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इस दीपावली देहरादून में औसतन कम रहा वायु व ध्वनि प्रदूषण का ग्राफ

आंकड़ों के तहत बीते साल के मुकाबले दीपावली पर देहरादून फिजा में घुलने वाले वायु प्रदूषण में कमी आई। आतिशबाजी के कानफोड़ू शोर पर भी कुछ लगाम लगती दिखी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 20 Oct 2017 08:27 PM (IST)Updated: Sat, 21 Oct 2017 04:26 AM (IST)
इस दीपावली देहरादून में औसतन कम रहा वायु व ध्वनि प्रदूषण का ग्राफ
इस दीपावली देहरादून में औसतन कम रहा वायु व ध्वनि प्रदूषण का ग्राफ

देहरादून, [जेएनएन]: अपना दून अब समझदार हो रहा है। लोगों को भी समझ आने लगा है कि दीपों के उत्सव का मतलब केवल आतिशबाजी का तमाशा कर वायु व ध्वनि प्रदूषण बढ़ाना नहीं। आमजन यह भी समझ रहा है कि इस धुएं और शोर का असर उनकी ही सेहत पर पड़ेगा। इसके कारण इस बार दीपावली का जश्न न सिर्फ शानदार रहा, बल्कि पटाखों के काले धुएं में उम्मीद भी धूमिल होने से बच गई। इसकी तस्दीक पर्यावरण संरक्षण व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े कर रहे।

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आंकड़ों के तहत बीते साल के मुकाबले दीपावली पर फिजा में घुलने वाले वायु प्रदूषण में कमी आई। आतिशबाजी के कानफोड़ू शोर पर भी कुछ लगाम लगती दिखी। इसका श्रेय उन तमाम जागरूकता अभियान को जाता है, जिन्होंने इको फ्रेंडली दीपावली मनाने के लिए जन को जागरूक किया। 

निश्चित ही नतीजे उम्मीद से भरे कल के दर्शन कराते हैं। देहरादून में वायु प्रदूषण की बात करें तो राजधानी दून की फिजा में रेस्पायरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (आरएसपीएम) यानी श्वसनीय निलंबित ठोस कण की मात्रा 100 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर के मानक से दो गुने से अधिक रहती है। दीपावली पर प्रदूषण का ग्राफ तीन गुना तक बढ़ जाता है। 

ध्वनि प्रदूषण की स्थिति भी बेहद खतरनाक हो जाती है। अस्पताल जैसे साइलेंस जोन में भी आधी रात तक पटाखों के कानफोड़ू शोर गूंजते रहते हैं। दो साल पहले तक फिजाओं में पटाखों के धुएं व शोर ने दम फुलाए रखा था, लेकिन पिछले दो साल में यह ग्राफ लगातार घटा है। दीपावली की रात भले ही फिजाओं में पटाखों के शोर, धुएं के गुबार तैरते दिखे, लेकिन पिछले साल की अपेक्षा प्रदूषण का ग्राफ औसतन अपनी हद से आगे नहीं बढ़ पाया।

दीपावली पर वायु प्रदूषण की स्थिति

(आरएसपीएम माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर)

वर्ष-------------घंटाघर-------रायपुर रोड--------नेहरू कॉलोनी

2014-----218.12----307.01-------333.69

2015-----296.80----351.53-------422.02

2016-----240.00----253.12--------369.90

2017-----166.17----267.78--------273.44

नोट: आरएसपीएम का अधिकतम स्तर 100 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर होना चाहिए।

ध्वनि प्रदूषण का ग्राफ

(डेसीबल में)

 क्षेत्र--------------2015----2016--------2017

घंटाघर-------------74.71--72.34-------70.06

नेहरू कॉलोनी-----68.15---68.22------65.34

रेसकोर्स------------68.46---67.52-------62.34

प्रिंस चौक----------73.97---69.57-------71.74

दून अस्पताल------67.55--68.79--------55.99

सीएमआइ-----------70.98--66.83--------58.23

वसंत विहार---------58.01--63.67--------65.46

किशननगर चौक----72.02--70.69--------72.37

सहारनपुर चौक------77.75--72.87--------73.42

विधानसभा------------73.45--67.49--------61.60

गांधी पार्क-------------64.49---67.91-------65.42

आइएसबीटी-------73.83-------64.49--------70.78

नोट: ध्वनि प्रदूषण का उच्चतम स्तर विभिन्न जोन में (इंडस्ट्रियल एरिया को छोड़कर) दिन में 50-65 व रात्रि में 40-55 होना चाहिए। ये आंकड़े दिन-रात के प्रदूषण का औसत हैं।

क्षेत्रीय अधिकारी (पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) एसएस राणा का कहना है कि इस दीपावली पर प्रदूषण के आंकड़े बताते हैं कि लोगों में जागरूकता बढ़ रही है। आने वाले सालों में प्रदूषण का ग्राफ और नीचे जाने के आसार हैं।

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