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दून-हरिद्वार राजमार्ग चौड़ीकरण के लिए कंपनी चयनित

एनएचएआइ ने अधूरे पड़े हरिद्वार-देहरादून राजमार्ग चौड़ीकरण के काम को आगे बढ़ाने के लिए टेंडर के माध्यम से दो कंपनियों का चयन कर लिया है।

By Edited By: Published: Thu, 27 Sep 2018 03:00 AM (IST)Updated: Thu, 27 Sep 2018 04:09 PM (IST)
दून-हरिद्वार राजमार्ग चौड़ीकरण के लिए कंपनी चयनित
दून-हरिद्वार राजमार्ग चौड़ीकरण के लिए कंपनी चयनित

देहरादून, [जेएनएन]: नवंबर 2010 से लटका हरिद्वार-देहरादून राजमार्ग चौड़ीकरण कार्य अब रफ्तार पकड़ पाएगा। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने अधूरे पड़े काम को आगे बढ़ाने के लिए टेंडर के माध्यम से दो कंपनियों का चयन कर लिया है। अक्टूबर माह में चयनित कंपनियों के साथ अनुबंध भी कर लिया जाएगा।चौड़ीकरण कार्य से एरा इंफ्रा को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद एनएचएआइ ने कमान अपने हाथ में ले ली थी। अधूरे पड़े चौड़ीकरण कार्य को पूरा कराने के लिए अगस्त माह में टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। जिसके क्रम में यूपी बिल्ट कॉरपोरेशन और एटलस कंस्ट्रक्शन प्रा.लि. को टेंडर आवंटित किए गए हैं।

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हरिद्वार से लालतप्पड़ तक का काम यूपी बिल्ट करेगी, जबकि इससे आगे मोहकमपुर तक चौड़ीकरण कार्य का जिम्मा एटलस के पास रहेगा। प्राधिकरण के परियोजना निदेशक प्रदीप गुसाईं ने बताया कि अनुबंध गठित करने के बाद तैयारी के लिए दोनों कंपनी को एक माह का समय दिया जाएगा। काम शुरू होने के बाद काम पूरा करने के लिए एक साल का समय दिया जाएगा।

500 करोड़ का काम शेष परियोजना निदेशक गुसाईं ने बताया कि हरिद्वार से देहरादून तक के करीब 39.025 किलोमीटर भाग (चौड़ीकरण के बाद दूरी 36.52 किमी रह जाएगी) पर अवशेष कार्यों की लागत करीब 500 करोड़ रुपये आकी गई है। इस दफा काम में किसी तरह की कोताही नहीं बरती जाएगी।परियोजना में यह होंगे बड़े काम 

- एलीफैंट कॉरीडोर अंडरपास (लालतप्पड़ व तीन पानी) 

- रेलवे अंडरब्रिज (मोतीचूर) 

- मेजर ब्रिज (मोतीचूर) 

- तीन एलीफैंट अंडरपास (लालतप्पड़, तीन पानी, मोतीचूर) 

- वेक्यूली अंडरपास (भानियावाला) 

मुजफ्फरनगर-हरिद्वार राजमार्ग पर बैंकों को जिम्मा 

एनएचएआइ के परियोजना निदेशक के मुताबिक, मुजफ्फरनगर-हरिद्वार के बीच करीब 80 किलोमीटर भाग पर अवशेष चौड़ीकरण कार्य को पूरा करने के लिए बैंक ही कॉन्ट्रैक्टर मुहैया कराएंगे। अनुबंध में ऐसी शर्त थी कि यदि किसी कारण से चयनित कंपनी से काम वापस ले लिया जाता है तो संबंधित बैंक (ऋण मुहैया कराने वाले) नए कॉन्ट्रैक्टर का चयन कर सकते हैं, ताकि उनका पैसा डूबे नहीं। इस भाग पर काम की प्रगति करीब 72 फीसद है।

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