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कोरोनाकाल में आउटसोर्स और संविदा पर रखे गए कर्मचारियों को राहत

कोरोनाकाल में प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में आउटसोर्स और संविदा पर रखे गए कर्मचारियों को राज्य सरकार ने कुछ वक्त की राहत दी है। उन्हें तीन माह का सेवा विस्तार दिया गया है। प्रभारी सचिव पंकज कुमार पांडेय ने इसके आदेश जारी किए हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 12:05 PM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 12:05 PM (IST)
कोरोनाकाल में आउटसोर्स और संविदा पर रखे गए कर्मचारियों को राहत
कोरोनाकाल में आउटसोर्स और संविदा पर रखे गए कर्मचारियों को राज्य सरकार ने कुछ वक्त की राहत दी है।

जागरण संवाददाता, देहरादून। कोरोनाकाल में प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में आउटसोर्स और संविदा पर रखे गए कर्मचारियों को राज्य सरकार ने कुछ वक्त की राहत दी है। उन्हें तीन माह का सेवा विस्तार दिया गया है। प्रभारी सचिव पंकज कुमार पांडेय ने इसके आदेश जारी किए हैं।

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दरअसल, कोरोना के मामले बढ़ने पर मेडिकल कॉलेजों में मानव संसाधन की उपलब्धता के लिए सरकार ने 23 मार्च, 2020 को राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर, देहरादून, हल्द्वानी और अल्मोड़ा के कोविड अस्पतालों में स्टाफ नर्स, फार्मेसिस्ट, लैब टेक्नीशियन, ओटी टेक्निीशियन, ईसीजी टेक्नीशियन, कंप्यूटर ऑपरेटर, वाहन चालक, वार्ड अटेंडेंट, प्लंबर, पर्यावरण मित्र आदि को आउटसोर्स करने की व्यवस्था की थी। इनकी सेवाएं 28 फरवरी को पूरी हो गईं। शासन ने तय किया है कि अभी कोरोना महामारी का खतरा टला नहीं है। साथ ही प्रदेशभर में टीकाकरण अभियान भी चल रहा है। ऐसे में सभी मेडिकल कॉलेजों में मानव संसाधन की उपलब्धता बनाए रखने के लिए तीन माह यानी 31 मई तक सभी आउटसोर्स और संविदा कर्मियों की सेवाएं जारी रखी जाएं। इससे प्रदेश के करीब 500 कर्मचारियों को लाभ मिलेगा।

दून अस्पताल में पटरी पर लौट सकती है व्यवस्था

कोरोनाकाल में मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में आउटसोर्स किए गए कर्मचारियों को सेवा विस्तार देने से दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भी व्यवस्थाएं पटरी पर आ सकेंगी। यहां कर्मचारी पिछले 10 दिन से कामकाज बंद कर धरना दे रहे हैं। उन्होंने अब आंदोलन स्थगित कर दिया है। पर काम पर लौटने को लेकर वह गुरुवार को निर्णय लेंगे। कोरोनाकाल में उपनल और पीआरडी के माध्यम से अस्पताल में आउटसोर्स पर करीब 400 से अधिक कर्मचारी दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भी नौकरी पर रखे गए थे। जिनमें नर्सिंग, पैरामेडिकल, वार्ड ब्वॉय, वार्ड आया, सफाईकर्मी भी शामिल थे। कोरोना संक्रमण का प्रसार कम होने पर पूर्व में बताई गई शर्त के तहत मेडिकल कॉलेज ने उन्हें हटाना शुरू किया। जिसके खिलाफ वह आंदोलन पर थे।

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