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हादसे में एक जिंदगी खत्म होती है तो सात लोगों की मानी जाती है मौत

30वें सड़क सुरक्षा सप्ताह के अंतर्गत मंगलवार को संभागीय परिवहन कार्यालय की ओर से सीएनआइ गर्ल्‍स इंटर कालेज में सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम किया गया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 06 Feb 2019 05:38 PM (IST)Updated: Wed, 06 Feb 2019 05:38 PM (IST)
हादसे में एक जिंदगी खत्म होती है तो सात लोगों की मानी जाती है मौत
हादसे में एक जिंदगी खत्म होती है तो सात लोगों की मानी जाती है मौत

देहरादून, जेएनएन। सड़क हादसे में अगर एक जिंदगी खत्म होती है तो वह महज एक नहीं बल्कि सात लोगों की 'मौत' मानी जाती है। दरअसल, मृत्यु तो एक सदस्य की ही होती है मगर उसके पीछे परिवार के सात सदस्यों के सपने भी चकनाचूर हो जाते हैं और जिंदगीभर दुख अलग परेशान करता है। यह मानना है दून के सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी अरविंद पांडे का। उन्होंने कहा कि हमारी जरा सी गलती परिवार के लिए जीवनभर की सजा हो जाती है। इसलिए हमें हमेशा यातायात नियमों का पालन करना चाहिए।

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 30वें सड़क सुरक्षा सप्ताह के अंतर्गत मंगलवार को संभागीय परिवहन कार्यालय की ओर से सीएनआइ गर्ल्‍स इंटर कालेज में सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम किया गया। इस मौके पर एआरटीओ पांडे ने छात्राओं को सुरक्षित यातायात और वाहन संचालन के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बच्चों को यातायात नियमों व उनके चिह्न की बारीकी से जानकारी देते हुए ये बताया कि नेशनल हाइवे, स्टेट हाइवे व जिला सड़कों पर कौन सा चिह्न किसलिए होता है। इस दौरान यातायात टिप्स से संबंधित बुकलेट भी छात्राओं को वितरित की। छात्राओं को सीट बेल्ट के बारे में भी जानकारी दी गई। इसके साथ ही क्विज प्रतियोगिता के जरिए सही जवाब देने पर छात्राओं को पुरस्कृत भी किया गया। कार्यक्रम में नागरिक सुरक्षा संगठन के प्रभागीय वार्डन ओमेश्वर रावत, स्कूल की प्रिंसिपल विनीता मार्टिन, स्कूल के एनसीसी अफसर अंशु गुप्ता व शिक्षिका रिवेका सिंह, शालिनी मनी, लक्ष्मी खंडूरी, प्रीति गुप्ता आदि मौजूद रहे।  

सुरक्षा संबंधित स्टीकर लगाए

एनसीसी की छात्रा कैडेट्स के साथ परिवहन विभाग ने राजपुर रोड पर वाहन चालकों को सड़क सुरक्षा की जानकारी दी और 'मैं हूं सड़क सुरक्षा मित्र' व 'सड़क सुरक्षा मेरी जिम्मेदारी है' के स्टीकर वाहनों पर लगाए। अभियान में परिवहन विभाग ने पांच वाहनों को सीज किया जबकि पचीस के चालान काटे गए।

एआरटीओ की जुबानी 

-हमारी लापरवाही से हादसे में किसी की जान जाना मतलब उसकी हत्या करना

-हादसों में मृतकों की औसत उम्र 22 से 28 होती है और हादसों की असल वजह बेकाबू रफ्तार होती है

-हादसे में मौत के बाद पीडि़त परिवार के सदस्य यही कहते हैं कि अगर बीमारी से मृत्यु हुई होती तो दिल को तसल्ली भी दे लेते, मगर अब क्या करें

-भारत में गाड़ी चलाते सब हैं, लेकिन एमवी एक्ट की जानकारी 90 फीसद लोगों को भी नहीं होती

-हमारी थोड़ी देर की मस्ती किसी परिवार व देश को बड़ा नुकसान पहुंचा देती है

-जिंदगी सीखने के लिए बनी हुई है, इसे ऐसे ही स्टंटबाजी में खराब न करें

-सड़कों पर जान देने की जरूरत नहीं है, खुद को भीड़ का हिस्सा न मानें

-सड़क पर अवरोधक न बनें, खुद के साथ दूसरों का भी रखें ख्याल

-दुर्घटना को अंजाम देना देश के साथ गद्दारी करने जैसा है

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