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Cloudburst in Dehradun : आपदा में जमींदोज हो चुका मकान, मलबे में हो रही कई तोले सोने की तलाश

Cloudburst in Dehradun मालदेवता के छमरोली-सरखेत क्षेत्र में आई प्राकृतिक आपदा में जहां अधिकांश लोग अपना सब कुछ खोने के बाद हताश हैं तो वहीं कुलदीप सिंह रविवार को अपनी जमा-पूंजी नौ तोला सोना तलाश रहे थे।

By Nirmala BohraEdited By: Published: Mon, 22 Aug 2022 08:30 AM (IST)Updated: Mon, 22 Aug 2022 08:30 AM (IST)
Cloudburst in Dehradun : घर में एक आलमारी के अंदर रखे हुए थे सारे गहने। जागरण

सोबन सिंह गुसांई, देहरादून : Cloudburst in Dehradun : उम्मीद पर दुनिया कायम है। सरखेत निवासी कुलदीप के जज्बे पर यह पंक्ति सटीक बैठती है।

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छमरोली-सरखेत क्षेत्र में आई प्राकृतिक आपदा में जहां अधिकांश लोग अपना सब कुछ खोने के बाद हताश हैं, तो वहीं कुलदीप सिंह रविवार को अपनी जमा-पूंजी नौ तोला सोना तलाश रहे थे। लेकिन, मकान की जगह दूर-दूर तक मलबा नजर आ रहा था। उन्हें उम्मीद है कि मलबा हटने पर सोना जरूर मिलेगा।

घर में एक आलमारी के अंदर रखे हुए थे सारे गहने

सरखेत निवासी कुलदीप सिंह के अनुसार, डेढ़ वर्ष पहले उनकी शादी हुई थी। उसकी पत्नी के पास कुछ तोला सोने के गहने थे और कुछ दिन पहले बेटी का अन्नप्राशन हुआ था, जिसमें बच्ची के ननिहाल की ओर से कुछ गहने मिले थे। यह सारे गहने उन्होंने घर में एक आलमारी के अंदर रखे हुए थे।

शुक्रवार रात आई आपदा में उनका मकान मलबे में दब गया। शनिवार को मलबा थोड़ा कम होने पर उन्हें आलमारी का एक हिस्सा दिखा, जिसके बाद से वह और उनके ससुर गहनों की तलाश में लगे हुए हैं। हालांकि, मलबा पूरा हटने के बाद ही उन्हें सोना मिलने की संभावना है।

आपदा वाले दिन देहरादून आए थे कुलदीप

कुलदीप ने बताया कि शनिवार को देहरादून में उनका बीएड का पेपर था। इसके लिए वह शुक्रवार को देहरादून अपने रिश्तेदार के घर आ गए। उसी रात आपदा आ गई। ऐसे में वह शनिवार को पेपर दिए बिना ही सरखेत पहुंच गए।

वहां मकान की जगह सिर्फ मलबा नजर आ रहा था। उनका पूरा मकान मलबे के नीचे दब गया। अपनों की तलाश में पहले तो वह इधर-उधर भटके, फिर पता चला कि परिवार ने एक स्कूल में शरण ली हुई है।

तब जाकर उन्होंने राहत की सांस ली। कुलदीप के अनुसार आपदा के बीच शोर सुनकर स्वजन सचेत हुए और घर छोड़कर सुरक्षित स्थान पर चले गए।

जिन पत्थरों पर टिकी थी खुशियां वो दर्द के निशान बन गए

कल तक जहां मिट्टी पत्थर की दीवारों के भीतर भरे-पूरे परिवार की खुशियों का बसेरा था, जाने किसकी नजर लगी कि पलभर में घर तिनके की तरह मलबे के ढेर में बदल गया।

आपदा के बाद अब सरखेत पीपीसीएल में पत्थरों के बीच सिर्फ उजड़े घरों की निशानी रह गई है। नदी ने ऐसा रौद्र रूप दिखाया कि उसके रास्ते में मकान गांव की तरफ जाती सड़क जो भी आया उसे लील लिया।

यहां पहुंचकर कोई भी यह नहीं बता सकता है कि इस जगह पर कभी कोई मकान रहे हों। आपदा के एक दिन बाद पत्थरों के ऊपर टूटी-फूटी मशीन, खाली टिन का बक्शा, श्रंगार दान का डिब्बा, बच्चों की किताब कापियां, घर के दस्तावेज, बर्तन, कपड़े, परिवार के सदस्यों के जूते व चप्पल नजर आ रहे हैं।

सरखेत पीपीसीएल में हर किसी के आंखों में आंसू हैं। वर्षों से यहां रह रहे लोगों के घर पूरी तरह से मलबे के ढेर में बदल चुके हैं।

पशु नदी में बह गए व निचले कमरों में पूरा मलबा भरा हुआ है। जिस खेती की बदौलत वह अपनी रोजी रोटी चला रहे थे, वह खेत या तो बह गए या फिर उनमें मलबा आ गया है। सरखेत पीपीसीएल के ऊपर घंतू का सेरा गांव का रास्ता भी बंद है। यहां दो मकानों के नीचे लोग दबे हुए हैं। स्थानीय लोग एक दूसरे की मदद के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं।

दो स्कूलों में घुसा मलबा

सरखेत व सरखेत पीपीसीएल में दो स्कूल हैं। इनमें से एक प्राइमरी तो दूसरा जूनियर हाई स्कूल है। दोनों स्कूलों में मलबा घुसा हुआ है। जनजीवन अस्त व्यस्त होने के चलते क्षेत्र में स्कूल दोबारा कब शुरू होंगे इसका पता नहीं है। ग्रामीणों के सामने भोजन का भी संकट खड़ा हो गया है।

नुकसान का कराया जा रहा आकलन

मंडलायुक्त गढ़वाल सुशील कुमार ने देहरादून, टिहरी और पौड़ी में आपदा से हुए नुकसान के आकलन के निर्देश दिए हैं। उन्होंने राहत एवं बचाव कार्य निरंतर जारी रखने को भी कहा है।

रविवार को जारी प्रेस बयान में मंडलायुक्त सुशील कुमार ने कहा कि राहत एवं बचाव कार्य मे एक राजकीय हेलीकाप्टर तैनात किया गया है।

वहीं, एसडीआरएफ के 64 व एनडीआरएफ के 39 जवान दिन-रात जुटे हैं। आपदा से सरकारी व निजी संपत्ति के नुकसान का आकलन किया जा रहा है। वहीं, जन व पशु क्षति के मुताबिक आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। लापता हुए व्यक्तियों की खोज में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही।


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