दुष्कर्म पीड़िता बच्ची को न्याय दिलाने को भीम आर्मी का दून महिला अस्पताल में हंगामा
अनुसूचित जाति की नौ वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म के मामले में भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर की अगुवाई में बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने दून महिला अस्पताल पहुंचकर प्रदर्शन किया।
देहरादून, जेएनएन। जौनपुर क्षेत्र में अनुसूचित जाति की नौ वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म के मामले में भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर की अगुवाई में बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने दून महिला अस्पताल पहुंचकर प्रदर्शन किया। उन्होंने सरकार, पुलिस और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी भी की।
यहां से वे पीड़िता के गाव पहुंचे। वहां बच्ची के पिता व अन्य लोगों से मुलाकात की। उन्होंने बच्ची के पिता से कहा कि वह किसी भी तरह के दबाव में न आएं। यदि कोई दबाव बनाता है तो उन्हें बताएं। इस दौरान गाव में भारी पुलिस बल तैनात रहा।
भीम आर्मी के कार्यकर्ता नारेबाजी करते हुए अस्पताल पहुंचे। इससे चिकित्सकों एवं स्टाफ में अफरातफरी मच गई। भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर ने बच्ची के परिजनों ने बात कर पूरी घटना की जानकारी ली। उसके बाद उन्होंने चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा से वार्ता की। उन्होंने बच्ची को अस्पताल से कुछ घटे बाद ही डिस्चार्ज किए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। कहा कि यदि संबंधित चिकित्सक पर कार्रवाई नहीं की गई, तो भीम आर्मी आदोलन करेगी।
पिता से कहा, किसी दबाव में न आएं
भीम आर्मी के कार्यकर्ता संस्थापक चंद्रशेखर के नेतृत्व में पीड़िता के गाव पहुंचे। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति के लोगों के साथ किसी तरह का अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि कोई जाच अधिकारी, पुलिस या नेता दबाव डालता है तो उनके खिलाफ मोर्चा खोला जाएगा। परिजनों से कहा कि डरने की जरूरत नहीं है, भीम आर्मी उनके साथ है।
कहा कि पीड़ित बच्ची व आरोपित को एक ही वाहन से ले जाना गंभीर है। यह बर्दाश्त योग्य नहीं है और दोषी पुलिस अधिकारी को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। बसाण गांव भी पहुंचे चंद्रशेखर भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर बसाण गाव भी गए।
बता दें, यहां शादी समारोह के दौरान अनुसूचित जाति के युवक जितेंद्र के साथ सवर्णो ने मारपीट की थी। इसके बाद उसकी दून के अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई थी। इस अवसर पर भीम आर्मी के प्रदेश अध्यक्ष मेघ सिंह, कैम्पटी के थानाध्यक्ष एमएस जखमोला, नैनबाग चौकी प्रभारी हाकम सिंह, तहसीलदार जालम सिंह, एसआइ नीरज रावत, ग्राम प्रधान मेहर सिंह, क्षेपं सदस्य संदीप खन्ना आदि मौजूद थे।
बच्ची की शुरू हुई काउंसिलिंग
दुष्कर्म पीड़िता के लिए परिस्थितियां तकलीफदेह बनती जा रही हैं। अस्पताल में दिनभर नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं की भीड़ जुट रही है। हर कोई बच्ची व उसके परिजनों से मिल रहा है। इससे वह मानसिक दबाव में हैं। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा का कहना है कि भीड़ से दिक्कत हो रही है। इस तरह की परिस्थितियों में बच्ची को उबरने में वक्त लगेगा।
उन्होंने बताया कि मनोचिकित्सक बुलाकर बच्ची की काउंसिलिंग भी कराई गई। ताकि उसे मानसिक तौर पर मजबूत बनाया जा सके। केवल महिलाओं को उससे एक-एक कर मिलने दिया जा रहा है। भीड़ को बिल्कुल नहीं जाने दिया जाएगा। यहा तैनात पुलिसकर्मियों को भीड़ को अंदर आने से रोकने को कहा गया है।
चिकित्सक बोले, बच्ची की हालत स्थिर
स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. चित्रा जोशी ने बताया कि बच्ची के स्वास्थ्य में लगातार सुधार हो रहा है। अल्ट्रासाउंड आदि की रिपोर्ट भी ठीक है। वह थोड़ा मानसिक दबाव महसूस कर रही है। जो काउंसिलिंग केबाद ठीक हो जाएगा। अभी कुछ जाच की रिपोर्ट और आनी हैं। जिसके बाद डिस्चार्ज करने पर फैसला किया जाएगा।
मजिस्ट्रेटी जाच की सिफारिश
बाल आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी, सदस्य शारदा त्रिपाठी और सीमा डोरा ने अस्पताल पहुंचकर बच्ची का हाल जाना और मां से वार्ता की। आयोग अध्यक्ष ने चिकित्सकों द्वारा परिजनों से किए व्यवहार पर नाराजगी जताई। उन्होंने बच्ची की स्थिति के बारे में चिकित्सकों से बात की।
आयोग की अध्यक्ष ने बताया कि बच्ची की हालत में सुधार हो रहा है। वहीं, पुलिस और चिकित्सकों की लापरवाही पर कार्रवाई को सरकार से मजिस्ट्रेटी जाच की सिफारिश की गई है।
दुष्कर्म मामले को रफा-दफा करने की हो रही थी कोशिश
नैनबाग क्षेत्र में नाबालिग से दुष्कर्म और इस मामले में सिस्टम के रवैये से समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य बेहद आहत नजर आए। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में जाकर उन्होंने जो देखा, वह भारी तकलीफ देने वाला है। इस जघन्य अपराध के आरोपित व पीड़िता को एक ही वाहन में लाने और फिर उपचार के मामले में पीड़िता को इधर-उधर शिफ्ट करने, पीड़िता के पिता को घर में रोकने से ऐसा लगा कि मामले को रफा-दफा करने की कोशिश हो रही थी।
इस बारे में उन्होंने पुलिस महानिदेशक से संपर्क साधा और फिर सीओ को हटाने के साथ ही जांच अधिकारी भी बदला गया। उन्होंने कहा कि पीड़िता को न्याय मिले, इसके लिए सरकार हरसंभव कदम उठाएगी।
विधानसभा में पत्रकारों से बातचीत में समाज कल्याण मंत्री आर्य ने कहा कि घटना की जानकारी मिलने पर वह दो जून को नैनबाग क्षेत्र में गए। इस बारे में जिला पुलिस व प्रशासन को सूचित किया। जब वह क्षेत्र में पहुंचे तो पुलिस व राजस्व के कर्मचारी पीड़िता को लेकर रोड हेड तक पहुंच चुके थे।
पुलिस के वाहन में पीड़िता बेहोशी की हालत में मां की गोद में लेटी थी। उन्होंने बताया कि जब उनके द्वारा पीड़िता की मां से पूछा गया बालिका के पिता कहां हैं, तो जवाब मिला कि घर पर हैं। जब वह पीड़िता के घर पर पहुंचे तो वहां उसके पिता गुमसुम बैठे थे। पूछने पर बताया गया कि उन्हें घर पर ही रोक दिया गया था।
समाज कल्याण मंत्री के अनुसार पुलिस के वाहन में पीड़िता के साथ आरोपित को भी बैठाया गया था। पीड़िता दहशत में थी और इसी घबराहट के चलते वह बयान नहीं दे पाई। मंत्री ने बताया कि इस पर उन्होंने अफसरों को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि यह गंभीर मामला है, आपको शर्म आनी चाहिए। आर्य के मुताबिक उन्होंने तुरंत डीजीपी से बात की और उन्हें बताया कि सीओ के खिलाफ आक्रोश है। सीओ की निष्पक्षता पर संदेह है, लिहाजा उसे बदलने की जरूरत है।
कैबिनेट मंत्री आर्य ने कहा कि डीजीपी ने माना कि चूक हुई है। इसके बाद सीओ को हटाने के साथ ही जांच अधिकारी बदला गया। उन्होंने कहा कि दुष्कर्म के इस घृणित व जघन्य मामले में सियासत का वक्त नहीं है। वर्तमान में जरूरत पीड़िता को न्याय दिलाने और उसके परिवार की मदद की है। इसके लिए सभी को आगे आना चाहिए।
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