Move to Jagran APP

ग्रीन हाउस गैसों में कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा जा पहुंची 60 फीसद

राष्ट्रमंडल वानिकी सम्मेलन में जारी किए गए एक शोध पत्र के माध्यम से यह बात सामने आई है कि देश में ग्रीन हाउस गैसों में कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा 60 फीसद जा पहुंची है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 06 Apr 2017 12:26 PM (IST)Updated: Fri, 07 Apr 2017 04:03 AM (IST)
ग्रीन हाउस गैसों में कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा जा पहुंची 60 फीसद

देहरादून, [सुमन सेमवाल]: पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली ग्रीन हाउस गैसों में कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा देश में 60 फीसद जा पहुंची है। वाहनों और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले धुएं से बढ़ रही कार्बन की मात्रा की बदौलत वर्ष 1972 से अब तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में 70 फीसद से अधिक का इजाफा हो गया है। 

loksabha election banner

देश में बढ़ते प्रदूषण की यह तस्वीर देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआइ) में चल रहे राष्ट्रमंडल वानिकी सम्मेलन में जारी किए गए एक शोध पत्र के माध्यम से पेश की गई। दिल्ली सरकार में भारतीय वन सेवा (आइएफएस) अधिकारी एम राजकुमार के इस शोध में ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ते स्तर व उससे भविष्य में पड़ने वाले तमाम प्रतिकूल प्रभावों को भी बयां किया गया है।

'भारतीय परिपेक्ष्य में जलवायु परिवर्तन' नाम के इस शोध पत्र के अनुसार देश में हर 10 साल में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में अधिकतम 0.2 फीसद बढ़ोतरी स्वीकार्य की गई है। जबकि उत्सर्जन की दर सीमा से दो फीसद अधिक है। यदि ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन की दर यही रही तो 2100 तक बारिश के चक्र में 15 से 40 फीसद तक बदलाव आ जाएगा। 

प्रदूषणकारी गैसों के अधिक उत्सर्जन से फसल उत्पादन प्रभावित होने, समुद्र के जल स्तर में बढोतरी से लाखों लोगों के विस्थापन, जल उपलब्धता में कमी और ग्लेशियरों के पीछे खिसकने की दर बढ़ने की आशंका भी शोध में जाहिर की गई है।

ग्रीन हाउस गैसों की स्थिति (फीसद में)

कार्बन डाईऑक्साइड: 60

क्लोरोफ्लोरो कार्बन: 14

नाइट्रसऑक्साइड: 06

मीथेन: 20

तापमान बढ़ने के प्रभाव

-2055 तक समुद्र के स्तर में एक मीटर का इजाफा होने की आशंका (इस स्थिति में 70 लाख लोगों को विस्थापित करना पड़ेगा)

-तापमान में औसतन दो डिग्री सेल्सियस का इजाफा होने पर चावल की पैदावर प्रति हेक्टेयर 7.5 कुंतल घट जाएगी।

-सर्दियों में औसत तापमान 0.5 डिग्री बढ़ने मात्र से ही गेहूं की पैदावार प्रति हेक्टेयर 04 कुंतल कम होने का अंदेशा

भूजल की उपलब्धता घट रही

वर्ष 1955 (प्रति व्यक्ति 5200 क्यूबिक मीटर)

वर्ष 2010 (प्रति व्यक्ति 2200 क्यूबिक मीटर)

वर्ष 2025 (प्रति व्यक्ति 1500 क्यूबिक मीटर)

विश्व के मुकाबले देश में उत्सर्जन कम

विश्व के कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन देश की हिस्सेदारी महज 4.6 मिलियन टन वार्षिक है। इसके बाद भी पर्यावरण सुधारों की तरफ देश तेजी से आगे बढ़ रहा है। केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन सचिव एएन झा के अनुसार वर्ष 2030 तक देश के वनों के कार्बन सोखने (कार्बन सिंक) की क्षमता 2.5 बिलियन टन की जानी है। इसके लिए हल साल 100 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है।

वैश्विक कार्बन उत्सर्जन (मिलियन टन वार्षिक)

अमेरिका: 20.6

चीन: 17

भारत: 4.6

एशियाई देश: 20  

यह भी पढ़ें: विश्व में हर साल 13 लाख हेक्टेयर जंगल का सफाया

यह भी पढ़ें: उत्‍तराखंड: अत्यधिक मानवीय दखल से मिट्टी से भी छूटा कार्बन

यह भी पढ़ें: इस गांव के लोगों ने तो उगा दिया पूरा जंगल, जानिए

यह भी पढ़ें: भूगोल के शिक्षक ने बंजर भूमि पर उगा दिया जंगल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.