उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी समन्वय मंच ने दी हड़ताल पर जाने की चेतावनी
उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी समन्वय मंच ने राजकीय विभागों में कार्यरत कार्मिकों की समस्याओं का निस्तारण न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी समन्वय मंच ने राजकीय विभागों में कार्यरत कार्मिकों की समस्याओं के संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है। समस्याओं का निस्तारण न होने पर मंच ने आंदोलन की चेतावनी दी है। इससे पहले छह से 14 जनवरी तक सभी जनपदों में मंत्रियों को ज्ञापन दिया जाएगा। 22 जनवरी को सभी जिलों में एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन और जिलाधिकारियों के माध्यम से सरकार को ज्ञापन भेजा जाएगा। इसके बाद 27 जनवरी को दून में प्रदेश स्तरीय महारैली निकालने के साथ अनिश्चितकालीन हड़ताल की तिथि घोषित की जाएगी।
मंच के मुख्य संयोजक नवीन काण्डपाल और सचिव संयोजक सुनील दत्त कोठारी ने बताया कि प्रदेश के सभी विभागों में कार्यरत कार्मिकों की समस्याएं लंबे समय से लंबित हैं। इनके समाधान के लिए मंच लगातार अनुरोध करता आ रहा है।
इसके लिए शासन और सरकार को कई बार पत्र व आंदोलन नोटिस भी प्रेषित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि कार्मिकों की समस्याओं के निराकरण के लिए सरकार ने अपर मुख्य सचिव कार्मिक एवं तत्कालीन मंत्री वित्त, पेयजल, विधायी और संसदीय कार्य की अध्यक्षता में समितियों का गठन भी किया था। इसकी कई उच्च स्तर की बैठकें भी हुईं। लेकिन, आवास भत्ते की स्वीकृति के अतिरिक्त किसी भी समस्या का समाधान नहीं हुआ। जिन समस्याओं पर निर्णय लिए जा चुके थे, वे भी आज तक अधूरे हैं।
उच्च स्तर की बैठकों में निर्णय लिया गया था कि शिथिलीकरण नियमावली को मंत्रीमंडल के समक्ष स्वीकृति के लिए रखा जाएगा, लेकिन 12 महीने बीत जाने के बावजूद भी कोई सार्थक कार्रवाई नहीं हुई है। इसी प्रकार यू हेल्थ कार्ड एसीपी की पूर्व व्यवस्था को लागू किया जाना, पुरानी पेंशन बहाली, स्थानांतरण अधिनियम 2017 की विसंगतियों को दूर किए जाने के संबंध में भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। इन पर भी शीर्ष स्तर की बैठकों में स्पष्ट निर्णय दिए जा चुके हैं।
उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी समन्वय मंच की मांगें
- वर्तमान में पदोन्नति पर लगी रोक को तुरंत हटाया जाए एवं पदोन्नति आदेश जारी किया जाए।
- यू हेल्थ स्मार्ट कार्ड की सुविधा केंद्र सरकार की तर्ज पर सेवारत-सेवानिवृत्त कार्मिकों के लिए तत्काल लागू की जाए तथा देश-प्रदेश के उच्च स्तरीय सुविधा संपन्न चिकित्सालयों को इसमें शामिल किया जाए।
- अर्हकारी सेवा में शिथिलीकरण की पूर्ववर्ती व्यवस्था यथावत लागू रहे।
यह भी पढ़ें: Citizenship Amendment Act 2019: सीएए पर विरोध प्रदर्शन को देखते हुए उत्तराखंड में अलर्ट
- प्रदेश के समस्त कार्मिकों को पूरे सेवाकाल में न्यूनतम तीन पदोन्नतियां अथवा पूर्ववर्ती व्यवस्था के अनुसार 10, 16 व 26 वर्ष की सेवा पर पदोन्नत वेतनमान अनिवार्य रूप से प्रदान किया जाए।
- एक अक्टूबर 2005 से लागू अंशदायी पेंशन योजना के स्थान पर पुरानी पेंशन व्यवस्था शीघ्र बहाल की जाए।
- इंदु कुमार पांडे की अध्यक्षता में गठित वेतन विसंगित समिति द्वारा शासन को प्रेषित रिपोर्ट में कर्मचारी विरोधी निर्णयों को लागू न किया जाए।
- विभिन्न संवर्गीय संगठनों के साथ किए गए समझौतों के अनुरूप शासनादेश जारी किए जाए।
यह भी पढ़ें: शीशमबाड़ा प्लांट के विरोध में ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन Dehradun News