उत्तराखंड की तबादला नीति में एक और बदलाव संभव, पढ़िए पूरी खबर
तबादला नीति में पदोन्नति के लिए दुर्गम क्षेत्र में सेवा के लिए दी गई तय अवधि (संक्रमणकाल) के मानक में बदलाव की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
By Edited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 09:15 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2020 02:54 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश की तबादला नीति में पदोन्नति के लिए दुर्गम क्षेत्र में सेवा के लिए दी गई तय अवधि (संक्रमणकाल) के मानक में बदलाव की संभावनाएं बढ़ गई हैं। माना जा रहा है कि शासन पदोन्नति में इसकी बाध्यता समाप्त करेगा या फिर दुर्गम क्षेत्र में सेवा करने के लिए दी गई तय अवधि को आगे बढ़ा सकता है।
शासन द्वारा वर्ष 2017 में बनाई तबादला नीति में प्रथम और द्वितीय पदोन्नति के लिए मानक तय किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि पदोन्नति तभी दी जाएगी, जब कर्मचारी ने न्यूनतम अर्हकारी सेवा का न्यूनतम आधा भाग दुर्गम तैनाती पर व्यतीत किया गया हो। इसके लिए 30 जून 2020 तक की तिथि तय की गई थी। यानी इस तिथि से पहले कार्मिक ने दुर्गम में समय व्यतीत किया है। यह समय सीमा अब समाप्त हो गई है। नीति के इसी बिंदु के कारण कई विभागों में कार्मिकों की पदोन्नति नहीं हो पा रही है।
इससे कार्मिकों में खासा रोष है। उनका तर्क है कि तबादला नीति लागू होने के बाद हर वर्ष विभागों में केवल 10 फीसद तबादले हुए हैं। ऐसे में कई कार्मिक दुर्गम तैनाती के दायरे में नहीं आ पाए। मौजूदा वर्ष शून्य सत्र घोषित हो चुका है। ऐसे में कार्मिकों का दुर्गम में स्थानातरण होना भी संभव नहीं है। शासन या विभाग द्वारा यदि तबादला दुर्गम में नहीं किया गया है तो कार्मिक को कैसे पदोन्नति से वंचित किया जा सकता है।
सोमवार को उत्तरांचल फेडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन ने इस मसले को अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के साथ हुई बैठक में उठाया। एसोसिएशन के प्रांतीय महामंत्री पूर्णानंद नौटियाल ने कहा कि बैठक में उन्हें आश्वासन दिया गया है कि या तो संक्रमणकाल की अवधि बढ़ाई जाएगी अथवा प्रथम या द्वितीय पदोन्नति से इस व्यवस्था को समाप्त किया जाएगा। उधर, अपर सचिव कार्मिक एसएस वाल्दिया ने कहा कि फिलहाल मौजूदा एक्ट अस्तित्व में है। कार्मिकों की दिक्कतों को देखते हुए सरकार के दिशा-निर्देशों के क्रम में उचित निर्णय लिया जाएगा।
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