अडानी और सीएम के वीडियो बनाने और वायरल करने वाले रडार पर
पुलिस साइबर सेल ने उद्योगपति गौतम अडाणी के हाल ही में वायरल हुए एक वीडयो के मामले में पुलिस जांच कर रही है। वीडियो को जांच के लिए फोरेंसिक लैब भेजा गया है।
देहरादून, [जेएनएन]: इन्वेस्टर्स समिट से पहले उद्योगपति गौतम अडानी और उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के बीच हुई बातचीत का वीडियो वायरल होने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। मामले में सहायक निदेशक सूचना रवि बिजारनिया की ओर से कैंट कोतवाली को तहरीर दी गई है, जिसमें कहा गया है कि सीएम और अडानी के बीच हुई बातचीत के वीडियो के साथ छेड़छाड़ कर प्रसारित किया गया है। तहरीर में एक समाचार पोर्टल पर साजिश के तहत वीडियो वायरल करने का आरोप लगाते हुए विधिक कार्रवाई करने की बात कही गई है। एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि पोर्टल पर चले और मूलरूप से बने वीडियो को सीएफएसएल (सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लैब) जांच के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि इन्वेस्टर्स समिट से पहले उद्योगपति गौतम अडानी ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से अनौपचारिक मुलाकात की थी। आरोप है कि इसी मुलाकात का वीडियो वायरल हुआ। सहायक निदेशक सूचना एवं लोक संपर्क विभाग की ओर से दी गई तहरीर में कैंट पुलिस को उस समाचार पोर्टल का नाम भी बताया गया है, जिसने वीडियो को सोशल मीडिया पर प्रसारित किया।
पुलिस ने सूचना विभाग से मूलरूप से बने वीडियो और समाचार पोर्टल पर प्रसारित किए गए वीडियो को कब्जे में लेकर सीएफएसएल को जांच के लिए भेज दिया गया है। कैंट इंस्पेक्टर अरुण कुमार सैनी ने बताया कि सहायक निदेशक सूचना की तहरीर पर जांच शुरू कर दी गई है। वहीं एसएसपी ने बताया कि वीडियो के साथ छेड़छाड़ करने की बात का तो सीएफएसएल की रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा। फिलहाल प्रारंभिक जांच में यह पता लगाने की कोशिश हो रही है कि वीडियो किसने बनाया और समाचार पोर्टल तक किसने पहुंचाया। उधर समाचार पोर्टल ने वीडियो को अपने पोर्टल से हटा दिया है।
फियर नहीं फेवर कहा था अडानी ने
सहायक निदेशक रवि बिजारनिया के मुताबिक वायरल वीडियो के साथ चल रहे स्क्रॉल में गौतम अडानी को 'वन साइड इन फियर ऑफ गवर्नमेंट' कहते दिखाया गया है, जबकि वह वन साइड इन फेवर ऑफ गवर्नमेंट कह रहे हैं। ऐसे में फेवर शब्द की जगह फियर शब्द का प्रयोग कर सरकार की छवि को धूमिल करने की कोशिश की गई है।
पहले भी हो चुकी है सीएम के खिलाफ साजिश
सितंबर महीने की शुरूआत में यूट्यूब पर वायरल सीएम पर बने एक गीत ने सियासी हलके में भूचाल आ गया था। 'हटा यीं आंचल मुंडा कू' नाम से बने इस गीत में राज्य की आबकारी नीति पर सवाल उठाते हुए बनाए गए गढ़वाली गीत के जरिए गांव-गांव में शराब के ठेके खोल दिए जाने पर भी कटाक्ष किया गया था। वीडियो में मुख्यमंत्री की फोटो दिखाते हुए गीत के बोल में उन्हें लेकर अभद्र शब्दों का उपयोग किया गया है। कुछेक आपत्तिजनक कार्टून भी वीडियो में शामिल किए गए थे। इस मामले में अनिल कुमार पांडेय की ओर से पांच सितंबर को नेहरू कॉलोनी कोतवाली में तहरीर दी गई थी, जिसकी जांच अभी चल रही है। वहीं बीते मई महीने में सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल की गई थी। इस तस्वीर में एक व्यक्ति हाथ में शराब की बोतल लेकर गिलास में उड़ेल रहा था। सोशल मीडिया पर इस तस्वीर को सीएम की तस्वीर बता कर वायरल किए जाने से हड़कंप मच गया था। जबकि यह तस्वीर किसी और की थी। इस मामले में पुलिस ने साइबर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था।
खफा सरकार सख्त कदम उठाने की तैयारी में
प्रसिद्ध उद्योगपति गौतम अडाणी की मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और अधिकारियों से बातचीत के वीडियो को सोशल मीडिया में गलत तरीके से पेश किए जाने से सरकार खफा है। हाल ही में दो दिनी इन्वेस्टर्स समिट में एक लाख 24 हजार करोड़ से ज्यादा निवेश के एमओयू से उत्साहित सरकार ने इसे साजिश माना है। यही वजह है कि सोशल मीडिया में वायरल खबर और वीडियो की जांच के लिए पुलिस में तहरीर दी गई। मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक जिस वीडियो को वायरल किया गया, वह गत 26 सितंबर का है। इसमें मुख्यमंत्री व अधिकारियों के साथ उद्योगपति गौतम अडाणी को राज्य में निवेश को लेकर चर्चा करते हुए दिखाया गया है।
इस दौरान उन्होंने उद्यमियों के समक्ष आने वाली संभावित दिक्कतों का जिक्र करते हुए निवेशकों को राज्य में बेहतर माहौल उपलब्ध कराने की सरकार से अपेक्षा की। सोशल मीडिया में वीडियो को लेकर जो खबर चली, उसमें लिखा गया कि उद्यमी केंद्र सरकार के भय के कारण उत्तराखंड में निवेश कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट के मुताबिक वीडियो में कहीं भी केंद्र सरकार के भय की बात किसी ने नहीं कही। इसे जानबूझकर तोड़ मरोड़कर लिखा गया।
उन्होंने कहा कि इस तरह की साजिश करने वालों के खिलाफ सरकार सख्त कदम उठाएगी और विधिक कार्रवाई करेगी। गौरतलब है कि अडाणी समूह ने पिछली हरीश रावत सरकार के समय भी उत्तराखंड में निवेश में रुचि दिखाई थी। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के समक्ष निवेश को लेकर विस्तृत खाका भी पेश किया गया। इसमें सोलर प्लांट और कूड़े से बिजली बनाने के संयत्र लगाने के प्रस्ताव शामिल थे। हालांकि इन प्रस्तावों को तब अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका।
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