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Budget 2020: आम बजट से मिलेगी उत्तराखंड के उद्योगों को और मजबूती

उद्योग जगत ने बजट को नए व महत्वकांक्षी भारत का रास्ता तैयार करने वाला करार दिया। साथ ही बजट को आय व लोगों की खर्च करने की क्षमता को बढ़ाने वाला भी बताया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 02 Feb 2020 12:21 PM (IST)Updated: Sun, 02 Feb 2020 12:21 PM (IST)
Budget 2020: आम बजट से मिलेगी उत्तराखंड के उद्योगों को और मजबूती

देहरादून, जेएनएन। उद्योग जगत ने बजट को नए व महत्वकांक्षी भारत का रास्ता तैयार करने वाला करार दिया। साथ ही बजट को आय व लोगों की खर्च करने की क्षमता को बढ़ाने वाला भी बताया। आयकर की सीमा बढ़ाने व टेक्स स्लैब में किए गए परिवर्तन से उत्तराखंड के करीब 66 हजार से अधिक एमएसएमई उद्योग को मजबूती मिलेगी और नया औद्योगिक निवेश आकर्षित होगा।

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भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) का मानना है कि उनके सुझावों का 2020-2021 के बजट में ध्यान रखा गया है। इन सुझावों में किसानों की आमदनी बढ़ाना, सभी लोगों तक पाइप के माध्यम से पीने का पानी पहुंचाना, उर्वरकों के प्रयोग में संतुलन लाना व सौर ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा देना शामिल है। सीआइआइ की सिफारिशों के अनुरूप डिविडेंड डिस्टिब्यूशन टैक्स को समाप्त करने को सीआइआइ ने स्वागत योग्य कदम बताया। उत्तराखंड फूड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन का मानना है कि कृषि क्षेत्र जो हमारे देश की अर्थव्यवस्था का सबसे अहम क्षेत्र है खास तौर पर उत्तरी क्षेत्र का बजट में विशेष ध्यान रखा गया है।

पंकज गुप्ता (अध्यक्ष उत्तराखंड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन) का कहना है कि बजट में हर वर्ग का ध्यान रखा गया है। शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत ढांचा विकास, किसान व पर्यावरण आदि को फोकस किया गया है। बजट नए और महत्वकांक्षी भारत का रास्ता तैयार करने वाला है। बजट को आय और लोगों की खर्च करने की क्षमता को बढ़ाने वाला है। 

मुकेश गोयल (चेयरमैन सीआइआइ उत्तराखंड स्टेट काउंसिल) का कहना है कि बजट लंबे समय को ध्यान में रखते हुए सतत विकास के उद्देश्य से बनाया गया है। यह समावेशी, दूर की सोच के साथ बनाया महत्वकांक्षी बजट है। सीआइआइ की सिफारिशों के अनुरूप बजट में डिविडेंड डिस्टिब्यूशन टैक्स को समाप्त कर दिया गया है जो स्वागतयोग्य कदम है। 

अनिल मारवाह (संरक्षक फूड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन) का कहना है कि बजट संतुलित कहा जा सकता है। हालांकि इसमें उद्योग जगत के लिए कोई बहुत बड़ी राहत तो नहीं दी गई है, लेकिन नये उद्योगों के कारपोरेट टैक्स 15 फीसद व स्टार्टअप के तहत शुरू उद्योगों को टेक्स में छूट की सीमा तीन साल से बढ़ाकर पांच साल करना राहत की बात है। 

अशोक विंडलास (वाइस चेयरमैन, सीआइआइ उत्तराखंड स्टेट काउंसिल) का कहना है कि बजट में देश के आधारभूत ढांचे को बढ़ावा दिया गया है। इससे देश में नौकरी के अवसर बढ़ेंगे। हालांकि बजट में पुराने स्थापित उद्योगों को कोई बड़ी सौगात नहीं दी गई लेकिन नए उद्योग विशेषकर स्टार्टअप को बढ़ाना देने का बजट में प्रावधान किया है। बजट संतुलित कहा जा सकता है। 

राजीव अग्रवाल (वरिष्ठ उपाध्यक्ष, उत्तराखंड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन) का कहना है कि निवेशकों के लिए भारत आदर्श स्थान साबित होगा। स्टार्ट अप के लिए जो निर्णय लिए गए हैं उनके निकट भविष्य में सार्थक परिणाम सामने आएंगे। सीमेंट व स्टील जैसे बड़े व पुराने उद्योगों को बजट में कोई बड़ी सौगात तो नहीं है, लेकिन नए उद्योगों को कारपोरेट टैक्स में राहत दी गई है।

उम्‍मीद

  • सीआइआइ की सिफारिशों के अनुरूप डिविडेंड डिस्टिब्यूशन टैक्स समाप्त
  • आयकर का दायरा बढ़ाने से 66 हजार एमएसएमई उद्योग पकड़ेंगे रफ्तार
  • स्टार्टअप में टैक्स रियायत की सीमा तीन साल से बढ़ाकर पांच की गई
  • किसानों की आय बढ़ाने से कृषि जगत को भी बड़ी राहत मिलने की उम्मीद
  • बोले जानकार, निवेशकों के लिए आदर्श स्थान साबित होगा भारत

बोलीं दून की महिलाएं, आयकर छूट का दायरा बढ़ता तो बनती बात

बजट में महिलाओं के पोषण, शिक्षा और उन्हें स्वावलंबी बनाने पर काफी जोर दिया गया है। आधी आबादी ने इस पर खुशी जाहिर की है और कहा कि इससे महिला सशक्तिकरण की उम्मीदों को पंख लगेंगे। हालांकि कामकाजी महिलाओं ने आयकर में छूट का दायरा न बढ़ने पर थोड़ी निराशा जताई है। कहा कि उम्मीद थी कि वित्तमंत्री एक महिला हैं और वह महिलाओं की उम्मीदों पर खरा उतरेंगी। मगर आयकर छूट का दायरा न बढ़ाया जाना ठीक नहीं है। इससे कामकाजी महिलाओं बड़ी राहत मिलती। हालांकि महिला सशक्तीकरण की दिशा में की गई पहल सराहनीय है। इससे महिलाएं सुरक्षित होंगी।

  • संगीता भट्ट (गृहिणी) का कहना है कि बजट किचन के लिए संतोषजनक नहीं कहा जा सकता है। आयकर में छूट न मिलने से महंगाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पोषण, शिक्षा और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की बात की गई है, जिसके भविष्य में बेहतर परिणाम सामने होंगे।
  • कविता सैनी (गृहिणी) का कहना है कि पोषण अभियान की उपलब्धियां गिनाकर महिलाओं को टाल दिया गया। जितनी बजट से उम्मीद थी, उसका दस फीसदी भी पूरा नहीं हुआ। मंहगाई कम करने के प्रयास को बेहतर नहीं कहा जा सकता।
  • कंचन (गृहिणी) का कहना है कि जो महिलाएं कामकाजी नहीं हैं, उन्हें तो अपनी रसोई को ही अच्छा बनाना है। उनका टैक्स से क्या लेनादेना। देखने वाली बात होगी कि वित्तमंत्री ने महिलाओं के संदर्भ में जो बातें कहीं हैं, उनका क्या असर पड़ता है।
  • ममता (फार्मासिस्ट) का कहना है कि इस बार का बजट समझ में ही नहीं आया। खुश हों भी तो किस बात के लिए। आयकर में छूट नहीं दी गई। इससे उन पर तो दोहरी मार पड़ेगी। सोचा था कि महिला होने के नाते वित्त मंत्री आधी आबादी के बारे में और भी कई बड़ी घोषणाएं करेंगी।
  • अंजली (उद्यमी) का कहना है कि बजट में महिलाओं के पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा की बात की गई जो भविष्य के लिए अच्छे संकेत हैं। मगर महिलाओं को टैक्स स्लैब में अधिक छूट मिलनी चाहिए थी।

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  • निधि (चिकित्सक) का कहना है कि आयकर में छूट का दायरा बढ़ना चाहिए था। इससे उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी होती। जहां तक पोषण, स्वास्थ्य की बात की गई तो यह निश्चित रूप से सराहनीय कदम है।

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