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एम्‍स के विशेषज्ञ बोले- कोविड-19 और डबल म्यूटेंट के उपचार में ज्यादा फर्क नहीं

ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के विशेषज्ञों के अनुसार डबल म्यूटेंट का उपचार और बचाव कोविड-19 की तरह ही है। जरूरत ज्यादा संक्रमण शक्ति वाले वायरस के इस स्वरूप को लेकर और अधिक सावधान रहने की है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 23 Apr 2021 11:21 AM (IST)Updated: Fri, 23 Apr 2021 11:21 AM (IST)
एम्‍स के विशेषज्ञ ने कहा- कोविड-19 और डबल म्यूटेंट के उपचार में ज्यादा फर्क नहीं।

हरीश तिवारी, ऋषिकेश। भारत में करीब 12 राज्य कोरोना के नए वेरिएंट की चपेट में हैं। उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं है। ये वेरिएंट पहले से ज्यादा आक्रामक माना जा रहा है। प्रदेश में अभी इसकी जांच की व्यवस्था नहीं है। ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के विशेषज्ञों के अनुसार डबल म्यूटेंट का उपचार और बचाव कोविड-19 की तरह ही है। जरूरत ज्यादा संक्रमण शक्ति वाले वायरस के इस स्वरूप को लेकर और अधिक सावधान रहने की है।

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भारत में नए वेरिएंट की पहचान दिसंबर 2020 में हुई थी। उत्तराखंड में मार्च के अंतिम सप्ताह में नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) को देहरादून से भेजे गए तीन सैंपल में डबल म्युटेंट की पुष्टि हुई है। एम्स में कोविड-19 के नोडल अधिकारी डॉ. मधुर उनियाल ने बताया कि एम्स प्रशासन की पूरी टीम का ध्यान वर्तमान में मरीजों के उपचार पर ज्यादा है। वैसे भी भारत सरकार की ओर से आइसीएमआर जगह-जगह से इस नए वेरिएंट को लेकर रेंडम सैंपलिंग कर रहा है। उन्होंने बताया कि कोविड-19 और डबल म्यूटेंट के ट्रीटमेंट प्लान में कोई ज्यादा फर्क नहीं है। दोनों का ही उपचार और बचाव समान है। इसे लेकर और अधिक जागरूक और सावधान रहने की जरूरत है। क्योंकि यह एक तरह से फ्लू यानि इन्फ्लूएंजा वायरस है।

पद्मश्री प्रोफेसर रविकांत (निदेशक, एम्स ऋषिकेश) ने कहा कि डबल म्युटेंट की जांच के लिए महंगी मशीनें और विशेषज्ञ जुटाना वर्तमान में संभव नहीं है। वैसे भी यह वायरस हर बार अपना स्वरूप परिवर्तन करता है। आने वाले समय में इसका स्वरूप क्या होगा कहा नहीं जा सकता। हमारा सारा फोकस कोरोना संक्रमित मरीजों की देखभाल पर ज्यादा है।

बी.1.617 है डबल म्यूटेंट वेरिएंट 

डबल म्यूटेंट वेरिएंट को बी.1.617 नाम से भी जानते हैं। नए डबल म्यूटेंट वायरस के साथ पाए गए पॉजिटिव मामलों का पता भारत के कम से कम पांच राज्यों में लगाया गया है, जिनमें पिछले महीने काफी इजाफा देखने को मिला था। इसमें महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब शामिल हैं। दरअसल यह वेरिएंट विश्व स्तर पर भी चौंकाने वाला है।

कितना खतरनाक है ये वेरिएंट

ये नया म्यूटेशन आनुवंशिक कोड को दो अन्य ई484क्यू और एल452आर म्यूटेशन से वहन करता है। जबकि दोनों उत्परिवर्तन अलग-अलग प्रकारों के लिए जाने जाते हैं। लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है, जब ये दोनों आपस में मिल गए हैं। जिससे ये ज्यादा खतरनाक हो चुके हैं। यानी डबल म्यूटेशन में कोरोना वायरस से संबंधित दो अलग-अलग स्पाइक प्रोटीन वायरस को मानव कोशिकाओं से जुड़ने में मदद करता है और फिर हमारे अंगों पर हमला करता है।

क्या यह हमारी प्रतिरक्षा के लिए खतरा है

भारत में इस समय जिस तरह से दूसरी लहर तेजी से फैल रही है, विशेषज्ञों का मानना है कि दोहरे उत्परिवर्ती (डबल म्युटेंट) संस्करण इसकी मुख्य वजह है। जानकारी के मुताबिक ये डबल उत्परिवर्ती संस्करण ज्यादा संक्रामक है, जो न केवल तेजी से फैलता है बल्कि हमारे स्वास्थ्य को खराब करने की वजह बनता है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान भी जारी किया था। जिसमें कहा गया था कि नया वेरिएंट संक्रमण दर को बढ़ा सकता है और आसानी से प्रतिरक्षा सुरक्षा को बढ़ा सकता है। 

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