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भूपेंद्र कंडारी तीसरी बार चुने गए क्लेमेनटाउन कैंट बोर्ड के उपाध्यक्ष Dehradun News

भाजपा सभासद भूपेंद्र सिंह कंडारी तीसरी बार क्लेमेनटाउन कैंट बोर्ड के उपाध्यक्ष बने हैं। कैंट बोर्ड की विशेष बैठक में उन्हें सर्वसम्मति से उपाध्यक्ष चुना गया।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Published: Wed, 06 May 2020 01:08 PM (IST)Updated: Wed, 06 May 2020 01:08 PM (IST)
भूपेंद्र कंडारी तीसरी बार चुने गए क्लेमेनटाउन कैंट बोर्ड के उपाध्यक्ष Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। भाजपा सभासद भूपेंद्र सिंह कंडारी तीसरी बार क्लेमेनटाउन कैंट बोर्ड के उपाध्यक्ष बने हैं। कैंट बोर्ड की विशेष बैठक में उन्हें सर्वसम्मति से उपाध्यक्ष चुना गया। निवर्तमान उपाध्यक्ष सुनील कुमार ने बैठक से वॉकआउट कर दिया।

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छावनी परिषदों का कार्यकाल फरवरी में ही पूरा हो चुका है। वहीं, निवर्तमान उपाध्यक्ष सुनील कुमार का पांच साल का कार्यकाल भी 23 मार्च को ही पूरा हो गया था। इधर, रक्षा मंत्रालय ने सभी कैंट बोर्ड का कार्यकाल छह माह और बढ़ा दिया। 

ऐसे में बोर्ड में उपाध्यक्ष के लिए भी दोबारा चुनाव होना था। क्योंकि कैंट बोर्ड एक्ट-2006 में ऐसा प्रावधान है। कोरोना संकट और लॉकडाउन के कारण चुनाव नहीं हो सका। बहरहाल, अब इसे लेकर कैंट बोर्ड की विशेष बैठक हुई, जिसमें उपाध्यक्ष का भी चुनाव हुआ। 

कैंट बोर्ड के अध्यक्ष ब्रिगेडियर सुभाष पंवार ने सेना के नामित सदस्यों व निर्वाचित सभासदों की मौजूदगी में उपाध्यक्ष के लिए चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराई। भाजपा सभासद भूपेंद्र कंडारी को निॢवरोध कैंट बोर्ड का नया उपाध्यक्ष चुना गया।

करीब 48 हजार आबादी वाले क्लेमेनटाउन के सात वार्डों में सात निर्वाचित सभासद हैं। वर्ष 2015 में यहां पर कांग्रेस का बोर्ड गठित हुआ था। लिहाजा बहुमत के आधार पर कांग्रेस के सभासद सुनील कुमार उपाध्यक्ष बने। पर बीते साल अक्टूबर में कांग्रेस के दो सभासद असंतुष्ट होकर भाजपा खेमे में शामिल हो गए। 

उपाध्यक्ष के खिलाफ बोर्ड में अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा था, पर खुद पर दबाव बनता देख उपाध्यक्ष सुनील कुमार ने भी आनन-फानन में भाजपा का दामन थाम लिया, जिससे बोर्ड पर फिर भाजपा का कब्जा हो गया। लेकिन उपाध्यक्ष की दौड़ में वह कामयाब नहीं हो सके। 

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पार्टी नेताओं ने नहीं निभाया वादा

पूर्व उपाध्यक्ष सुनील कुमार का कहना है कि भाजपा ने उनसे किया वादा पूरा नहीं किया। नवनिर्वाचित उपाध्यक्ष से उनका पूर्व में विवाद हुआ था। एसटी एक्ट में कोर्ट में मुकदमा चल रहा था। पर भाजपा नेताओं ने उनके पार्टी में शामिल होने पर कहा कि अब सब एक परिवार हैं और उन्हें समझौता कर लेना चाहिए। यह भी आश्वस्त किया था कि कैंट बोर्ड का कार्यकाल बढ़ने  पर भी वहीं उपाध्यक्ष बने रहेंगे। पर एन वक्त पर सभी नेता इससे मुकर गए, जिससे वह बेहद आहत हैं।

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