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उत्तराखंड: अटल आयुष्मान योजना में गड़बड़ी सामने आई तो पुख्ता किया तंत्र

स्वास्थ्य अभिकरण ने आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़े के मामलों से सख्ती से निपटने और भविष्य में किसी गड़बड़ी की गुंजाइश न रहे इसके लिए पुख्ता इंतजाम भी किए।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 04 Jan 2020 04:32 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jan 2020 08:57 PM (IST)
उत्तराखंड: अटल आयुष्मान योजना में गड़बड़ी सामने आई तो पुख्ता किया तंत्र

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में आयुष्मान योजना का आगाज होने के बाद ही इसे घपलों के 'वायरस' ने अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया था। निजी अस्पतालों ने मोटी कमाई करने के लिए योजना को दागदार करने की कोशिश की। न केवल फर्जी क्लेम बल्कि कार्डधारक से शुल्क वसूलने के भी मामले सामने आए, लेकिन राज्य स्वास्थ्य अभिकरण इन मामलों से सख्ती से निपटनेे और भविष्य में किसी गड़बड़ी की गुंजाइश न रहे, इसके लिए पुख्ता इंतजाम भी किए। स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर तैयार करने के साथ ही डेली क्विक ऑडिट सिस्टम विकसित किया। साथ ही बेनेफिशरी ऑडिट का प्रस्ताव भी केंद्र को भेजा गया है। 

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प्रदेश में अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के अभी तक 36 लाख के गोल्डन कार्ड बने हैं। इस वक्त राज्य स्तर पर अधिकाधिक लोगों के गोल्डन कार्ड बनाने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। सालभर में एक लाख दस हजार मरीजों को इस योजना का लाभ मिल चुका है, जिस पर 105 करोड़ रुपये की धनराशि व्यय की गई है लेकिन ऐसा नहीं है कि योजना में सबकुछ सुगम रहा। एक साल के भीतर ही देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर जिले के 13 निजी अस्पतालों में फर्जीवाड़ा पकड़ा गया। 

जांच में पाया गया कि निजी अस्पतालों ने कमाई के फेर में फर्जी क्लेम प्रस्तुत किए। कहीं सामान्य रूप से बीमार मरीज को इमरजेंसी में भर्ती दिखाया, तो कहीं आइसीयू व डायलिसिस के नाम पर गड़बड़ी की गई। किया। सरकारी अस्पतालों से मरीजों को निजी अस्पतालों में रेफर करने में भी खेल हुआ। पता लगा कि सरकारी अस्पतालों में संविदा पर तैनात डॉक्टर निजी अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं। वे सरकारी अस्पताल में इलाज न कर मरीजों को निजी अस्पतालों में रेफर कर रहे हैं। एक के बाद एक गड़बडिय़ों पर राज्य स्वास्थ्य अभिकरण ने संज्ञान लिया और आगे इस तरह के फर्जीवाड़े न हों, यह सुनिश्चित करने के लिए एक पुख्ता तंत्र तैयार कर लिया है। 

अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के अध्यक्ष डीके कोटिया का कहना है कि हमारे यहां 99.5 फीसद कार्ड आधार से सत्यापित हैं। 0.5 फीसद कार्ड उन बुजुर्गों व बच्चों के हैं जिनके बायोमीट्रिक में दिक्कत आ रही है। कार्ड बनने की प्रक्रिया में कई चरण हैं। सीएससी से आवेदन होने के बाद  इंप्लीमेंटेशन सपोर्ट एजेंसी (आइएसए) इसे अप्रूव करती है। इसके बाद राज्य स्वास्थ्य अभिकरण भी इसे चेक करती है, तब ही कार्ड जारी होता है। जहां तक क्लेम अदायगी का पक्ष है, इसके लिए भी एक पूरा तंत्र विकसित किया गया है। किसी भी केस में पूर्वानुमति, क्लेम की स्वीहृति आदि के लिए मानक तय किए गए हैं।

ये हुई कार्रवाई 

-13 अस्पतालों की सूचीबद्धता की गई निरस्त। 

-140.89 लाख के क्लेम किए गए निरस्त, 83.18 लाख जुर्माना लगाया। 

-एक निजी अस्पताल पर रोगी का इलाज करने से मना करने पर 11.82 लाख जुर्माना लगाया। 

-13 अस्पतालों के अलावा छह ऐसे निजी अस्पताल जो अनुबंध की शर्तों के अनुसार कार्य नहीं कर रहे थे, उनकी सूचीबद्धता की निरस्त। 

क्या है स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर 

योजना में गड़बड़झाला करने वाले अस्पतालों पर नकेल कसने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) तैयार की गई है। किसी भी केस में पूर्वानुमति, क्लेम की स्वीकृति आदि के लिए मानक तय किए गए हैं। अभी तक सामने आए फर्जीवाड़े के आधार पर तकरीबन 35-40 बिंदु की चेक लिस्ट तैयार की गई है। 

प्रदेश में है यूनिवर्सल कवरेज 

केंद्र सरकार ने 23 सितंबर 2018 को आयुष्मान भारत योजना शुरू की थी। केंद्र के मानकों के अनुसार प्रदेश के 5.37 लाख परिवार ही निश्शुल्क इलाज के लिए पात्र हैं लेकिन प्रदेश सरकार ने आयुष्मान योजना का दायरा बढ़ाकर 25 दिसंबर 2018 से प्रदेश के सभी 23 लाख परिवारों के लिए निश्शुल्क सुविधा दी है। प्रदेश के करीब 17.65 लाख परिवारों के इलाज का खर्च प्रदेश सरकार स्वयं वहन कर रही है, जबकि केंद्र से 5.37 लाख पात्र परिवारों के इलाज पर होने का खर्च का भुगतान प्रदेश सरकार को किया जाएगा। 

अस्पताल संचालकों पर मुकदमा 

अटल आयुष्मान योजना से जुड़े घोटाले में अस्पताल संचालकों के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में मुकदमा भी दर्ज किया गया है। यानि संबद्धता समाप्त करने व जुर्माना लगाने साथ ही विधिक कार्रवाई भी अमल में लाई जा रही है। पुलिस इन मामलों की विवेचना कर रही है। 

विशेष अभियान की तिथि 25 जनवरी तक बढ़ी 

अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के गोल्डन कार्ड बनाने के लिए चलाए जा रहे विशेष अभियान की समय सीमा आगामी 25 जनवरी तक बढ़ा दी गई है। इस बावत राज्य स्वास्थ्य अभिकरण के निदेशक (प्रशासन) डॉ. अभिषेक त्रिपाठी ने सभी जनपदों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों, सूचीबद्ध सरकारी व निजी अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षकों को आदेश जारी किए हैं। 

राज्य में अटल आयुष्मान योजना के एक साल पूरे होने के उपलक्ष्य में विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य यह है कि इस दौरान सभी लाभार्थियों के गोल्डन कार्ड बनाए जाएं। पूर्व में 25 नवंबर से 25 दिसंबर तक विशेष अभियान चलाए जाने का निर्णय लिया गया था।  बाद में इसकी अवधि बढ़ाकर दस जनवरी तक कर दी। वहीं शुक्रवार को अभियान की अवधि आगामी 25 जनवरी तक बढ़ाने के आदेश जारी किए गए हैं। इसका कारण मौसम का मिजाज बिगडऩा व जन सेवा केंद्रों के सॉफ्टवेयर में आ रही तकनीकी खामी बताई जा रही है। ऐसे में राज्य स्वास्थ्य अभिकरण ने अभियान को पंद्रह दिन और बढ़ाने का निर्णय लिया है। 

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जनपदों के सीएमओ व सूचीबद्ध अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षकों को जारी आदेश में राज्य स्वास्थ्य अभिकरण ने कहा है कि विशेष अभियान के दौरान लाभार्थी परिवार के सभी सदस्यों का गोल्डन कार्ड बनाना अनिवार्य है। अभियान में आशा कार्यकर्ता व आरोग्य मित्रों को भी शामिल किया गया है। इसके लिए उन्हें प्रोत्साहन राशि व पुरस्कार दिए जाने का प्रावधान भी किया गया है। कहा कि विशेष अभियान के दौरान चिकित्सालयों में तैनात आरोग्य मित्रों द्वारा अधिक से अधिक गोल्डन कार्ड बनाने के लिए अतिरिक्त लॉगिन आइडी की आवश्यकता है तो राज्य स्वास्थ्य अभिकरण से संपर्क कर अतिरिक्त लॉगिन आइडी प्राप्त की जा सकती है। ताकि अभियान के दौरान अधिक से अधिक लोगों के गोल्डन कार्ड बन सकें।

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उन्होंने कहा कि अभियान को सफल बनाने के लिए सभी अधिकारी अपना शत-प्रतिशत योगदान सुनिश्चित करें। बता दें, अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के अंतर्गत अभी तक लगभग 36 लाख लाभार्थियों के गोल्डन कार्ड बने हैं, जबकि प्रदेश में एक करोड़ 10 लाख लोगों के कार्ड बनाए जाने हैं। 

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