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खराब खानपान भी है कुपोषण की बड़ी वजह, ऐसे करें बचाव

कुपोषण सिर्फ कम खाना खाने से नहीं होता। अगर खाने में सभी आवश्यक पोषक तत्व नहीं लिए जाएं तो एक संपन्न परिवार का व्यक्ति भी कुपोषण की शिकार हो सकता है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 31 Jan 2020 03:54 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jan 2020 03:54 PM (IST)
खराब खानपान भी है कुपोषण की बड़ी वजह, ऐसे करें बचाव

देहरादून, सुकांत ममगाईं। आम सोच है कि कुपोषण का शिकार सिर्फ गरीब लोग ही होते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि कुपोषण सिर्फ कम खाना खाने से नहीं होता। अगर खाने में सभी आवश्यक पोषक तत्व नहीं लिए जाएं, तो एक संपन्न परिवार का व्यक्ति भी कुपोषण की शिकार हो सकता है। आज की पीढ़ी फास्ट फूड और जंक फूड खाना ज्यादा पसंद करती हैं। परिणामस्वरूप उनके शरीर को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते। अभिभावक चिंता तो करते हैं पर एक समय के बाद वे चाहकर भी बच्चों की खानपान की आदतें नहीं सुधार सकते। नतीजा यह होता है कि ये छोटी-छोटी आदतें आगे चलकर बीमारी की बुनियाद बन जाती हैं। 

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किसी भी देश का भविष्य उसके नौनिहाल होते हैं और अगर स्कूल जाने वाले ये बच्चे ही यदि उपरोक्त स्थिति से गुजर रहे हों तो आने वाले भविष्य का व्यस्क रोगमुक्त कैसे हो सकता है? बचपन मे ही कुपोषण के शिकार बच्चे पूरे समाज को अस्वस्थ और शारीरिक संघर्ष के लिए बाध्य युवा के रूप में परिलक्षित कर देते हैं, जो देश के लिए घातक होता है। आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा कुपोषण अधिक बड़ी समस्या है। लेकिन शहरी और पढ़े लिखे तबके वाले परिवारों में भी यह समस्या आम है। 

विशेषज्ञों के अनुसार, बदलते परिवेश ने हमारी जीवनशैली को तो प्रभावित किया है, लेकिन बचपन भी इससे अछूता नही है। इसके कारणों पर गौर किया जाए तो खानपान की बदलती आदतें बच्चों के पोषण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं। यदि आंकड़ों पर गौर करें तो पूरी दूनिया में पांच फीसदी बच्चों की मौत का कारण कुपोषण है। कुपोषण का सीधा संबंध शरीर को आवश्यक कैलोरी और अन्य आवश्यक तत्वों जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और मिनरल की कमी होना है। विडंबना यह है कि भारत जैसे देश मे गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वाले माता-पिता अपने बच्चों को संतुलित आहार नही दे पा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अमीर और शहरी बच्चे भी खानपान की गलत आदतों की वजह से कुपोषण के शिकार ही जा रहे हैं। 

चिकित्सकों का मानना है कि पौष्टिक आहार ना मिलने के कारण शरीर में रक्त की कमी हो जाती है तो उम्र के हिसाब से बच्चों का कद और वजन नहीं बढ़ पाता है। इन कारणों से 10 वर्ष की उम्र के बाद बच्चों की दिक्कतें बढ़ जाती हैं। आमतौर पर ऐसे बच्चे बहुत दुबले-पतले होते हैं और नजर भी कमजोर होती है। 

अस्वस्थ खानपान के दुष्परिणाम 

- बच्चों का बार-बार बीमार होना। 

- कमजोर शरीर और मानसिक विकास न होना। 

- आयु के अनुसार कद न बढ़ना और कम वजन।   

- सीखने की कमजोर क्षमता। 

ऐसे बचें 

- मौसमी फल और सब्जियों का नियमित सेवन करें। 

- रोटी, चावल, आलू, पास्ता और अनाज आदि सभी चीजें खाएं, क्योंकि सभी में शरीर के लिए आवश्यक पौष्टिक तत्व होते हैं। 

- दूध और अन्य डेयरी उत्पाद का सेवन अवश्य करें। 

- मीट, मछली, अंडा और ड्राई फ्रूट्स का नियमित सेवन करें। 

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स्टैंडर्ड ग्रोथ  

- 05 वर्ष से कम उम्र के बच्चे जिनका कद उम्र के लिहाज कम है -32.5 शहरी और 34 ग्रामीण 

- 05 वर्ष से कम उम्र के बच्चे जिनका वजन लंबाई के अनुरूप नहीं है -18.6 शहरी और 19.9 ग्रामीण 

- 05 वर्ष से कम उम्र के बच्चे जो अंडरवेट हैं-25.6 शहरी और 27.1 ग्रामीण 

- एनीमिया से पीड़ित 15-49 वर्ष तक के पुरुष-15 फीसदी शहरी और 15.9 फीसदी ग्रामीण 

- एनीमिया से पीड़ित 6-59 माह के बच्चे-61.3 फीसदी शहरी और 59.1 फीसदी ग्रामीण 

(स्रोत-नेशनल हेल्थ सर्वे) 

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वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पीएस रावत का कहना है कि हेल्दी का मतलब केवल ये नहीं है कि बच्चा पर्याप्त खाना खाए, बल्कि जरूरी है कि आपका बच्चा हेल्दी और सही भोजन खाए। शुरू से ही अपने बच्चे की पोषण संबंधी जरूरतों पर ध्यान दें। बच्चों की पसंद और पौष्टिकता दोनों को ध्यान में रखकर उन्हें खाना परोसें। 

वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. मुकेश सुंदरियाल कहते है कि इस बात पर नजर रखें कि बच्चे को दिनभर में पर्याप्त पोषक तत्व मिल रहे हैं या नहीं। हर रोज एक ही प्रकार का खाना खाते-खाते बच्चे भी ऊब जाते हैं। ऐसे में उन्हें परोसे जा रहे खाने में नयापन लाएं। फास्ट फूड या जंक फूड से उन्हें दूर ही रखें। 

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