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जौनसार के महासू-चालदा मंदिरों में परंपरागत बिस्सू की धूम

चकराता/कालसी जौनसार-बावर के महासू-चालदा मंदिर लखवाड़ लखस्यार मोहना मंदिर में बिस्सू पर्व की धूम है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 08:20 PM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 08:20 PM (IST)
जौनसार के महासू-चालदा मंदिरों में परंपरागत बिस्सू की धूम

संवाद सूत्र, चकराता/कालसी: जौनसार-बावर के महासू-चालदा मंदिर लखवाड़, लखस्यार, मोहना व शेडकुडिया महाराज मंदिर रायगी में बिस्सू मेले की धूम रही। बैशाखी की संक्रांति को लखवाड़ और लखस्यार मंदिर से महासू देवता की देव पालकी शाही स्नान के लिए गर्भगृह से बाहर निकली। परपंरा के अनुसार बिस्सू में लखवाड़ बैंड के यमुना पुल के पास देव पालकी को शाही स्नान कराया गया। इस दौरान पदयात्रा में शामिल स्थानीय कारसेवकों और श्रद्धालुओं ने यमुना में शाही स्नान कर देवता की आराधना की।

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जनजाति क्षेत्र जौनसार-बावर के प्रमुख मंदिरों में बिस्सू मेला परपंरागत तरीके से मनाया गया। बीते सोमवार को जौनसार के चालदा महासू मंदिर मोहना व देवघार खत के शेडकुडिया महाराज मंदिर रायगी में बिस्सू मेले का आगाज होने से मंगलवार को जौनसार के महासू मंदिर लखवाड़ व लखस्यार मंदिर में बिस्सू के दौरान बैशाखी की संक्रांति को देव पालकी गर्भगृह से बाहर निकली। यहां सालभर में एक बार बिस्सू के दिन देव पालकी को गाजे-बाजे के साथ शाही स्नान के लिए यमुना पुल के पास ले जाने की परपंरा है। बैशाखी में शुभ लग्न अनुसार यमुना में देव पालकी को विधि विधान से शाही स्नान कराया गया। देव पालकी के साथ पदयात्रा में शामिल कारसेवकों के अलावा बड़ी संख्या में जुटे श्रद्धालुओं ने यमुना में शाही स्नान किया। इसके बाद देव पालकी गाजे-बाजे के साथ वापस लखवाड़ व लखस्यार मंदिर पहुंची, जहां पहले से जमा स्थानीय ग्रामीणों व दूर-दराज से आए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने देव पालकी की पूजा-अर्चना कर देवता से आशीर्वाद लिया। मंदिर में बिस्सू मनाने आए स्थानीय ग्रामीणों ने ढोल-दमोऊ व रणसिघे की थाप पर हारुल के साथ जौनसारी तांदी नृत्य की प्रस्तुति से महासू देवता की स्तुति की। बिस्सू का जश्न मनाने जुटे श्रद्धालुओं ने देव पालकी को कंधा लगाकर पुण्य लाभ कमाया। इसके अलावा चालदा महासू मंदिर मोहना, जौनसार-बावर के प्रमुख धाम सिद्धपीठ श्री महासू देवता मंदिर हनोल, महासू-चालदा मंदिर थैना व शेडकुडिया महाराज मंदिर रायगी समेत क्षेत्र के अन्य मंदिरों में बिस्सू मेला परंपरागत तरीके से मनाया गया। मंदिरों में देव दर्शन के लिए सुबह से शाम तक श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटी रही। देव दर्शन के बाद महासू, चालदा व शेडकुडिया महाराज की देव पालकी को वापस मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया गया। इस मौके पर लखवाड़ मंदिर समिति के अध्यक्ष गंभीर सिंह चौहान, तरुण संघ खत लखवाड़ के पूर्व अध्यक्ष एवं महासू मंदिर समिति हनोल के सदस्य जितेंद्र चौहान, शांठीबिल के बजीर दीवान सिंह राणा, राजू चौहान मोहना, ज्योतिषाचार्य शंकरदत्त उनियाल, बजीर विक्रम सिंह चौहान, थैना मंदिर के बजीर बलदेव सिंह, बलवीर सिंह भंडारी, विद्यादत्त उनियाल, देवमाली शूरवीर सिंह, दीपक तोमर, कपिल सिंह, विरेंद्र सिंह, रणवीर सिंह, पीयूष तोमर, पुजारी तोलादत्त उनियाल, नारायण सिंह तोमर, बर्फ सिंह चौहान, महेंद्र सिंह चौहान, मोहनलाल, विकेश तोमर आदि मौजूद रहे।

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यमुना में शाही स्नान को पहुंचे शिलगुर-विजट महाराज:

जौनसार के खत बाना से जुड़े पंजिया मंदिर से शिलगुर-विजट महाराज की देव डोली को हरिद्धार के महाकुंभ में पवित्र स्नान कराने के बाद मंगलवार सुबह देव डोली गाजे-बाजे के साथ शाही स्नान को यमुना में पहुंची। परंपरानुसार बैशाखी की संक्रांति को बाड़वाला व हरिपुर के पास यमुना तट पर शिलगुर-विजट महाराज की देव डोली को विधि विधान के साथ शाही स्नान कराया गया। श्रद्धालुओं की सुविधा को दुधौऊ निवासी सेना मेडल से सम्मानित सेवानिवृत्त कैप्टन चंद्र सिंह चौहान और उनके परिवार ने भंडारे की व्यवस्था की। यमुना में शाही स्नान के बाद शिलगुर-विजट महाराज रात्रि प्रवास के लिए चापनू गांव पहुंचे। बुधवार सुबह देव डोली चापनू से मूल मंदिर पंजिया के लिए प्रस्थान करेगी, जहां दो माह तक देवता की पूजा-अर्चना पेड़ पर की जाएगी। इसके बाद देव पालकी हिमाचल के चूडी सराय मंदिर में शाही स्नान को ले जाने की परंपरा है। शिलगुर-विजट महाराज की देव डोली 12 वर्ष में एक बार महाकुंभ में पवित्र स्नान को पंजिया मंदिर के गर्भगृह से बाहर आती है। इस मौके पर बजीर टीकम सिंह, समिति के कोषाध्यक्ष आनंद चौहान, समिति अध्यक्ष जयपाल सिंह चौहान, पुजारी संतराम भट्, संतराम चौहान, सेवानंद शर्मा, भगत सिंह चौहान आदि मौजूद रहे।


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