अपराधियों के फिंगर प्रिंट का बनेगा कंप्यूटराइज्ड डाटा बेस
कुख्यात और शातिर किस्म के अपराधियों को पकड़ना अब आसान हो जाएगा। इसके लिए पुलिस ने अपराधियों के फिंगर प्रिंट का कंप्यूटराइज्ड डाटा बेस तैयार करना शुरू कर दिया है।
देहरादून, जेएनएन। जरायम की दुनिया के कुख्यात और शातिर किस्म के अपराधियों को पकड़ना अब और भी आसान हो जाएगा। इसके लिए पुलिस ने अपराधियों के फिंगर प्रिंट का कंप्यूटराइज्ड डाटा बेस तैयार करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। इस डाटा बेस के लिए हाइटेक स्कैनर मशीन से अपराधियों के फिंगर प्रिंट लिए जाएंगे। वहीं, आने वाले दिनों में रेटिना स्कैनर और फेस रिकगनाइजेशन (चेहरा मिलान) सिस्टम को भी पुलिसिंग का हिस्सा बनाया जाएगा।
पुलिस ने बड़ी घटनाओं के बाद पकड़े जाने वाले बदमाशों की कुंडली को हाईटेक करने की तैयारी कर ली है। इसके तहत एक-एक बदमाश की फोटो, उसका पूरा परिचय और अंगुलियों के निशान तक लिए जाएंगे और उन्हें पुलिस के सर्वर में सुरक्षित रखा जाएगा। इसके लिए घटनास्थल पर मिले अंगुलियों को निशान को कंप्यूटर में अपलोड कर बदमाशों के फिंगर प्रिंट से मिलान किया जाएगा। अंगुलियों के निशान मैच होते ही यह पता चल जाएगा कि वारदात में कौन-कौन शामिल हैं।
इससे राज्य में जब कहीं भी कोई घटना होगी तो उसमें शामिल होने पर इन बदमाशों की पहचान में मदद मिलेगी। सूत्रों की मानें तो पुलिस पिछले तीन चार साल से लगातार अपराधियों का डाटा तैयार कर रही है। अभी तक दो हजार से ज्यादा शातिर बदमाशों और लुटेरों का रिकार्ड तैयार कर किया जा चुका है। लुटेरों और डकैतों के अलावा पेशेवर चोर गिरोहों की हिस्ट्री भी कंप्यूटर में दर्ज कर ली गई है। गिरोहों के अपराध के तरीकों पर अलग से एलबम भी तैयार किया जा रहा है। इससे यह आसानी से पता लगाया जा सकता है कि कौन से गिरोह की मोड्स ऑपरेंडी (वारदात का तरीका) कैसा है? अपराध के तरीकों का अध्ययन करने से भी आरोपियों की पहचान में भी मदद मिलेगी।
ऐसे तैयार हो रही कुंडली
थानों में अभी अपराधियों के फिंगर प्रिंट लेने के लिए किट दी गई है। इसकी स्ट्रिप पर प्रिंट लेकर उसे डोजियर में सुरक्षित रख दिया जाता है। लेकिन आने वाले दिनों में अंगुलियों और पैरों के निशान लेने के लिए बाकायदा मशीन लगाई जाएगी।
बनेगा हाईटेक इंट्रोगेशन रूम
हाईटेक इंट्रोगेशन रूम बनाने की भी योजना है। अपराधियों से पूछताछ के लिए आधुनिक तकनीक और उपकरण के लिए अफसरों से प्रस्ताव मांगे गए हैं। हाइटेक इंट्रोगेशन रूम में वीडियो और वाइस रिकॉर्डिंग की सुविधा होगी। पूछताछ के लिए कई तरह के आधुनिक उपकरण लगाने पर विचार किया जा रहा है। इसमें पॉलीग्राफ मशीन भी शामिल है।
अपराधियों की बनेगी लाइब्रेरी
इंट्रोगेशन रूम में अपराधियों के रिकॉर्ड की लाइब्रेरी भी होगी। शहर के अलग-अलग थानों के हिसाब से वहां के शातिर और निगरानी वाले बदमाशों का रिकार्ड उनकी फोटो के साथ रखा जाएगा। इसमें सभी तरह के अपराधों की डायरी तैयार की जाएगी। जिसमें अपराधियों की पृष्ठभूमि से लेकर कितने बार कितने समय जेल में बंद रहे, इसका पूरा ब्योरा दर्ज होगा।
जेलों से लिए जाएंगे रिकार्ड
जेल में बंद कैदियों और बंदियों के भी फिंगर प्रिंट व फोटो हाईटेक तरीके से लिए जाएंगे। इसके साथ ही वह कहां से आए हैं और किस-किस मामले में पहले कौन कौन सी जेलों में बंद रह चुके हैं, इसका भी रिकार्ड तैयार ऑनलाइन किया जाएगा।
नकाबपोश भी होंगे बेनकाब
आमतौर पर डकैती डालने वाले गिरोह वारदात के समय अपने चेहरे को छिपाते हैं, लेकिन हाथ में दास्ताने नहीं पहनते। सामानों को हाथ लगाने के बाद वे फिंगर प्रिंट के निशान नहीं मिटाते। ईश्वरन डकैती कांड के वक्त ऐसा ही हुआ था। अफसरों का दावा है कि फिंगर प्रिंट का निशान मैच होने से यह पता चल जाएगा कि नकाब के पीछे कौन से गिरोह का कौन सदस्य है। इससे अपराधों को सुलझाने में मदद मिलेगी।
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बोले अधिकारी
अशोक कुमार (पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था) का कहना है कि अपराधियों पर शिकंजा कसने और पुलिसिंग को हाईटेक बनाने की दिशा में आने वाले समय में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने हैं। इस पर पिछले महीने पुणे में हुई राष्ट्रीय स्तर की कॉन्फ्रेंस में चर्चा की गई थी। सुधारों का रोडमैप तैयार करने के लिए कमेटी गठित कर दी गई है। रिपोर्ट आने के बाद क्रियान्वयन शुरू हो जाएगा।
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