उत्तराखंड में 53526 करोड़ बजट की प्राथमिकताएं नए सिरे से की जाएंगी तय
वर्ष 2020-21 के 53526 करोड़ के बजट की प्राथमिकताएं नए सिरे से तय की जाएंगी। राज्य के तकरीबन चार से पांच लाख लोगों और उनसे जुड़े परिवारों को रोजी-रोटी यानी आजीविका है।
देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। वर्ष 2020-21 के 53526 करोड़ के बजट की प्राथमिकताएं नए सिरे से तय की जाएंगी। अहम बात ये है इन प्राथमिकताओं के केंद्र में विकास दर या जीडीपी की चिंता नहीं, बल्कि राज्य के तकरीबन चार से पांच लाख लोगों और उनसे जुड़े परिवारों को रोजी-रोटी यानी आजीविका है। राज्य ने केंद्र से मिलने वाले पैकेज पर टकटकी बांध दी है।
कोरोना से बचने को लागू लॉकडाउन ने राज्य की बड़ी आबादी के सामने दो जून की रोटी के जुगाड़ का सवाल खड़ा कर दिया है। टैक्सी-मैक्सी-कैब, ऑटो या भारवाहक या यात्री वाहन चालकों, रेहड़ी-ठेली वालों, छोटे शिल्पकारों, पशुपालकों, किसानों, खेतिहर मजदूरों, वाहन मरम्मत से लेकर होटल-दुकानों और पर्यटन के क्षेत्र में दैनिक आधार पर काम करने वाले असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों, छोटे कारोबारियों के रोजी-रोटी पर मंडराए संकट ने प्रदेश सरकार की प्राथमिकताओं को बदलकर रख दिया है। अन्य प्रदेशों से वापसी करने वाले करीब 60 हजार लोगों की आजीविका का प्रश्न भी मुंहबाए खड़ा है।
लॉकडाउन से उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था को चालू नए वित्तीय वर्ष में बड़ा झटका लगने जा रहा है। जीएसटी, आबकारी, खनन, स्टाप व रजिस्ट्रेशन यानी करों और करों से इतर होने वाली करीब 1700 करोड़ की आमदनी सिर्फ अप्रैल माह में ही घट चुकी है। केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी को 15वें वित्त आयोग ने बढ़ाया है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से इसमें करीब 20 फीसद की कमी आ चुकी है। केंद्र पोषित योजनाओं में भी मिलने वाली मदद में भी कमी के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं। कोरोना के खिलाफ लड़ाई जल्द सिमटती नहीं दिख रही है।
ओवरड्राफ्ट का संकट मंडराया
अब प्रदेश के वित्तीय हालत देखिए। आमदनी धराशायी होने से वित्तीय वर्ष के पहले महीने अप्रैल में पहली बार राज्य को 1000 करोड़ का कर्ज उठाना पड़ा है। दूसरे महीने यानी मई में भी पहले हफ्ते में भी 700-800 करोड़ कर्ज लेने की नौबत आती दिख रही है। राजस्व ठप और खर्च की चुनौती रही तो ओवरड्राफ्ट का शिकंजा कसना तकरीबन तय हो जाएगा। वित्त सचिव अमित नेगी ने स्वीकार किया कि हालात नहीं बदले तो इस साल राज्य को करीब पांच हजार करोड़ का झटका लग सकता है। लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा और आजीविका बजट की प्राथमिकताएं बन चुकी हैं।
अल्प व दीर्घकालिक उपाय हो गए जरूरी
पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे की अध्यक्षता में गठित समिति आजीविका से जुड़े इन अहम मुद्दों का हल तलाशने में जुटी है। पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पाडे ने स्वीकार किया कि मौजूदा बजट की प्राथमिकताएं बदल चुकी हैं। कोरोना के खिलाफ लड़ाई कितना लंबा खिंचेगी, यह कहना ही चुनौतीपूर्ण है। संगठित और असंगठित दोनों ही क्षेत्रों में संशय है। इस अनिश्चितता की अवधि का अंदाजा लगाना मुमकिन नहीं है। आर्थिक मजबूती के उपायों और विकल्पों को सुझाने के लिए गठित समिति के सामने उक्त सभी पहलु हैं। मौजूदा संकट से निपटने के लिए बजट में अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्राथमिकताओं के साथ रणनीति बनानी होगी।
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