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कोरोनाकाल में थमी प्रदेश की विकास दर, जीएसटी संग्रह में दिसंबर 2020 तक दर्ज की गई 19 फीसद गिरावट

कोरोना काल के दौरान लागू किए गए लाकडाउन के कारण तमाम व्यापारिक और औद्योगिक गतिविधियों की रफ्तार लंबे समय के लिए थम गई थी। इसका सीधा असर प्रदेश की विकास दर पर पड़ा है। कोरोना से देश की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुई है विकास दर 7.7 फीसद नीचे सरक गई।

By Sumit KumarEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 07:29 PM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 10:58 PM (IST)
गुरुवार को विधानसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।

राज्य ब्यूरो, गैरसैैंण: कोरोना काल के दौरान लागू किए गए लाकडाउन के कारण तमाम व्यापारिक और औद्योगिक गतिविधियों की रफ्तार लंबे समय के लिए थम गई थी। इसका सीधा असर प्रदेश की विकास दर पर पड़ा है। कोरोना से देश की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुई है और विकास दर 7.7 फीसद नीचे सरक गई। कोरोना काल (वित्तीय वर्ष 2020-21) में विकास दर पर जो प्रभाव पड़ा, उसके आंकड़े भारत सरकार को भेज दिए गए हैं। हालांकि, इतना स्पष्ट जरूर किया गया है कि देश के अनुरूप ही हमारी विकास दर भी नीचे सरकी है।

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गुरुवार को विधानसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना के कारण पूरे विश्व का जनजीवन प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुआ है। राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिकगतिविधियों में कमी देखने को मिली है, जिसका प्रभाव राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। राज्य की आर्थिक में सेवा क्षेत्र का अहम योगदान है, जिससे पर्यटन, मनोरंजन तथा होटल व्यवसाय के साथ-साथ शिक्षा, खेलकूद एवं सामाजिक सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इस साल प्रदेश में सीमित तरीके से आॢथक गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है।

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2018-19 में विकास दर का संशोधित अनुमान 5.77 फीसद था, जबकि वर्ष 2019-20 में यह 4.30 फीसद रही। यह संभवत: इसलिए हुआ, क्योंकि वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक कोरोना का प्रभाव आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित करने लगा था।लॉकडाउन के बाद इसका प्रभाव तेज होने लगा। इसी के चलते दिसंबर 2020 तक राजस्व वसूली में 19 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली। केंद्र से मिलने वाली जीएसटी क्षतिपूर्ति भी 58 फीसद कम रही। प्रदेश को वर्ष 2020-21 में जीएसटी रिफंड के उपरांत कुल राजस्व के रूप में दिसंबर तक 2981.90 करोड़ रुपये मिले हैं, जबकि केंद्र से 7164.18 करोड़ रुपये मिलने थे। बीते वर्ष राज्य सरकार को इसी अवधि में केंद्र से 6284.43 करोड़ के सापेक्ष 3749.34 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे।

पेट्रोल व डीजल में 6.65 प्रतिशत का नुकसान

प्रदेश सरकार को डीजल और पेट्रोल से मिलने वाले कर पर भी 6.65 प्रतिशत का नुकसान हुआ है। दिसंबर 2020-21 में प्रदेश सरकार को 1030.28 करोड़ रुपये कर के रूप में मिले हैं। वहीं, बीते वर्ष दिसंबर तक प्रदेश सरकार को 1103.68 करोड़ रुपये कर के रूप में मिले थे।

राष्ट्रीय औसत से कम है प्रदेश में किसानों की आय

प्रदेश में किसानों की आय राष्ट्रीय औसत से कम है। किसानों की राष्ट्रीय औसत आय 8059 रुपये है, जबकि उत्तराखंड में यह 5153 रुपये प्रतिमाह आंकी गई है। इसमें भी 70 प्रतिशत आय अकृषि गतिविधियों से है। इसे देखते हुए प्रदेश में कृषकों की आय को बढ़ाने के लिए तमाम प्रविधान किए जा रहे हैं। इनमें उत्पादकता में वृद्धि, पशुधन, बकरी, कुक्कुट व मत्स्य पालन, एकीकृत कृषि प्रणाली व खेती की लागत में कमी लाना शामिल है। वर्ष 2022 तक कृषकों की आय दोगुना करने का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एक जिला-एक उत्पाद जैसी योजनाएं शुरू की गई हैं। प्रधानमंत्री ग्राम कृषि योजना के तहत सात लाख 19 हजार 644 कृषकों को 485.74 करोड़ रुपये की धनराशि वितरित की गई है।

उद्योगों में रोजगार सृजन में कमी, निर्यात भी कम

 प्रदेश में उद्योगों में रोजगार सृजन में भी कमी देखने को मिली है। वर्ष 2020-21 में 3131 उद्योगों में 635.47 करोड़ रुपये का निवेश हुआ और 15846 रोजगार सृजित हुए हैं। वर्ष 2019-20 में 4131 उद्योगों में 1731.15 करोड़ रुपये का निवेश हुआ और 28700 रोजगार सृजित किए गए। उद्योगों से निर्यात में भी कमी देखने को मिली है। अप्रैल 2020 से अगस्त 2020 तक 8628 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ। वहीं, वर्ष 2019-20 में 16285 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था।

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आबकारी में राजस्व का नुकसान, वैट में वृद्धि

आबकारी विभाग में भी राजस्व वसूली में गिरावट देखने को मिली है। आबकारी में वित्तीय वर्ष 2020-21 में दिसंबर तक 2073.78 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। वहीं, 2019-20 में दिसंबर तक 2729.15 करोड़ रुपये वसूले गए थे। हालांकि, आबकारी में वैट में 3.07 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वर्ष 2020-21 दिसंबर माह तक वैट से 174.82 करोड़ रुपये मिले हैं। बीते वर्ष दिसंबर तक 169.62 करोड़ रुपये ही वसूले जा सके थे।

वन विभाग ने 40.44 लाख मानव दिवस किए सृजित

वन विभाग ने विभिन्न योजनाओं में 12 लाख से अधिक मानव दिवस सृजित किए हैं। विभाग ने राज्य सेक्टर के अंतर्गत 3011.64 लाख रुपये व्यय करते हुए 9.26 लाख मानव दिवस का सृजन किया। वहीं, केंद्रीय सेक्टर में 3011.64 लाख रुपये व्यय करते हुए 9.26 लाख मानव दिवस का रोजगार सृजन किया गया। जायका के अंतर्गत 3967 लाख रुपये व्यय करते हुए 5.10 लाख मानव दिवस, कैंपा के अंतर्गत 8020 लाख रुपये का व्यय करते हुए 19.46 लाख मानव दिवस और नमामि गंगे के अंतर्गत 488.90 लाख रुपये का व्यय करते हुए 1.18 लाख मानव दिवस सृजित किए गए हैं।

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