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सावधान! केदारनाथ यात्रा के लिए हेली सेवा बुकिंग कराते समय रहें सतर्क, अब सोशल मीडिया बना साइबर ठगों का नया 'हथियार'

Heli Ticket Fraud केदारनाथ व बदरीनाथ हेली सेवा के नाम पर वर्ष 2023 में सरकार की ओर से हेली सेवा के लिए एकमात्र वेबसाइट https//heliyatra.irctc.co.in जारी की गई थी। वेबसाइट खुलते ही सभी स्लॉट बुक हो गए। ऐसे में साइबर ठगों ने फर्जी वेबसाइट बनाकर ठगी करनी शुरू कर दी। तेजी से बढ़े इस तरह से साइबर अपराध के मामलों को देख एसटीएफ सक्रिय हुई और...

By Soban singh Edited By: Riya Pandey Tue, 11 Jun 2024 09:07 PM (IST)
सावधान! केदारनाथ यात्रा के लिए हेली सेवा बुकिंग कराते समय रहें सतर्क, अब सोशल मीडिया बना साइबर ठगों का नया 'हथियार'
केदारनाथ यात्रा में हेली सेवा बुकिंग के लिए अब सोशल मीडिया बना 'हथियार'

सोबन सिंह गुसांई, देहरादून। सावधान! अगर आप केदारनाथ यात्रा में हेली सेवा के लिए फेसबुक या वाट्सएप पर आए किसी पेज के जरिये टिकट बुक करा रहे हैं तो आप साइबर ठगी का शिकार हो सकते हैं। दरअसल, अब तक वेबसाइट के जरिये श्रद्धालुओं से ठगी कर रहे साइबर ठगों ने अपना तरीका बदलते हुए फेसबुक, इंस्टाग्राम व वाट्सएप पेज को 'हथियार' बना लिया है।

श्रद्धालुओं को जाल में फंसाने के लिए फेसबुक, वाट्सएप, इंस्टाग्राम पर हेली सेवा के टिकट बुकिंग से जुड़े पेज अपलोड किए जा रहे। उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) जांच के बाद अब तक ऐसे 20 पेज बंद करा चुकी है। अन्य पर अभी कार्रवाई जारी है।

एसटीएफ की सक्रियता के बाद वेबसाइट हुई बंद 

केदारनाथ व बदरीनाथ हेली सेवा के नाम पर वर्ष 2023 में सरकार की ओर से हेली सेवा के लिए एकमात्र वेबसाइट https://heliyatra.irctc.co.in जारी की गई थी। वेबसाइट खुलते ही सभी स्लॉट बुक हो गए। ऐसे में साइबर ठगों ने फर्जी वेबसाइट बनाकर ठगी करनी शुरू कर दी। तेजी से बढ़े इस तरह से साइबर अपराध के मामलों को देख एसटीएफ सक्रिय हुई और वेबसाइट बंद करनी शुरू कर दी।

एसटीएफ ने ठगी करने वाली 64 वेबसाइटों को बंद कर दिया। एक वेबसाइट शुरू करने में 20 से 30 हजार रुपये खर्चा आता है, ऐसे में वित्तीय हानि होने पर साइबर ठगों ने ठगी का तरीका ही बदल दिया।

अब साइबर ठगों की ओर से फेसबुक, वाट्सएप व इंस्टाग्राम पर फर्जी पेज अपलोड किए जा रहे हैं, जिसमें हेली टिकट बुकिंग के लिए उन्होंने अपने मोबाइल नंबर दिए और यदि कोई व्यक्ति टिकट बुक करवाता है तो ठग फर्जी टिकट भेजकर लाखों रुपये की ठगी कर लेते हैँ। तीर्थयात्री को ठगी का पता तब चलता है जब वह हेली के इंतजार में सहस्त्रधारा, फाटा और सोनप्रयाग तक पहुंच जाता है। टिकट की सत्यता पता करने पर पता चलता है कि उनके साथ ठगी हो गई।

साइबर ठगों के ट्रेंड से एसटीएफ की बढ़ी चुनौती

साइबर ठगों की ओर से ठगी करने के लिए तरीका बदलने से अब एसटीएफ की चुनौती बढ़ गई है। इंटरनेट मीडिया के सभी प्लेटफार्म पर निगरानी के साथ-साथ पेजाें को डाउन करवाना काफी लंबी प्रक्रिया है। इसके लिए जिस प्लेटफार्म पर पेज अपलोड किया गया है, उसे डाउन करने के लिए संबंधित कंपनी से पत्राचार किया जाता है।

पूरी प्रक्रिया करने के बाद ही फेसबुक, वाट्सएप व इंस्टाग्राम से पेज हटाया जाता है। निगरानी के लिए साइबर थाने के साथ-साथ रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी व चमोली में मानिटरिंग की टीम तैनात की गई है।

एसटीएफ एसएसपी आयुष अग्रवाल के अनुसार,  साइबर ठगों ने हेली सेवा के नाम पर ठगी करने का तरीका बदला है। पहले वह वेबसाइट के माध्यम से हेली सेवा टिकट बुक करवाने के नाम पर ठगी कर रहे थे। एसटीएफ ने वेबसाइट बंद करवानी शुरू की जिसके बाद साइबर ठगों को अपराधिक होनी शुरू हो गई, ऐसे में ठगों ने अब ठगी का तरीका बदला है। वह फेसबुक, इंस्टाग्राम व वाट्सएप पर ठगी करने के लिए पेज अपलोड कर रहे हैं। अब तक 20 पेजों को डाउन किया गया है।

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