Move to Jagran APP

उत्तराखंड में इन संसाधनों के अभाव में नहीं लग रही दुर्घटनाओं पर लगाम, जानिए

Road Safety Week प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने में संसाधनों की कमी बड़ा रोड़ा बन गई है। नतीजतन राज्य की सड़कों पर तेज गति से चल रहे वाहन नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए चल रहे हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 01:53 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 01:53 PM (IST)
उत्तराखंड में इन संसाधनों के अभाव में नहीं लग रही दुर्घटनाओं पर लगाम, जानिए
उत्तराखंड में संसाधनों के अभाव में नहीं लग रही दुर्घटनाओं पर लगाम>

देहरादून, राज्य ब्यूरो। Road Safety Week प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने में संसाधनों की कमी बड़ा रोड़ा बन गई है। नतीजतन राज्य की सड़कों पर तेज गति से चल रहे वाहन नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए चल रहे हैं। कारण यह कि पुलिस व परिवहन विभाग के पास न तो शराब पीकर वाहन चलाने वाले चालकों की चेकिंग के लिए पर्याप्त संख्या में एल्कोमीटर हैं और न ही गति मापने के लिए राडार गन। अभी सड़कों व चौराहों पर ही चेकिंग में चालान काट कर खानापूरी की जा रही है। 

loksabha election banner

प्रदेश में हर वर्ष 1300 से अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। इन दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या सैकड़ों में तो घायल होने वालों की संख्या 1500 के पार है। बीते वर्ष यानी वर्ष 2019 में प्रदेश में 1352 सड़क दुर्घटनाएं हुईं। यानी हर माह 110 से अधिक सड़क दुर्घटनाएं। इन सड़क दुर्घटनाओं में 867 व्यक्तियों की मौत हुई और 1457 घायल हुए। प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के लिए राज्य सड़क सुरक्षा समिति का गठन किया गया। समिति ने सड़क सुरक्षा से जुड़े विभागों यानी परिवहन, पुलिस, लोक निर्माण विभाग, शिक्षा व जिला प्रशासन को सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने के आदेश दिए। 

इस क्रम में चेकिंग व जागरूकता अभियान भी चलाए गए लेकिन संसाधनों के साथ दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी कहीं न कहीं बाधा बन रही है। पुलिस और परिवहन विभाग संसाधनों की की कमी से जूझ रहे हैं। पुलिस के पास 13 जिलों के 150 से अधिक थानों के लिए मात्र 320 के आसपास ही एल्कोमीटर है, यानी एक थाने में एक कुल दो एल्कोमीटर है। परिवहन महकमे के हालात तो और भी खराब हैं। विभाग के पास एक भी एल्कोमीटर नहीं है। वाहनों की गति नापने के लिए परिवहन महकमे के पास राडार गन भी नहीं है।

परिवहन विभाग के पास अभी केवल चार इंटरसेप्टर वाहन हैं। प्रवर्तन दलों की संख्या अभी केवल 20 है। इसके अलावा विभाग के पास न तो चेकिंग के लिए कोई बेटेन लाइट है और न ही रिकॉर्डिंग के लिए कैमरे। पुलिस ने सिटी पेट्रोल यूनिट का गठन कर यातायात सुधार की दिशा में कदम उठाया है, लेकिन यह यूनिटें भी चालान काटने से आगे कदम नहीं बढ़ा पा रही हैं। 

इन संसाधनों की है कमी 

  • परिवहन में प्रवर्तन दल और पुलिस विभाग में यातायात कर्मी
  • पुलिस के पास हैं 600 सीसी टीवी, 200 की है और जरूरत
  • प्रदेश में ट्रैफिक कर्मियों के लिए पुलिस लाइन 
  • परिवहन विभाग में नए इंटरसेप्टर वाहन 
  • परिवहन विभाग में एल्कोमीटर और राडार गन
  • परिवहन विभाग में चेकिंग के लिए बेटेन लाइट व रिकॉर्डिंग के लिए कैमरे

यह भी पढ़ें: Road Safety Week: कुछ हादसों के लिए हम खुद जिम्मेदार होते, 137 मौतों की वजह सिर्फ यातायात नियमों का उल्लंघन


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.