कारोबारियों ने खुद ही अतिक्रमण तोड़ना किया शुरू, त्यागी रोड पर 64 अतिक्रमण चिह्नित
अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत कारोबारियों को खुद अतिक्रमण ध्वस्त करने का अवसर दिए जाने के सकारात्मक परिणाम दिख रहे हैं। त्यागी रोड के कई कारोबारियों ने स्वयं अतिक्रमण तोड़ना शुरू कर दिया है। इस रोड पर कुल 64 अतिक्रमण चिह्नित किए गए हैं।
देहरादून, जेएनएन। अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत कारोबारियों को खुद अतिक्रमण ध्वस्त करने का अवसर दिए जाने के सकारात्मक परिणाम दिख रहे हैं। त्यागी रोड के कई कारोबारियों ने स्वयं अतिक्रमण तोड़ना शुरू कर दिया है। इस रोड पर कुल 64 अतिक्रमण चिह्नित किए गए हैं।
उप जिलाधिकारी सदर गोपाल राम बिनवाल ने बताया कि त्यागी रोड के कारोबारियों को गुरुवार तक का समय दिया गया है। इसी दिन त्यागी रोड का सर्वे कर तय किया जाएगा कि प्रशासन को यहां अपने स्तर पर अतिक्रमण हटाना है या व्यापारी खुद यह काम पूरा करेंगे। इसके अलावा धार्मिक प्रतिष्ठानों के अतिक्रमण हटाने के लिए बुधवार तक का समय दिया गया है। धार्मिक प्रतिष्ठानों का अतिक्रमण हटना शुरू हुआ है या नहीं, इसकी तस्दीक करने के लिए प्रशासन की अलग-अलग टीमें पूरे शहर का भ्रमण करेंगी। इसके बाद शाम को होने वाली टास्क फोर्स की बैठक में वस्तुस्थिति रखी जाएगी। अपेक्षित प्रगति नहीं पाई गई तो प्रशासन अपने स्तर पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करेगा।
उधर, दिलाराम बाजार के 16 अतिक्रमण पर टास्क फोर्स के अध्यक्ष नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय का कहना है कि सिंचाई विभाग की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। इसके बाद ही अतिक्रमण पर किसी तरह की कार्रवाई की जा सकती है।
सिंचाई विभाग को नहीं मिला अभी पत्र
दिलाराम बाजार के अतिक्रमणों पर सिंचाई विभाग से जिस रिपोर्ट के मांगे जाने की बात कही जा रही है, उसका पत्र अभी सिंचाई विभाग को मिला ही नहीं है। वहीं, वर्ष 2018 में हाई कोर्ट के आदेश के बाद जब अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पहली बार शुरू की गई थी, तब भी यह प्रकरण उठा था। उस वक्त तय किया गया था कि शासन इस पर निर्णय लेगा। यह मामला तभी से शासन स्तर पर लंबित है।
यह भी पढ़ें: अतिक्रमण हटाओ अभियान : अतिक्रमण टूटे कम, विरोध हुआ ज्यादा
वहीं, इस प्रकरण के इतिहास पर नजर डालें तो वर्ष 1985-86 में नहर की करीब 20 फीट चौड़ाई की भूमि पर व्यापारियों को पट्टे आवंटित किए गए थे। तब पट्टों की संख्या 33 थी। समय के साथ व्यापारी मांग करते रहे कि या तो उनके कब्जे की भूमि को फ्री होल्ड किया जाए या पट्टे की अवधि बढ़ाई जाए। वर्तमान में अभी कुछ पट्टेधारक यहां काबिज हैं, कुछ उनके वारिस हैं। कुछ ऐसे कारोबारी भी हैं, जिनके नाम पर पट्टे नहीं हैं।
यह भी पढ़ें: देहरादून में प्रशासन की टीम ने होटल के अतिक्रमण को ढहाया Dehradun News