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उत्तराखंड में 51 थाने व 100 से अधिक चौकियां किराए पर

उत्‍तराखंड में अभी 51 थाने और 100 से अधिक चौकियां किराए के भवनों में चल रही हैं। यहां तक कि प्रदेश सरकार ने भी निर्माण मद में इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं की है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 17 Dec 2017 10:59 AM (IST)Updated: Sun, 17 Dec 2017 08:35 PM (IST)
उत्तराखंड में 51 थाने व 100 से अधिक चौकियां किराए पर
उत्तराखंड में 51 थाने व 100 से अधिक चौकियां किराए पर

देहरादून, [विकास गुसाईं]: नीति आयोग के भंग होने के बाद पुलिस के सामने नए भवन निर्माण को लेकर संकट खड़ा हो गया है। स्थिति यह है कि प्रदेश में अभी 51 थाने और 100 से अधिक चौकियां किराए के भवनों में चल रही हैं। यहां तक कि प्रदेश सरकार ने भी निर्माण मद में इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं की है। हाल ही में गैरसैंण में पारित अनुपूरक बजट में भी निर्माण कार्य मद में राशि की व्यवस्था नहीं की गई है।

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पुलिस में पहले भवनों व आवास का निर्माण पुलिस आधुनिकीकरण मद में किया जाता था। नीति आयोग के भंग होने से पहले पुलिस आधुनिकीकरण मद में केंद्र सरकार इसके लिए अच्छी खासी राशि देती थी। इसके तहत पुलिस आधुनिकीकरण के लिए 90 फीसद धनराशि केंद्र सरकार और दस फीसद धनराशि प्रदेश सरकार देती थी।वर्ष 2006-07 में पुलिस को आधुनिकीकरण के नाम पर केंद्र से तकरीबन 14 से 15 करोड़ रुपये मिलते थे। धीरे-धीरे यह राशि कम होने लगी। हालांकि, बाद में नीति आयोग के भंग होने के बाद पुलिस आधुनिकीकरण के तहत भवन निर्माण के पैसा मिलना बिल्कुल बंद हो गया। जब पुलिस ने यह मामला प्रदेश सरकार के समक्ष उठाया तो सरकार ने कहा था कि निर्माण मद में पुलिस को इसके लिए अलग से पैसा दिया जाएगा।

अब इसे प्रदेश की तंग माली हालात कहें या कुछ और। पुलिस को भवन निर्माण के लिए अभी तक प्रदेश सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं मिली है। इसके चलते बीते कुछ वर्षों में गठित नए थाने व चौकियां किराए के भवनों में चल रहे हैं। पुलिस के प्रदेश में गठित 156 थानों में से 51 थाने और 231 पुलिस चौकियों में से 100 से अधिक किराए पर ही हैं। इतना ही नहीं पुलिस के पास अभी कर्मचारियों के लिए आवास बनाने की भी कोई व्यवस्था नहीं है। 

आलम यह है कि पुलिस की मौजूदा कर्मचारी संख्या के सापेक्ष तकरीबन 20 फीसद कर्मचारियों को ही आवासीय सुविधा मिल पा रही है। शेष पुलिस कर्मचारी जो अपने गृह क्षेत्र से बाहर हैं, वे किराए के कमरों में अपना गुजारा कर रहे हैं। हालांकि, अब एक बार फिर सबकी नजरें केंद्र के आगामी बजट पर टिकी हुई हैं। इस बात की संभावना जताई जा रही है कि इस बार केंद्र पुलिस आधुनिकीकरण मद में निर्माण कार्यों को शामिल कर सकता है। 

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