Move to Jagran APP

दून के पॉलीथिन से डीजल बनाने को हुआ करार, पढ़िए पूरी खबर

भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आइआइपी) ने दून के घरों से निकलने वाले पॉलीथिन कचरे को एकत्रित कर डीजल बनाने के सयंत्र तक पहुंचाने के लिए गति फाउंडेशन के साथ करार किया है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 10 Sep 2019 12:26 PM (IST)Updated: Tue, 10 Sep 2019 12:26 PM (IST)
दून के पॉलीथिन से डीजल बनाने को हुआ करार, पढ़िए पूरी खबर
दून के पॉलीथिन से डीजल बनाने को हुआ करार, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, सुमन सेमवाल। कचरा निस्तारण और वैकल्पिक ईंधन की दिशा में भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आइआइपी) ने अहम कदम बढ़ाया है। संस्थान ने दून के घरों से निकलने वाले पॉलीथिन कचरे को एकत्रित कर डीजल बनाने के सयंत्र तक पहुंचाने के लिए गति फाउंडेशन के साथ करार किया है। तय किया गया है कि फाउंडेशन हर माह 30 हजार किलो तक पॉलीथिन कचरा आइआइपी को मुहैया कराएगा।

loksabha election banner

आइआइपी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सनत के अनुसार 27 अगस्त को केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने संस्थान में पॉलीथिन कचरे से प्रतिदिन एक टन डीजल बनाने की क्षमता के प्लांट का उद्घाटन किया था। छह माह तक इस प्लांट से डीजल बनाने की तकनीक को परिष्कृत किया जाएगा और इसके बाद इसे बाजार में उतारने के लिए कंपनियों को आमंत्रित किया जाएगा। लिहाजा, संस्थान को बड़ी मात्रा में पॉलीथिन कचरे की जरूरत को देखते हुए यह करार किया गया है। पॉलीथिन कचरे को मुहैया कराने के लिए गति फाउंडेशन ने सामुदायिक भागीदारी के साथ दूनवासियों से सीधा संपर्क करना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही फाउंडेशन ने देहरादून स्मार्ट सिटी लि. कंपनी से जुड़कर पॉलीथिन वापसी अभियान भी शुरू किया है। इसके तहत स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत आने वाले 20 स्कूलों के करीब 5000 छात्र-छात्राओं को जोड़कर पॉलीथिन एकत्रित करने का काम भी शुरू कर दिया है।

दून के कचरे में 19 हजार लीटर डीजल बनाने की क्षमता

दून में रोजाना करीब 300 मीट्रिक टन कचरा निकलता है। इसमें करीब 10 फीसद ऐसा प्लास्टिक कचरा होता है, जिससे डीजल बनाया जा सकता है। यानी कि नगर निगम चाहे तो आइआइपी को हर दिन 30 टन (30 हजार किलो) पॉलीथिन मुहैया करा सकता है। इस कचरे से प्रत्येक दिन करीब 19 हजार लीटर (19 टन) डीजल तैयार किया जा सकता है। यह बात और है कि वर्तमान में 300 मीट्रिक टन कचरे में से 230 टन का ही उठान हो पाता है और बाकी शहर में ही पड़ा-पड़ा गंदगी को बढ़ाने का काम करता है। इसमें बड़ा हिस्सा प्लास्टिक कचरे का भी है।

यह भी पढ़ें: उत्‍तराखंड की जमीनों का होगा हवाई सर्वे, इसकी शुरुआत होगी अल्मोड़ा व पौड़ी से

बदरीनाथ-केदारनाथ का कचरा भी पहुंचेगा आइआइपी

बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन थपलियाल ने बताया कि डीजल बनाने के लिए वह भी आइआइपी को दोनों धाम में पहुंचने वाले पॉलीथिन कचरे को मुहैया कराएंगे। इसके लिए बड़ी संख्या में कूड़ेदान लगाए जाएंगे और श्रद्धालुओं को जागरूक किया जाएगा कि वह पॉलीथिन कचरे को निर्धारित कूड़ेदान में ही डालें। कचरे के आसान परिवहन के लिए दोनों धाम में कॉम्पैक्टर भी स्थापित किए जाएंगे।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में प्लास्टिक कचरे से तैयार होने लगा है डीजल, केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने किया उद्घाटन


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.