Budget 2020: रक्षा बजट का आकार बढ़ा, पर विशेषज्ञ मान रहे कम
रक्षा बजट का आकार बढ़ाया जा रहा है वह सशस्त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण व आधुनिक सैन्य उपकरणों/हथियारों की खरीद के लिए केंद्र सरकार का अच्छा कदम माना जा रहा है।
देहरादून, जेएनएन। पिछले तीन-चार साल से जिस तरह रक्षा बजट का आकार बढ़ाया जा रहा है वह सशस्त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण व आधुनिक सैन्य उपकरणों/हथियारों की खरीद के लिए स्वाभाविक रूप से केंद्र सरकार का अच्छा कदम माना जा रहा है। लेकिन रक्षा मामलों के जानकार इसको पर्याप्त नहीं मानते हैं।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2019-20 की तुलना में इस बार रक्षा बजट में महज छह प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई जो कि नाकाफी है। हां यह अच्छा कदम है कि भारत में भी रक्षा बजट का आकार साढ़े तीन लाख करोड़ तक पहुंचने की ओर अग्रसर है।
रक्षा मामलों के जानकार कहते हैं मौजूदा दौर में दो परमाणु ताकत चीन व पाकिस्तान हमारे देश के लिए चुनौती बने हुए हैं। जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल तक परिस्थितियां विपरीत हैं। एक तरफ चीनी सेना हर अंतराल बाद हमारी सीमा में घुसपैठ करती है, वहीं सीमा पार से आतंकवादियों को भीतर भेजा जा रहा है। वह भी भारी गोला-बारूद व आधुनिक हथियारों से लैस करके। लेकिन हमारे सैनिकों के पास जो साजो सामान है वह अन्य ताकतवर देशों की तुलना में कम भी है और पुराना भी।
वायुसेना के पास हेलीकाप्टरों व युद्धक विमानों की कमी है। फ्रांस से लड़ाकू विमान राफेल आने में अभी कुछ समय और लगना है। इन समस्याओं को देखते हुए सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण व सैन्य उपकरणों/हथियारों की पर्याप्त उपलब्धता के लिए रक्षा बजट कुल जीडीपी का कम से कम पांच प्रतिशत होना चाहिए। लेकिन रक्षा के लिए जो बजट आवंटित हुआ है, वह कुल जीडीपी का दो प्रतिशत भी नहीं है।
रक्षा बजट बढ़ाने की यह धीमी रफ्तार सशस्त्र सेनाओं की मजबूती व आधुनिकीकरण के लिए अच्छा संकेत नहीं कहा जा सकता है। वह भी तब जबकि वर्ष 2024 तक देश की अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ाकर पांच हजार टिलियन अमेरीकी डालर करने का लक्ष्य है और भारत विश्व का सातवां बड़ा राष्ट्र भी है। जानकारों के मुताबिक अमेरिका व इजराइल की तरह पड़ोसी देश चीन व पाकिस्तान भी रक्षा क्षेत्र में सर्वाधिक बजट खर्च करते हैं। इजराइल जहां अपनी जीडीपी का 5.7 प्रतिशत बजट रक्षा क्षेत्र में खर्च करता है। वहीं अमेरिका चार प्रतिशत, चीन 2.5 प्रतिशत और पाकिस्तान 3.6 प्रतिशत रक्षा क्षेत्र में खर्च करता है।
(फोटो: मेजर जनरल सी नंदवानी, सेनि)
मेजर जनरल सी नंदवानी (सेनि) का कहना है कि प्रतिदिन आधुनिक होते समय में जिस तरह की तकनीकें विकसित हो रही हैं, वे एक तरफ चुनौतियों को बढ़ा रही हैं, तो दूसरी तरफ सैन्य साजो-सामान के अत्याधुनिक होने की मांग भी कर रही हैं। इसके लिए हमें अपनी जीडीपी का ढाई से तीन प्रतिशत खर्च करना होगा, जो कि अभी संभव नहीं दिख रहा है।
(फोटो: ले. जनरल गंभीर सिंह नेगी, सेनि)
ले. जनरल गंभीर सिंह नेगी (सेनि) का कहना है कि सामरिक चुनौतियों के लिहाज से मौजूदा रक्षा बजट पर्याप्त नहीं है। हमारे पड़ोस में जिस तरह की अस्थिरता का माहौल बना हुआ है, उसमें चुनौतियां बहुत ज्यादा हैं। इन चुनौतियों के लिए हमारे खर्च भी ज्यादा होने चाहिए, जो नहीं है। जिससे आधुनिकीकरण की प्रक्रिया शिथिल पड़ जाएगी।
(फोटो: ले जनरल राम स्वरूप, सेनि)
ले जनरल राम स्वरूप (सेनि) का कहना है कि सैनिकों का मनोबल आधुनिक हथियारों से बढ़ता है। सेना पर ज्यादा खर्च हमारी अर्थव्यवस्था के लिए भी जरूरी है, क्योंकि अगर आधुनिक हथियारों से लैस सीमा पर खड़ी सेना से देश के लोग सुरक्षित महसूस करते हैं। सेना के आधुनिकीकरण के लिए यह राशि पर्याप्त नहीं है।
बढ़नी चाहिए थी आयकर की सीमा
बजट 2020 पर कर्मचारी संगठनों के नेताओं ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि आयकर की सीमा बढ़ने की उम्मीद थी। केंद्र सरकार ने छूट तो दी लेकिन उसे काफी पेचीदा बना दिया। नए और पुराने दोनों टैक्स स्लैब लागू रहेंगे। यह कर्मचारी को तय करना होगा कि उसे कौन सा स्लैब चुनना है। नया टैक्स स्लैब लेने के लिए मिल रही छूट को छोड़ना होगा।
ठाकुर प्रहलाद सिंह (प्रदेश अध्यक्ष, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद) का कहना है कि बजट उत्साहवर्धक नहीं है। पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने पर कोई बात नहीं की गई। टैक्स स्लैब भी ऐसा नहीं है, जिससे आम कर्मचारियों को फायदा मिले। 80 सी में डेढ़ लाख का मानक छूट को बढ़ाना चाहिए था। इसका फायदा यह होता कि हम बाजार में अपना पैसा लगाते। बाजार मजबूत होता।
अरुण पांडेय (कार्यकारी महामंत्री राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद) का कहना है कि आयकर कटौती के प्रावधान कर्मचारियों की अपेक्षा के विपरीत हैं। उम्मीद थी कि आयकर कटौती से कम से कम दस लाख सालाना आय को करमुक्त किया जाएगा। किन्तु इसके विपरीत सरकार ने नयी व्यवस्था तो दी पर पूर्व में मिल रही सुविधाओं के बिना। जिससे लाभ होने के स्थान पर हानि होती दिखाई दे रही है।
राकेश जोशी (महासचिव, सचिवालय संघ) का कहना है कि बजट में आयकर की सीमा संतोषजनक है। मगर कर्मचारी अपने वेतन से जो बचत करता है, उस पर कार्मिक आयकर का पुन: भुगतान करता है। सरकार को इस पर विचार करना होगा। गंभीर बीमारी में चिकित्सा प्रतिपूर्ति जैसे प्रकरण पर पूर्ण रूप से आयकर में छूट प्रदान की जानी चाहिए थी।
जीएस नेगी (अध्यक्ष, राजस्व कर्मचारी संघ) का कहना है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की अंतिम पांच-छह वर्ष की सेवा में लगभग 50 हजार वेतन मिलता है तो उनका भी टैक्स कटेगा। क्लास तीन के अधिकारी 60-70 हजार और राजपत्रित अधिकारी एक लाख वेतन पा रहे हैं, यह सभी इनकम टैक्स के दायरे में हैं। सरकार द्वारा केवल घुमा के लाभ दिए जाने की बात कही गई है।
अशोक चौधरी (महामंत्री, उत्तराचंल रोडवेज कर्मचारी यूनियन) का कहना है कि आयकर का जो नया स्लैब लागू किया गया है, वह महज आंकड़ों की बाजीगरी है। इस बजट में वृद्ध पेंशनरों को आयसीमा में मिलने वाली छूट से वंचित कर दिया गया है। आयकर स्लैब में मामूली बदलाव किया तो गया है, लेकिन उसे और उलझाने वाला बना दिया गया है। नया टैक्स स्लैब लेने पर सारी छूट छोड़नी पड़ेगी।
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प्रमोद ध्यानी (प्रदेश महामंत्री उप वन क्षेत्रधिकारी संघ) का कहना है कि आयकर छूट की सीमा बढ़ाई जानी चाहिए थी। बजट में पुरानी पेंशन व्यवस्था को लेकर भी कोई बात नहीं की गई। ड्यूटी पर शहीद होने वाले कर्मचारियों को आर्थिक सहायता दिए जाने को लेकर जो उम्मीदें थीं, उस पर कोई बात नहीं की गई।
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