गजब: मोबाइल फोन पांच हजार रुपये का, खरीदा उसे सात हजार में
केंद्र सरकार की पोषण योजना के अंतर्गत आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के लिए खरीदे गए मोबाइल फोन की कीमत पांच हजार रुपये है जबकि उसे सात हजार रुपये में खरीदा गया है।
देहरादून, सुमन सेमवाल। केंद्र सरकार की पोषण योजना के अंतर्गत आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के लिए खरीदे गए मोबाइल फोन की कीमत को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस मोबाइल फोन की कीमत भी हैरान करने वाली है। लावा कंपनी काजो मोबाइल फोन (जेड-61) बाजार में आसानी से करीब पांच हजार रुपये का उपलब्ध है, उसके लिए महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास के आइसीडीएस (समेकित बाल विकास सेवाएं) निदेशालय ने सात हजार रुपये से अधिक की कीमत अदा की। यह कीमत भी एक मोबाइल के लिए नहीं, बल्कि 20 हजार से अधिक मोबाइल फोन के लिए अदा की गई।
ऐसा भी नहीं है कि आइसीडीएस निदेशालय ने मोबाइल की खरीद अपने स्तर पर की, बल्कि इसके लिए बाकायदा गवर्नमेंट ई-मार्केटिंग (जेम) पोर्टल पर टेंडर आमंत्रित किए गए। टेंडर में सबसे कम दर लावा कंपनी की पाई गई, जिसमें प्रति सेट की कीमत सात हजार रुपये से कुछ अधिक दर्ज की गई थी। पोषण योजना के तहत यह राशि भी केंद्र सरकार की तरफ से मुहैया कराई गई थी और खरीद के लिए भी जेम पोर्टल के जरिये टेंडर आमंत्रित करने की बाध्यता थी, लिहाजा निदेशालय ने भी इस राशि पर सवाल खड़े करने की जहमत नहीं उठाई। सिर्फ निदेशालय को इस शर्त का पालन करना था कि प्रति मोबाइल की दर 10 हजार रुपये से अधिक न हो। इसके साथ निदेशालय ने प्रति मोबाइल एक पावर बैंक भी खरीदा और दोनों मिलाकर करीब साढ़े नौ हजार रुपये का भुगतान कर दिया।
तीन हजार भी अधिक दाम मानें तो छह करोड़ की चपत
यदि मोबाइल व पावर बैंक की खरीद पर प्रति सेट तीन हजार रुपये का भी अतिरिक्त भुगतान मानें तो सरकार को कम से कम छह करोड़ रुपये की चपत लग गई। हालांकि, एक मोबाइल खरीदने व 20 हजार से अधिक मोबाइल की खरीद पर उसकी राशि उसी अनुपात में कम हो जाती है। इससे उलट इस मामले में प्रति सेट की दर बाजार के मुकाबले अधिक रही है, साथ ही बल्क खरीद के बाद भी मोबाइल के दाम नहीं घटाए गए।
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तकनीकी खामी की शिकायत भी मिल रही
आंगनबाड़ी कार्यकत्र्री एसोसिएशन की अध्यक्ष सुशीला खत्री का कहना है कि पोषण योजना के तहत मोबाइल एप के जरिये डाटा फीडिंग आदि के लिए खरीदे गए मोबाइल फोन में तकनीकी खामी भी सामने आ रही है। लिहाजा, कार्यकत्रियों को इसके जरिये काम करने में दिक्कत हो रही है।
झरना कमठान (निदेशक, आइसीडीएस) का कहना है कि यह सच है कि मोबाइल के दाम बाजार की तुलना में अधिक हैं, मगर यह खरीद सरकार के ही जेम पोर्टल से की गई है। खरीद का दूसरा कोई विकल्प हमारे पास नहीं था। रही बात तकनीकी खामी की तो कुछ ही हैंडसेट में ऐसा हो सकता है। जिन्हें कंपनी के माध्यम से दुरुस्त भी कराया जाएगा।
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