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सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्थाओं के खिलाफ फूटा गुस्सा, ये है मांग

सरकारी अस्पतालों की बदहाली पर छात्र संगठन आर्यन ने मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय का घेराव किया और ज्ञापन सौंपा।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 18 Dec 2018 02:28 PM (IST)Updated: Tue, 18 Dec 2018 02:28 PM (IST)
सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्थाओं के खिलाफ फूटा गुस्सा, ये है मांग

देहरादून, जेएनएन। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में व्याप्त अव्यवस्थाओं के खिलाफ छात्र संगठन आर्यन ने मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय का घेराव किया। कार्यवाहक मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. दयाल शरण के माध्यम से एक आठ सूत्रीय मांगपत्र स्वास्थ्य महानिदेशक को भेजा है। 

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सोमवार को बड़ी संख्या में आर्यन से जुड़े छात्र मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय पहुंचे और वहां प्रदर्शन किया। मुख्य चिकित्साधिकारी की छुट्टी होने के कारण छात्रों की उनसे मुलाकात नहीं हो सकी। जिस पर उन्होंने कार्यवाहक मुख्य चिकित्साधिकारी को ज्ञापन सौंपा। जिन्होंने छात्रों की जिद पर सीएमओ से फोन पर बात करवाई। डीएवी छात्रसंघ महासचिव शूरवीर सिंह चौहान ने कहा कि आए दिन महिलाओं के प्रसव सड़क और अस्पताल के फर्श पर होने की बात सामने आ रही है। इससे स्वास्थ्य सेवाओं की दयनीय स्थिति साफ पता चलती है। उन्होंने अस्पतालों के नियमित निरीक्षण की मांग की। 

उधर डॉ. शरण ने कहा कि मांगपत्र स्वास्थ्य महानिदेशक को भेजा गया है। छात्रों की जायज मांगो पर कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान संदीप कुकरेती, अनीष राठौर, संजय चंद, आशीषा रावत, रमेश तोमर, नैन सिंह, सुमित श्रीवास्तव, अभेषेक, अतुल, प्रवीन चौहान, बलबीर, विशाल, समीर आदि लोग मौजूद रहे। 

ये हैं प्रमुख मांग 

-ओपीडी में सुव्यवस्थित रूप से काम हो। 

-मरीजों के ऑपरेशन में किसी तरह का व्यवधान न रहे। 

-अस्पतालों में साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाए। 

-डॉक्टर समय से अस्पताल पहुंचना सुनिश्चित करें। 

-चिकित्सकों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगे। 

-दून अस्पताल में जच्चा-बच्चा के इलाज में बरती जा रही लापरवाही पर लगाम। 

-पहाड़ पर चिकित्सकों की कमी पूरी की जाए। 

- पहाड़ पर तैनात चिकित्सकों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए। 

113 सरकारी विशेषज्ञ चिकित्सकों को राहत 

सरकारी अस्पतालों में कार्यरत 113 विशेषज्ञ चिकित्सकों को सरकार ने बड़ी राहत दी है। उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल में उनके प्रॉविजनल रजिस्ट्रेशन शुरू हो गए हैं। स्वास्थ्य सचिव नितेश झा ने इस बावत आदेश जारी किए थे। 

गत वर्षो में उत्तराखंड के डॉक्टरों को विशेषज्ञता हासिल करने के लिए उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में पीजी सीटें आवंटित की गई। इस व्यवस्था के तहत अब तक कुल 113 डॉक्टर उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों से पीजी डिप्लोमा कर चुके हैं, जबकि 19 अभी भी अध्ययनरत हैं। जिन मेडिकल कॉलेजों से डॉक्टरों ने पीजी किया, उन्होंने इन्हें गैर मान्यता वाली सीटों पर दाखिला दिया। 

यही कारण है कि इन डॉक्टरों की डिग्री को लेकर सवाल खड़े हो गए। वर्तमान में यह सभी चिकित्सक प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं। उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल ने इन डॉक्टरों को नोटिस जारी किए थे। इनकी विशेषज्ञ के तौर पर प्रैक्टिस पर भी आपत्ति दर्ज की थी। इसके अलावा एमसीआइ को पत्र भेज दिशा निर्देश भी मांगे गए थे। प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ की मांग थी कि राज्य सरकार इन विशेषज्ञ चिकित्सकों को मान्यता दे। उनका उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल में विशेषज्ञ के तौर पर पंजीकरण किया जाए। प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. डीपी जोशी ने कहा कि यह स्वागत योग्य कदम है।

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