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आयुष्मान योजना के लाभ से वंचित हैं तदर्थ कर्मचारी

प्रदेश में तदर्थ कर्मचारियों को आयुष्मान योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। सरकारी खजाने से वेतन ले रहे इन कार्मिकों के वेतन से स्वास्थ्य सुविधा के लिए होने वाली कटौती से कोषागार ने इन्कार कर दिया है। इनमें से कई कर्मचारी गोल्डन कार्ड बना चुके हैं।

By Sumit KumarEdited By: Published: Thu, 20 May 2021 04:35 PM (IST)Updated: Thu, 20 May 2021 04:35 PM (IST)
आयुष्मान योजना के लाभ से वंचित हैं तदर्थ कर्मचारी
क्‍ई कर्मचारी गोल्डन कार्ड बना चुके हैं। इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय में भी दस्तक दी गई है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश में तदर्थ कर्मचारियों को आयुष्मान योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। सरकारी खजाने से वेतन ले रहे इन कार्मिकों के वेतन से स्वास्थ्य सुविधा के लिए होने वाली कटौती से कोषागार ने इन्कार कर दिया है। इनमें से कई कर्मचारी गोल्डन कार्ड बना चुके हैं। इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय में भी दस्तक दी गई है।

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प्रदेश में आयुष्मान और गोल्डन कार्ड योजना की खामियों को दूर करने को तमाम कर्मचारी संगठन जोर दे रहे हैं। इस मामले में नया पेच तदर्थ नियुक्त कर्मचारियों को लेकर आ गया है। सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद इन्हें आयुष्मान योजना के लाभ से वंचित कर दिया गया है। इसकी वजह संबंधित शासनादेश को बताया जा रहा है। उक्त आदेश में नियमित कर्मचारी का जिक्र होने की वजह से साइबर कोषागार ने तदर्थ कर्मचारियों के वेतन में की जाने वाली कटौती रोक दी है। ऐसे में इन कर्मचारियों और उनके स्वजन को मिलने वाली चिकित्सा सुविधा पर भी संकट खड़ा हो गया है। विधानसभा में इस व्यवस्था से करीब 100 से ज्यादा तदर्थ कर्मचारी आयुष्मान योजना के तहत चिकित्सा सुविधा के लाभ से वंचित होने को मजबूर हैं। दरअसल तदर्थ नियुक्त कर्मचारियों के विनियमितीकरण को 2016 में लागू नियमावली को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। इसके बाद से ही यह मामला हाईकोर्ट में लंबित है। 2015 के बाद तदर्थ नियुक्त होने वाले कर्मचारी नियमित होने को तरस गए हैं। हालांकि इन सभी कर्मचारियों काे सरकारी खजाने से वेतन दिया जा रहा है। साथ ही सरकार की ओर से चिकित्सा अवकाश, उपार्जित अवकाश एवं आकस्मिक अवकाश जैसी तमाम सुविधाएं बदस्तूर मिल रही हैं। 

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विधायी विभाग में विशेष कार्याधिकारी आरके पंत ने बताया कि इस मसले को वह अधिकारियों के समक्ष भी उठा चुके हैं। मुख्यमंत्री के सचिव पराग मधुकर के समक्ष भी उन्होंने यह मामला रखा, ताकि समस्या का निराकरण हो सके। यह मामला सिर्फ विधानसभा का ही नहीं, बल्कि प्रदेश के उन सभी विभागों में है, जहां तदर्थ रूप से कर्मचारी नियुक्त हैं और अभी नियमित नहीं हो सके हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस मामले का निराकरण करने की अपील की है।

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