महीनों जुलाई और अगस्त में कांग्रेस विभिन्न मुद्दों को लेकर सड़कों पर उतर चुकी है। सरकार के लिए राहत की बात ये रही कि बीते दो महीनों में कांग्रेस की ओर से सरकार पर हमले हुए, लेकिन इनमें एकजुटता नदारद रही। सरकार के खिलाफ होने के बाद भी दिग्गजों में एका नहीं हो सकी। अब हालात तेजी से बदल रहे हैं। प्रचंड बहुमत के साथ तीन साल पहले सत्ता में आई भाजपा सरकार ने फिलवक्त कांग्रेस के हाथ कोई बड़ा मुद्दा लगने नहीं दिया है। इस बार हालात कुछ बदले हैं।
भाजपा के अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट विधानसभा क्षेत्र के विधायक महेश नेगी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने के बाद कांग्रेस मुखर हो गई है। विधानसभा में भी इसकी गूंज सुनाई देना तकरीबन तय है। पार्टी का प्रत्येक क्षत्रप इस मामले में सरकार की घेराबंदी करने में चूकना नहीं चाहता। पार्टी ने इसे लेकर अपना इरादा जाहिर कर दिया है। विधानसभा सत्र में सरकार को घेरने की कांग्रेस की मंशा को परवान चढ़ाने के लिए ही पार्टी ने वर्चुअल स्वरूप में सत्र के आयोजन का ही विरोध शुरू कर दिया है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा हृदयेश, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह और विधायक और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव काजी निजामुद्दीन वर्चुअल तरह से सत्र का विरोध कर रहे हैं।
दैवीय आपदा के दौरान प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में आपदा राहत नहीं पहुंचने को पार्टी कई दिनों से मुद्दा बनाए हुए है। मुद्दों की इस सूची में किसानों खासकर गन्ना किसानों का बकाया भुगतान भी जुड़ गया है। किसान कांग्रेस के कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने एक साथ शिरकत कर ये संकेत दे दिए हैं कि आने वाले समय में पार्टी एकजुट होकर सरकार पर प्रहार करने जा रही है।
बीते महीनों में तार-तार दिखी थी एका
प्रदेश में अब एकजुटता की ओर बढ़ रही कांग्रेस के भीतर कुछ दिनों पहले तक घमासान मचा हुआ था। प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से आयोजित प्रदेश उपाध्यक्षों और प्रदेश महामंत्रियों की दो दिनी बैठक में कांग्रेस दिग्गजों के बीच लैटर डिप्लोमेसी चली तो उनके समर्थकों ने जमकर गिले-शिकवे रखे थे। अनुशासनहीनता को लेकर प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह की चिट्ठी, पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय की प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम को लिखी पाती तो सोशल मीडिया पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की तकरीबन हर रोज आने वाली पाती में अक्सर अपनों पर भी गाहे-बगाहे निशाना साधा जा चुका है।
केंद्र से जुड़े मुद्दों पर भी नजर
प्रदेश कांग्रेस को यह पता है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में भी भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आगे रखकर विधानसभा चुनाव की वैतरणी पार करने की कोशिश करेगी। इस वजह से प्रदेश संगठन केंद्र की ओर से राज्य की उपेक्षा वाले मुद्दों को चुनने में जुट गया है। हाल ही में जीएसटी काउंसिल की बैठक में राज्य को जीएसटी प्रतिपूर्ति नहीं मिलने को पार्टी ने मुद्दा बनाया है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने क्षतिपूर्ति देने के मामले में वायदे से मुकर कर राज्य के भरोसे पर कुठाराघात किया है। दरअसल, इस विषय को उठाकर पार्टी केंद्र की मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रही है।
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