बैंक को भारी पड़ी मनमानी, खाताधारक को लौटानी होगी रकम Dehradun News
क्रेडिट कार्ड में गलत ढंग से बकाया दर्शाकर इस पर वित्तीय चार्ज लगाना और खाताधारक के एकाउंट से रकम समायोजित करना बैंक को महंगा पड़ गया।
देहरादून, जेएनएन। क्रेडिट कार्ड में गलत ढंग से बकाया दर्शाकर इस पर वित्तीय चार्ज लगाना और खाताधारक के एकाउंट से रकम समायोजित करना बैंक को महंगा पड़ गया। जिला उपभोक्ता फोरम ने खाते से काटी गई उक्त रकम लौटाने के साथ ही बैंक को 15 हजार रुपये की क्षतिपूर्ति व पांच हजार रुपये वाद व्यय देने का भी आदेश दिया है।
बलवीर रोड निवासी नरेंद्र पाल गर्ग ने एचडीएफसी बैंक के खिलाफ जिला उपभोक्ता फोरम में वाद दायर किया। वादी के अनुसार बैंक की तरफ से उन्हें क्रेडिट कार्ड की सुविधा दी गई थी। इससे उन्होंने कोई वित्तीय लेनदेन नहीं किया। इसके बावजूद बैंक ने गलत तरीके से 450 रुपये बकाया दर्शाकर 55.60 रुपये वित्तीय चार्ज लगा दिया।
उन्होंने बैंक को पत्र भेजकर यह अशुद्धि दूर करने की प्रार्थना की, पर कोई सुनवाई नहीं की गई। उल्टा लगातार वित्तीय चार्ज लगाते हुए क्रेडिट कार्ड में 42975.38 रुपये बकाया दर्शाया दिया। यही नहीं, उनके खाते से यह रकम समायोजित कर ली गई। उपभोक्ता फोरम की तरफ से विपक्षी को नोटिस भेजा गया, पर उसने इसे लेने से इनकार कर दिया। इस पर नोटिस तामील मानते हुए प्रतिवाद पत्र व अनुपस्थिति के कारण साक्ष्य का अवसर समाप्त कर दिया गया।
जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह दुग्ताल व सदस्य विमल प्रकाश नैथानी ने माना कि बैंक ने क्रेडिट कार्ड में धनराशि अपने स्तर से ही गलत तरीके से बकाया दर्शाते हुए वित्तीय चार्ज लगाया। वादी के प्रार्थना पत्र देने के बाद भी इसमें सुधार नहीं किया। बैंक को उक्त रकम लौटाने के साथ ही 15 हजार रुपये की मानसिक क्षतिपूर्ति व पांच हजार रुपये वाद व्यय अदा करने का आदेश फोरम ने दिया है।
एमडीडीए के अधिशासी अभियंता पर 25 हजार जुर्माना
सूचना आयोग के आदेश के बाद भी सूचना देने में विलंब करने पर मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने एमडीडीए पर अधिशासी अभियंता पर 25 हजार रुपये का अधिकतम जुर्माना लगा दिया। इसकी वसूली उनके जून से अगस्त तक के वेतन से की जाएगी।
अधिवक्ता नवराज ने एमडीडीए से विभिन्न बिंदुओं पर सूचना मांगी थी। उस समय अधिशासी अभियंता सुनील परासर लोक सूचना अधिकारी का दायित्व देख रहे थे। सूचना आयोग पहुंचे इस मामले में मुख्य सूचना आयुक्त ने 11 नवंबर 2019 को सूचना देने को कहा था। इसके बाद भी जब सूचना नहीं मिली तो अधिवक्ता नवराज ने आयोग में शिकायत की।
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हालांकि, इस बीच ओएसडी एकता अरोड़ा ने लोक सूचनाधिकारी का पद्भार ग्रहण कर लिया। आयोग ने दोनों अधिकारियों का जवाब तलब किया और फिर स्पष्ट हुआ कि सुनील परासर के स्तर पर सूचना देने में 135 दिन का विलंब हुआ है। उन पर अधिकतम जुर्माना लगाते हुए इस राशि की वसूली जून, जुलाई व अगस्त माह के वेतन से क्रमश: आठ-आठ हजार व नौ हजार रुपये के रूप में करने के आदेश जारी किए गए। वसूली की जिम्मेदारी एमडीडीए उपाध्यक्ष को दी गई है।
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