लापरवाही : स्रोत संवर्धन के 40 लाख सालभर से डंप, पढ़िए पूरी खबर
सरकारी तंत्र बेवजह की औपचारिकताओं में किस कदर उलझा रहता है पेयजल निगम का यह प्रकरण उसका जीता-जागता उदाहरण है। इनाइटेड नेशंस डेलवपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) के तहत 40 लाख की जो राशि पिछले साल मिली थी उसे स्रोत संवर्धन के काम में लगाने की जगह मुख्यालय में डंप कर दिया।
सुमन सेमवाल, देहरादून। सरकारी तंत्र बेवजह की औपचारिकताओं में किस कदर उलझा रहता है, पेयजल निगम का यह प्रकरण उसका जीता-जागता उदाहरण है। इनाइटेड नेशंस डेलवपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) के तहत 40 लाख रुपये की जो राशि पिछले साल मिली थी, उसे स्रोत संवर्धन के काम में लगाने की जगह मुख्यालय में डंप कर दिया गया। राशि सिर्फ लिपिकीय स्टाफ ने इसलिए जारी नहीं की, क्योंकि संबंधित खंड ने डिमांड नहीं भेजी है, जबकि योजना गतिमान थी और राज्य सरकार के हिस्से के 35 लाख रुपये खर्च भी किए जा चुके थे।
स्रोत संवर्धन के तहत राज्य सरकार ने 35 लाख रुपये जारी किए थे। यह राशि पेयजल निगम के पुरोड़ी खंड को मिली थी। इसी योजना के तहत 40 लाख रुपये वर्ष 2019 में यूएनडीपी ने भी जारी किए थे। राज्य की राशि को संवर्धन कार्य में लगाने के बाद खंड अधिकारी इस उम्मीद में बैठे रहे कि आगे की राशि भी जारी की जाएगी। वहीं, पेयजल निगम औपचारिकताओं में उलझा रहा और इंतजार किया जाता रहा कि इस राशि के लिए अलग से डिमांड आनी चाहिए।
लंबे समय बाद भी जब राशि नहीं मिली तो पुरोड़ी खंड ने अधीक्षण अभियंता कार्यालय में पत्राचार किया। तब पता चला कि राशि मुख्यालय के ही खाते में डंप है। जवाब में यहां के कार्मिकों ने कहा कि जब मांग ही नहीं मिली तो राशि कैसे जारी करते। लिहाजा, कुछ अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद अब 40 लाख रुपये जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
सूख चुका स्रोत भी हुआ पुनर्जीवित
स्रोत संवर्धन की यह योजना चकराता जैसे क्षेत्र के लिए बेहद अहम है, क्योंकि यहां पेयजल व्यवस्था सिर्फ प्राकृतिक स्रोतों पर ही निर्भर है और यहां भूमिगत जल का स्तर बेहद नीचे है। इसी योजना में लटऊ जिंदऊ क्षेत्र में सूख चुके एक स्रोत को भी पुनर्जीवित किया गया है। इसके बाद भी योजना में बजट जारी करने को लेकर इस तरह की अनदेखी ठीक नहीं। पेयजल निगम के प्रभारी प्रबंध निदेशक आर राजेश कुमार का कहना है कि लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए हरसंभव काम किए जा रहे हैं। प्रयास किए जा रहे हैं कि किसी भी काम में अनावश्यक व्यवधान पैदा न हो।
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