यहां आज भी चूल्हे का धुआं निगल रहे 23 हजार परिवार, जानिए
प्रदेशभर में करीब 23 हजार से ज्यादा परिवारों में एलपीजी कनेक्शन नहीं हैं। साफ है कि लकड़ी के चूल्हे का धुआं इन महिलाओं के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है।
देहरादून, जेएनएन। भले ही प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना के तहत एलपीजी से वंचित ढाई लाख से ज्यादा परिवारों को उज्ज्वला कनेक्शन बांटे गए हों, लेकिन अब भी प्रदेशभर में करीब 23 हजार से ज्यादा परिवारों में एलपीजी कनेक्शन नहीं हैं। साफ है कि लकड़ी के चूल्हे का धुआं इन महिलाओं के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है। हालांकि अब तेल कंपनियों ने इन शेष परिवारों को युद्ध स्तर पर 'उज्ज्वला-2' में एलपीजी कनेक्शन देने शुरू कर दिए हैं। कंपनियों का दावा है कि मार्च माह तक इस लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा।
टर्नर रोड स्थित आइओसी कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए आइओसी के एरिया चीफ मैनेजर प्रभात कुमार वर्मा ने उज्ज्वला योजना में हुए विस्तार की जानकारी दी। कहा कि योजना में राष्ट्रीय खाद्यान्न सुरक्षा योजना (एनएफएसए) का राशन कार्ड की नई श्रेणी जोड़ दी गई है। क्योंकि शुरू में 2011 जनगणना की सूची व 2018 में एससी-एसटी, वनवासी, प्रधानमंत्री आवास योजना समेत अन्य सात श्रेणियों को जोड़ने के बाद भी सामान्य जाति के कई परिवारों को लाभ नहीं मिल पा रहा था।
यही वजह है कि आज भी प्रदेशभर में करीब 23 हजार परिवार एलपीजी विहीन हैं। अब इस नई श्रेणी के जुड़ने के बाद सभी वंचितों को लाभ पहुंचाया जा सकेगा। बताया कि आइओसी, बीपीसी व एचपीसी प्रदेशभर में अभी तक दो लाख 66 हजार उज्ज्वला कनेक्शन बांट चुकी हैं। इस मौके पर आइओसी के चीफ मैनेजर एलपीजी (सेल्स) मोहिंदर, सीनियर मैनेजर राजेश कुमार पांडेय (एलपीजी सेल्स) बीपीसी के एग्जीक्यूटिव सेल्स नवीन कुमार (हरिद्वार) उपस्थित रहे।
हरिद्वार, यूएसनगर, दून शीर्ष पर आइओसी के अनुसार, 23 हजार से ज्यादा एलपीजी वंचित परिवारों में करीब 70 फीसद हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर व देहरादून में हैं। जबकि 30 फीसद चमोली, उत्तरकाशी जैसे दुर्गम पहाड़ी जिलों में हैं। एचपीसी के अधिकारी नहीं पहुंचे पत्रकार वार्ता में एचपीसी से कोई प्रतिनिधि नहीं पहुंचा।
वार्ता में आइओसी व बीपीसी के अधिकारी एचपीसी के अधिकारी के पहुंचने का काफी देर तक इंतजार करते रहे। चर्चाएं थी कि पिछले दिनों दून के आंबेडकर कॉलोनी में उज्ज्वला योजना में फर्जी पात्रों को कनेक्शन बांटने का गंभीर मामला उजागर हुआ था। इन्हीं सवालों से बचने के लिए शायद एचपीसी से कोई प्रतिनिधि नहीं पहुंचा।
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