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उत्तराखंड में जंगल की आग को लेकर पीएमओ भी सक्रिय, कमेटी गठित; 15 दिन में देनी होगी रिपोर्ट

Uttarakhand Forest Fire उत्तराखंड में जंगल की आग को लेकर अब प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) भी सक्रिय हो गया है। आग के न्यूनीकरण के उपायों के दृष्टिगत पीएमओ ने इस संबंध में राज्य सरकार को प्रोजेक्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sun, 18 Apr 2021 06:45 AM (IST)Updated: Sun, 18 Apr 2021 06:45 AM (IST)
उत्तराखंड में जंगल की आग को लेकर पीएमओ भी सक्रिय, कमेटी गठित; 15 दिन में देनी होगी रिपोर्ट
उत्तराखंड में जंगल की आग को लेकर पीएमओ भी सक्रिय।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Forest Fire उत्तराखंड में जंगल की आग को लेकर अब प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) भी सक्रिय हो गया है। आग के न्यूनीकरण के उपायों के दृष्टिगत पीएमओ ने इस संबंध में राज्य सरकार को प्रोजेक्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं। वन एवं पर्यावरण मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि इस सिलसिले में वरिष्ठ आइएफएस डा.समीर सिन्हा की अगुआई में कमेटी गठित की गई है, जो 15 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी। फिर इसके आधार पर प्रोजेक्ट तैयार कर पीएमओ को भेजा जाएगा।

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उत्तराखंड में इस मर्तबा सर्दियों से ही जंगल लगातार धधक रहे हैं। दैवीय आपदा में शामिल वनों की आग पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार संजीदा है। हाल में ही केंद्र ने राज्य के आग्रह पर जंगलों की आग बुझाने के लिए वायुसेना के दो हेलीकाप्टर मुहैया कराए। साथ ही राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की तीन टीमें भी यहां भेजी गई हैं। इसी कड़ी में अब पीएमओ ने भी आग का संज्ञान लिया है।पीएमओ की ओर से राज्य के मुख्य सचिव को इस संबंध में पत्र भेजा गया है। इसमें वनों की आग के न्यूनीकरण के साथ ही वनकर्मियों के कौशल में वृद्धि के मद्देनजर प्रोजेक्ट तैयार कर इसे पीएमओ को भेजने को कहा गया है। साथ ही प्रोजेक्ट तैयार करने से पहले राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) से भी राय लेने के निर्देश दिए गए हैं।

वन कानूनों में बदलाव की जरूरत: हरक

जंगलों की आग के आलोक में सरकार को भी यह अहसास हुआ है कि वन और जन के रिश्तों में खटास आई है। वन एवं पर्यावरण मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने भी माना कि वनों को आग से बचाने के लिए जनमानस में वह आत्मीयता नजर नहीं आ रही, जो वन कानूनों के लागू होने से पहले हुआ करती थी। उन्होंने कहा कि बगैर जनसहभागिता के वनों का संरक्षण कठिन है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए वन कानूनों में बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है। यदि कहीं कानून में कमियां हैं तो इन्हें दूर कराकर जन सामान्य को वनों के संरक्षण से जोड़ना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि जल्द ही इस संबंध में केंद्र को प्रस्ताव भेजा जाएगा।

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